7 साल पहले शुरू हुआ था उपक्रम
इवान के सचिव महेश आंबोकर ने कहा कि जब सारा देश दीपावली मना रहा होता है, तब घर का प्रमुख सीमा पर तैनात होने के कारण साधारण दीपावली मनाता है। इस बात को हम पूर्व सैनिक अच्छी तरह समझ सकते हैं, क्योंकि हमारे साथ भी ऐसा हुआ है। सैनिक की दीपावली तभी मनती है, जब वह घर पहुंचता है। इसी को ध्यान में रखकर 7 साल पहले इवान ने ‘एक दीया सैनिकों के नाम’ उपक्रम को आरंभ किया था। चंद्रपुर सैनिक स्कूल को आकार देने वाले सेवानिवृत्त बिग्रेडियर सुनील गावपांडे ने कहा कि सेना में भर्ती होने के लिए विदर्भ की जनता को अपने बच्चों को प्रेरित करना चाहिए।
पूरे देश में पहुंच चुका है
सेवानिवृत्त कर्नल अभय पटवर्धन ने कहा कि मैंने तीन युद्धों में हिस्सा लिया, लेकिन उस समय इस प्रकार के उपक्रम नहीं चलते थे। इवान ने ‘एक दीया सैनिकों के नाम’ को आरंभ किया, जो पूरे देश में पहुंच चुका है। इस अवसर पर सुनील महंत, पुंडलिक सावंत, विलास अहेर, श्रीकांत गंगाधडे, सुधाकर सार्वे, सुनील काले, राम कोरके, उजय गाठवे, रविकांत नारखेडे, जगदीश जोशी, डॉ. देसाई, डॉ. कल्पना कुलकर्णी, मेघ गंगाधडे, प्रणाली आंबोकर, शीतल अहेर, शुभांगी सार्वे, अदिति गाठवे, स्मिता नारखेडे, शीतल नांदरुणकर आदि उपस्थित थे।