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यहां लकड़ियों की नहीं, प्लास्टिक की चिता जलती है

डिजिटल डेस्क, नासिक। देश की आजादी को 68 साल पूर्ण हो गए हैं। आज हम डिजिटल और मेकिंग इंडिया की बात कर रहे हैं, लेकिन नासिक जिले के पेठ तहसील के गावंध गांव में चिता को सुलगाए रखने के लिए ग्रामीणों को मबजूरी में प्लास्टिक का उपयोग करना पड़ रहा है। ग्रामीणों को गर्मी के दिनों में अंतिम संस्कार करने में किसी प्रकार की बाधा नहीं आती, लेकिन बारिश के दिनों में उन्हें कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, इसका अंदाजा लगाना भी कठिन है।
पेठ तहसील के गावंध समुह ग्राम पंचायत में गावंध, बर्डापाडा, पलशी, खोकरीपाडा आदि गांव शामिल है। ग्राम पंचायत की आबादी 1800 से 1900 के आसपास है। इसके बावजूद ग्रामीण खुले मैदान में अंतिम संस्कार करने पर मजबूर हैं। किसी के घर में मृत्यु होने के बाद ग्रामीण शव का अंतिम संस्कार करने और उसे बारिश से बचाने के लिए लकड़ियां चुनकर लाते है। कई बार ग्रामीण शव के अंतिम संस्कार में आने वाली बाधाओं को टालने के लिए अन्य वस्तुओं का इस्तेमाल करते है। ग्रामीण कई बार जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और जिलाधिकारी को संयुक्त रूप से कार्रवाई कर अंतिम संस्कार सुखदाई करने का अग्रह कर चुके हैं।
अंतिम संस्कार के लिए प्लास्टिक का उपयोग
पेठ निवासी पांडुरंग लहारे ने कहा कि पिता का अंतिम संस्कार करने के दौरान आने वाली संभावित बाधा को टालने के लिए मैंने लकड़ियों के साथ प्लास्टिक का भी उपयोग किया था। हमें जानकारी है, यह प्रकृति के लिए घातक है, लेकिन हमारी मजबूरी है। शमशान भूमि के लिए ग्रामसभा में कई बार प्रस्ताव पारित किए हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। ग्राम सेवक से पूछ-परख करने पर हमेशा गोलमोल जवाब मिलते हैं।
कई प्रस्ताव दिए, कार्रवाई नहीं
वहीं एक अन्य ग्रामीण ने कहा कि शमशान भूमि बनाने के लिए वर्ष 2010 में प्रस्ताव पारित किया गया था। जनप्रतिनिधियों से लगातार चर्चा हो रही है। इस बीच फिर से जून 2017 में प्रस्ताव बनाया गया, लेकिन आज तक इसे लेकर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
Created On :   7 Aug 2017 7:05 PM IST