मीसाबंदी पेंशन : कलेक्ट्रेट में नहीं है कोई रिकॉर्ड

There is no record of Misa prisoners in Nagpur Collectorate
मीसाबंदी पेंशन : कलेक्ट्रेट में नहीं है कोई रिकॉर्ड
मीसाबंदी पेंशन : कलेक्ट्रेट में नहीं है कोई रिकॉर्ड

डिजिटल डेस्क,नागपुर।  राज्य सरकार ने मीसाबंदी पेंशन योजना शरू करने की घोषणा की है लेकिन आपातकाल के दौरान जेल में बंद मीसा बंदियों का रिकार्ड ही नहीं होने की जानकारी है। बता दें कि राज्य सरकार ने इसका रिकार्ड देने का निर्देश जिला प्रशासन को दिया, लेकिन नागपुर कलेक्ट्रेट में मीसा बंदियों का रिकार्ड ही नहीं है। पेंशन की आस में जो लोग जेल का रिकार्ड मांगने कलेक्ट्रेट पहुंच रहे हैं, उन्हें सेंट्रल जेल जाकर रिकार्ड प्राप्त करने काे कहा जा रहा है। जिन लोगों ने रिकार्ड प्राप्ति के लिए कलेक्ट्रेट में आरटीआई लगाई, उनके आवेदनाें को सेंट्रल जेल प्रशासन के पास भेजा जा रहा है।जिले के 600 से ज्यादा लोग सेंट्रल जेल में कैद रहे थे

समिति को दो माह में भेजनी है रिपोर्ट 
 
राज्य सरकार ने मीसा बंदियों को पेंशन देने की घोषणा करने के साथ ही इस संबंध नीति निर्धारण करने के लिए राजस्व मंत्री की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति बनाई है। समिति को दो महीने में अध्ययन कर इस संबंध में अपनी सिफारिशें राज्य सरकार को भेजनी है। राज्य सरकार ने कलेक्ट्रेट को मीसा बंदियों का रिकार्ड भेजने के निर्देश दिए हैं। जिला प्रशासन ने सेंट्रल जेल प्रशासन को पत्र लिखकर मीसा बंदियों का रिकार्ड मांगा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद जिला प्रशासन ने जेल प्रशासन को रिमांइडर भेजकर रिकार्ड मांगा, लेकिन इसका भी जवाब नहीं मिला। 

जेल प्रशासन से संपर्क करने की सलाह
इस बीच पेंशन की आस में बड़ी संख्या में संबंधित लोग जिला प्रशासन के पास पहुंचकर पेंशन फार्म मांगने लगे। इसी तरह जेल में बंद होने का रिकार्ड भी मांग रहे हैं। कुछ लोगों ने कलेक्ट्रेट में आरटीआई लगाकर रिकार्ड मांगा है। जिला प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि उनके पास किसी भी मीसा बंदी का रिकार्ड नहीं है। जितने आरटीआई प्राप्त हुए उसे सेंट्रल जेल प्रशासन को भेज दिया गया है। संबंधित व्यक्ति को सीधे जानकारी उपलब्ध कराने का निवेदन भी जेल प्रशासन को किया गया है। जिला प्रशासन का कहना है कि मीसा बंदियों का रिकार्ड जेल में है आैर जेल ही रिकार्ड उपलब्ध कराने की कांपीटेंड अथॉरिटी (उपयुक्त प्राधिकरण) है। जो लोग पहुंच रहे हैं, उन्हें भी जेल प्रशासन से संपर्क करने को कहा जा रहा है।  

सीएम के पिता व चाची भी थे जेल में बंद 
पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत इंदिरा गांधी ने जब आपातकाल लगाया था, उस वक्त मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पिता गंगाधर फडणवीस व चाची शोभाताई फडणवीस, आरएसएस के  मा. गो. वैद्य, सांसद अजय संचेती के पिता को भी जेल में बंद कर दिया गया था। इनके अलावा माकपा के बिंदाप्रसाद कश्यप, भीमराव खोब्रागडे, पूर्व सांसद रामचंद्र घंगारे, गिरधर लालवाणी व विप्लव मेश्राम को जेल में बंद किया गया था। सेंट्रल जेल में पूरे विदर्भ से पकड़े गए लोगों को रखा गया था। नागपुर जिले से 600 से ज्यादा लोगों को कैद किया गया था। आपातकाल के दौरान तब के जनसंघ, आनंद मार्ग सहित कई संगठनों पर बंदी डाली गई थी। प्रतिबंधित संगठनों के साथ ही आपातकाल का विरोध करनेवालों को जेल में बंद कर दिया गया था।

जिलाधीश कार्यालय ने कहा-कोई फार्म नहीं
आपातकाल के दौरान 28 जुलाई 1975 को पकड़ने के बाद 3 दिन तक सीताबर्डी थाने की हवालात में रखा गया था। 1 अगस्त 1975 को जेल भेजा आैर 26 जनवरी 1977 को रिहाई हुई। मेरे अलावा माकपा के अन्य पदाधिकारियों को भी आपातकाल का विरोध करने पर जेल में बंद किया गया था। नागपुर जिले से 600 से ज्यादा लोगों को जेल में बंद किया गया था। पेंशन से संबंधित फार्म लेने जिलाधीश कार्यालय पहुंचा तो इस बारे में कोई फार्म नहीं होने का जवाब मिला। मीसा बंदी का रिकार्ड मांगा, तो जेल प्रशासन से संपर्क करने को कहा गया। अधिकांश मीसा बंदी अब इस दुनिया में नहीं है। - विप्लव मेश्राम, मीसा बंदी. 

पेंशन प्रक्रिया की शुरुआत भी नहीं
आपातकाल के दौरान जिन सामाजिक व अाध्यात्मिक संगठनों पर बैन लगाया गया था, उसमें आनंद मार्ग (आध्यात्मिक संस्था) भी थी आैर संस्था से जुड़ा होने से मुझे 4 जुलाई 1975 को गिरफ्तार किया गया था। 21 मार्च 1977 को जेल से रिहाई हुई थी। मेरे पास जेल में बंद होने का रिकार्ड है। जिलाधीश कार्यालय से संपर्क किया, लेकिन पेंशन के लिए जो प्रक्रिया करनी है, उसकी अभी शुरुआत नहीं होने की जानकारी दी गई। कितनी पेंशन मिलेगी, इस बारे में भी जानकारी नहीं है।  (अण्णाजी राजेधर, मीसा बंदी) 

रिमांइडर भेजेंगे
राज्य सरकार के निर्देश पर सेंट्रल जेल प्रशासन को पत्र लिखकर जिले के मीसा बंदियों का रिकार्ड मांगा, लेकिन जवाब नहीं मिला। इसके बाद रिमांइडर भेजा, लेकिन जवाब नहीं मिला। अब पुन: रिमांइडर भेजकर जानकारी मांगी जाएगी। इस बार जानकारी नहीं मिली तो सरकार को सूचित किया जाएगा। जिला प्रशासन के पास मीसा बंदियों का रिकार्ड नहीं है। जो आरटीआई प्राप्त हुए, उसे जेल प्रशासन को भेजा गया है। मीसा बंदियों का रिकार्ड व प्रमाणपत्र देने की कांपीटेंट अथॉरिटी जेल प्रशासन ही है। पेंशन के संबंध में फार्म अभी तैयार नहीं  हुए है। कमेटी गठित हुई है। अध्ययन के बाद कमेटी अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी।  (जयंत पोहणकर, अधीक्षक जिला प्रशासन गृह विभाग नागपुर)

Created On :   28 Feb 2018 12:42 PM IST

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