डॉ. हरेकृष्ण महताब द्वारा लिखित पुस्‍तक ओडिशा इतिहास के हिन्‍दी संस्करण के लोकार्पण अवसर पर प्रधानमंत्री के सम्‍बोधन का मूल पाठ!

डॉ. हरेकृष्ण महताब द्वारा लिखित पुस्‍तक ओडिशा इतिहास के हिन्‍दी संस्करण के लोकार्पण अवसर पर प्रधानमंत्री के सम्‍बोधन का मूल पाठ!
डॉ. हरेकृष्ण महताब द्वारा लिखित पुस्‍तक ओडिशा इतिहास के हिन्‍दी संस्करण के लोकार्पण अवसर पर प्रधानमंत्री के सम्‍बोधन का मूल पाठ!

डिजिटल डेस्क | प्रधानमंत्री कार्यालय डॉ. हरेकृष्ण महताब द्वारा लिखित पुस्‍तक ओडिशा इतिहास के हिन्‍दी संस्करण के लोकार्पण अवसर पर प्रधानमंत्री के सम्‍बोधन का मूल पाठ| जय जगन्नाथ! कार्यक्रम में मेरे साथ उपस्थित लोकसभा में सिर्फ सांसद ही नहीं सांसदीय जीवन में एक उत्तम सांसद किस प्रकार से काम कर सकता है ऐसा एक जीता जागता उदाहरण भाई भर्तृहरि महताब जी, धर्मेंद्र प्रधान जी, अन्य वरिष्ठ महानुभाव, देवियों और सज्जनों! मेरे लिए बहुत आनंद का विषय है कि मुझे ‘उत्कल केसरी’ हरेकृष्ण महताब जी से जुड़े इस कार्यक्रम में उपस्थित होने का अवसर मिला है।

करीब डेढ़ वर्ष पहले हम सब ने ‘उत्कल केसरी’ हरेकृष्ण महताब जी की एक सौ बीसवीं जयंती बहुत ही एक प्रेरणा के अवसर के रूप में मनाई थी। आज हम उनकी प्रसिद्ध किताब ‘ओड़ीशा इतिहास’ के हिन्दी संस्करण का लोकार्पण कर रहे हैं। ओडिशा का व्यापक और विविधताओं से भरा इतिहास देश के लोगों तक पहुंचे, ये बहुत आवश्यक है। ओड़िया और अँग्रेजी के बाद हिन्दी संस्करण के जरिए आपने इस आवश्यकता को पूरा किया है। मैं इस अभिनव प्रयास के लिए भाई भर्तृहरि महताब जी को, हरेकृष्ण महताब फ़ाउंडेशन को और विशेष रूप से शंकरलाल पुरोहित जी को, उनका धन्यवाद भी करता हूं और हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों, भर्तृहरि जी ने इस पुस्तक के विमोचन के अनुरोध के साथ ही मुझे एक प्रति भी वो आकर के देके गये थे। मैं पढ़ तो नहीं पाया पूरी लेकिन जो सरसरी नजर से मैने उसको देखा तो मन में विचार आया कि इसका हिन्दी प्रकाशन वाकई कितने सुखद संयोगों से जुड़ा हुआ है! ये पुस्तक एक ऐसे साल में प्रकाशित हुई है जब देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इसी साल उस घटना को भी सौ साल पूरे हो रहे हैं जब हरेकृष्ण महताब जी कॉलेज छोड़कर आज़ादी की लड़ाई से जुड़ गए थे। गांधी जी ने जब नमक सत्याग्रह के लिए दांडी यात्रा शुरू की थी, तो ओड़ीशा में हरेकृष्ण जी ने इस आंदोलन को नेतृत्व दिया था।

ये भी संयोग है कि वर्ष 2023 में ‘ओड़ीशा इतिहास’ के प्रकाशन के भी 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं। मुझे लगता है कि, जब किसी विचार के केंद्र में देशसेवा का, समाजसेवा का बीज होता है, तो ऐसे संयोग भी बनते ही चलते हैं। साथियों, इस किताब की भूमिका में भर्तृहरि जी ने लिखा है कि- “डॉ हरेकृष्ण महताब जी वो व्यक्ति थे जिन्होंने इतिहास बनाया भी, बनते हुये देखा भी, और उसे लिखा भी”। वास्तव में ऐसे ऐतिहासिक व्यक्तित्व बहुत विरले होते हैं। ऐसे महापुरुष खुद भी इतिहास के महत्वपूर्ण अध्याय होते हैं। महताब जी ने आज़ादी की लड़ाई में अपना जीवन समर्पित किया, अपनी जवानी खपा दी।

उन्होंने जेल की जिंदगी काटी। लेकिन महत्वपूर्ण ये रहा कि आज़ादी की लड़ाई के साथ-साथ वो समाज के लिए भी लड़े! जात-पात, छूआछूत के खिलाफ आंदोलन में उन्होंने अपने पैतृक मंदिर को भी सभी जातियों के लिए खोला, और उस जमाने में आज भी एक स्वयं के व्यवहार से इस प्रकार का उदाहरण प्रस्तुत करना आज शायद इसको हम इसकी ताकत क्या है अंदाज नहीं आएगा।

उस यु्ग में देखेंगे तो अंदाज आएगा कि कितना बड़ा साहस होगा। परिवार में भी किस प्रकार के माहौल से इस निर्णय की ओर जाना पडा होगा। आज़ादी के बाद उन्होंने ओडिशा के मुख्यमंत्री के रूप में बड़े बड़े फैसले लिए, ओडिशा के भविष्य को गढ़ने के लिए अनेक प्रयास किए। शहरों का आधुनिकीकरण, पोर्ट का आधुनिकीकरण, स्टील प्लांट, ऐसे कितने ही कार्यों में उनकी बहुत बड़ी भूमिका रही है।

साथियों, सत्ता में पहुँचकर भी वो हमेशा पहले अपने आप को एक स्वाधीनता सेनानी ही मानते थे और वो जीवन पर्यंत स्वाधीनता सेनानी बने रहे। ये बात आज के जनप्रतिनिधियों को हैरत में डाल सकती है कि जिस पार्टी से वो मुख्यमंत्री बने थे, आपातकाल में उसी पार्टी का विरोध करते हुए वो जेल गए थे। यानि वो ऐसे विरले नेता थे जो देश की आज़ादी के लिए भी जेल गए और देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए भी जेल गये। और मेरा ये सौभाग्य रहा कि मैं आपातकाल समाप्त होने के बाद उन्हे मिलने के लिए ओड़िसा गया था।

मेरी तो कोई पहचान नहीं थी। लेकिन उन्होंने मुझे समय दिया और मुझे बराबर याद है Prelunch time दिया था। तो स्वाभाविक है कि लंच का समय होते ही बात पूरी हो जायेगी लेकिन मैं आज याद करता हूं मुझे लगता है दो ढाई घंटे तक वो खाने के लिए नहीं गये और लंबे अरसे तक मुझे बहुत सी चीजे बताते रहे। क्योंकि मैं किसी व्यक्ति के लिए सारा रिसर्च कर रहा था। कुछ मेटीरियल कलेक्ट कर रहा था इस वजह से मैं उनके पास गया था। और मेरा यह अनुभव और मैं कभी-कभी देखता हूं के जो बड़े परिवार में बेटे संतान पैदा होते हैं।

Created On :   10 April 2021 9:27 AM GMT

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