महाराष्ट्रीयनों का खास त्योहार है गुढ़ी पाड़वा, बाजार मेंं आई रेडीमेड गुढ़ी

The special festival of Maharashtrians is Guddi Padwa
महाराष्ट्रीयनों का खास त्योहार है गुढ़ी पाड़वा, बाजार मेंं आई रेडीमेड गुढ़ी
महाराष्ट्रीयनों का खास त्योहार है गुढ़ी पाड़वा, बाजार मेंं आई रेडीमेड गुढ़ी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गुढ़ी पाड़वा से चैत्र नवरात्र व हिन्दूू नववर्ष की शुरुआत होती है। वैेसे तो भारत में सभी त्योहारों का महत्व है। यहां विभिन्न जाति, धर्म और समुदाय के लोग अपनी परंपरा अनुसार त्योहार धूमधाम से मनाते हैं लेकिन महाराष्ट्र में गुढ़ी पाड़वा का अपना अलग महत्व हैै और महाराष्ट्रीयन लोग बड़े ही उत्साह से मनाते हैं।   इस त्योहार में पहले के समय में नई साड़ी को बांस में बांधकर गुढ़ी बनाई जाती थी, पर अब मार्केट में सुंदर और आकर्षक रेडीमेड गुढ़ी उपलब्ध हैं, इसे भी लोगों द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है। बाजार में इनकी कीमत 50 से लेकर 400 रुपए तक है। 

रेशमी कपड़े की बनी होती है
बाजार में मिलने वाली गुढ़ी तांबा की लोटी और रेशमी कपड़े से बनाई जाती है। चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुढ़ी पाड़वा का पर्व बड़े ही धूमधाम से  मनाया जाता है। इसमें घर के मुखिया द्वारा गुढ़ी को लगाया जाता है। पहले गुढ़ी पाड़वा के लिए नई साड़ी खरीदकर उसे बांस से बांधकर गुढ़ी बनाते थे। उसमें कड़वी नीम भी लगाते हैं और उसे शक्कर की माला से सजाते थे, पर अब रेडीमेड गुढ़ी मिलने से इसे घर में नहीं बनाना पड़ता है। 
- मनीषा देशपांडे, त्रिमूर्ति नगर

रेडीमेड गुढ़ी ही लाते हैं
हमारे समय में गुढ़ी पाड़वा के दिन सभी लोग गुढ़ी बनाते थे। इसमें देखा जाता था कि सबसे सुंदर गुढ़ी किसकी है। इसे छत पर लगाया जाता था, पर अब फ्लैट सिस्टम होने से सेपरेट खिड़की भी नहीं होती है, तो गुढ़ी लगाने में प्रॉबलम होता है। साथ ही समय की कमी के चलते रेडीमेड गुढ़ी भी खरीद कर लाते हैं। गुढ़ी पाड़वा के दिन घर के बाहर दरवाजे पर आम की पत्ती का बंदनवार लगाया जाता है। - स्वाति परांजपे, विकास नगर

बच्चों की बात माननी पड़ती है
अब समय बदल गया है। पुरानी चीजों को बच्चे ज्यादा पसंद नहीं करते हैं। उन्हें सुंदर और आकर्षक लगने वाली चीजें ही भाती हैं। बेटे और बहू मार्केट से रेडीमेड गुढ़ी खरीद कर लाए हैं। हमने सोचा कि बच्चों के हिसाब से चलना चाहिए, इसलिए उनकी बात  मानकर रेडीमेड गुढ़ी के लिए हां कर दी। अपने अनुसार तो बहुत काम कर लिया, अब थोड़ा बच्चों के नजरिए से भी चलना चाहिए।
- वैशाली देव, प्रताप नगर

Created On :   17 March 2018 3:43 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story