सीखने की नहीं होती उम्र, इन मम्मियों में है लावणी सीखने का गजब का जज्बा

These ladies proves that there is no age of learning  anything
सीखने की नहीं होती उम्र, इन मम्मियों में है लावणी सीखने का गजब का जज्बा
सीखने की नहीं होती उम्र, इन मम्मियों में है लावणी सीखने का गजब का जज्बा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महाराष्ट्र का पारंपरिक नृत्य न सिर्फ बच्चे, बल्कि उनकी मम्मियां भी सीख रही हैं। सीखने की कोई उम्र नहीं होती, इस बात को साबित कर दिखाया है इन महिलाओं ने। लावणी में जहां बाॅडी में लचीलापन होना आवश्यक है वहीं पैर का काम भी टफ होता है साथ ही जब तक चेहरे पर हावभाव न तो लावणी का मजा ही नहीं आता है।

45 वर्षीय अमृता जैन बताती हैं कि मुझे पहले से ही लावणी सिखने का शौक था पर लावणी सिखाने वाला कोई नहीं था। सबसे बड़ी बात है कि शहर में लावणी सीखाने के लिए लेडी ट्रेनर बहुत कम हैं। फिर जेंट्स ट्रेनर से मैंने लावणी सीखना शुरू किया। लावणी सीखने के लिए एनर्जी की जरूरत होती है। हमेशा कुछ अलग करना चाहती थी इसलिए लावणी सीखना शुरू किया। हमारी क्लास में लगभग 12-15 लेडीज हैं जो लावणी सीखने आती हैं जिनकी उम्र 40 के ऊपर है। 

लेडीज करती हैं सीखने में मेहनत
पहले लावणी का क्रेज गर्ल्स में ज्यादा हुआ करता था अब 40 वर्ष की उम्र से ज्यादा की लेडीज भी लावणी सीखने की इच्छुक हैं। उन्हें लावणी सीखने में मेहनत ज्यादा करनी पड़ती है, क्योंकि उम्र ज्यादा होने के कारण बॉडी में लचीलापन नहीं रह जाता है। पर कहते हैं कि सीखने की चाह हो तो कोई भी अड़चन उसे रोक नहीं सकती है। अभी मेरी क्लास में 20 से अधिक महिलाएं हैं जो लावणी सीखने आती हैं। बेसिक स्टेप्स सीखने के बाद उन्हें हाथ और पैर का काम सिखाया जाता है। क्लास में आने वाली बहुत सारी लेडीज डांस वाले बैकग्राउंड से नहीं होती है। पर वे भी अब लावणी अच्छा करने लगी हैं। अब उन्हें फिल्मी गाने पर लावणी सिखाना शुरू किया है।
(जय पाटील, ट्रेनर)

एक्सप्रेशन जरूरी है
लावणी के स्टेप्स सीखने में मुझे ज्यादा प्राॅब्लम नहीं हुई पर फेस एक्सप्रेशन सही नहीं आ रहे थे। जिससे हमेशा क्लास में मुझे  डांट पड़ती थी। डांस में एक्सप्रेशन का बहुत महत्व होता है। इसके लिए डेली घर जाकर मिरर के सामने प्रैक्टिस करती थी अब एक्सप्रेशन आने लगे हैं। लेडी लावणी टीचर बहुत कम हैं इसलिए मैंने लावणी की ट्रेनिंग जेंट्स ट्रेनर से ली है। 

सोचा कुछ अलग किया जाए
मेरा डांस की तरफ हमेशा ही रुझान रहा है। मैंने कथक में विशारद भी किया है। फिर शादी के बाद डांस की प्रैक्टिस बिल्कुल ही छूट गई। मैंने लावणी सीखने के बारे में जानकारी ली। लावणी बहुत ही अलग डांस स्टाइल है। इसे करने के लिए बहुत एनर्जी की जरूरत पड़ती है। अगर वेट ज्यादा हो तो बॉडी को मूव करने में प्रॉब्लम होती है। पहले उसके लिए बेसिक स्टेप्स सीखे फिर धीरे-धीरे स्टेप समझ आए और लावणी करना शुरू किया। अभी लावणी टीचर हमें फिल्मी गाने पर लावणी सिखा रहे हैं।
(शालू भागवत, स्टूडेंट)

किसी फंक्शन में तो कर सकें
डांस तो आता है पर उसे परफेक्ट तरीके से करने की बात ही अलग होती है। घर या रिलेटिव्स में कोई भी वैवाहिक अवसर होते हैं तो उसमें डांस करने के लिए सभी फोर्स करते हैं। मैंने अपनी भतीजी की शादी के लिए लावणी सीखी, मुझे इतना अच्छा लगा कि मैंने लावणी क्लास कंटिन्यू रखी। भतीजी की शादी में जब लावणी किया, तो सभी को बहुत पसंद आया। तब से लावणी को लेकर उत्साह और भी बढ़ गया। अभी क्लास में और भी लेडीज लावणी सीखने आ रही हैं। शुरुआत में सभी को तकलीफ होती है पर धीरे-धीरे आदत होने के बाद इसमें परफेक्शन आ जाता है।
(स्नेहल दवंडे, स्टूडेंट)
 
 

Created On :   4 July 2018 2:07 PM IST

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