सीढ़ी लगाकर झिरिया में उतरते हैं, फिर गंदा पानी छानकर पीते हैं

They descend into Jhiriya by taking a ladder, then filter the dirty water and drink it.
सीढ़ी लगाकर झिरिया में उतरते हैं, फिर गंदा पानी छानकर पीते हैं
जीने के लिए जिंदगी लगा दी दांव पर सीढ़ी लगाकर झिरिया में उतरते हैं, फिर गंदा पानी छानकर पीते हैं

डिजिटल डेस्क,छिंदवाड़ा। सुरम्य वादियां, मनमोहक नजारों के बीच रहने वाले भारिया परिवारों की जिंदगी का अंदाजा इस तस्वीर से लगाया जा सकता है। जहां 18 परिवारों की यह बस्ती जीने के लिए हर रोज अपनी जिंदगी को दांव पर लगाती है। 12 से 15 फीट गहरी झिरिया में सीढ़ी लगाकर गांव के पुरुष उतरते हैं, बाल्टी से गंदा पानी ऊपर लाते हैं। फिर महिलाएं व बच्चे इस गंदे पानी को कपड़े से छानकर पीने योग्य बनाते हैं। 
यह नजारा है तामिया ब्लॉक के चाखला पंचायत के आश्रित गांव गोटीखेड़ा का हैं। 18 घरों की इस बस्ती में बच्चे, बूढ़े मिलाकर 136 लोग रहते हैं। नलजल योजना, जनजीवन मिशन जैसी योजनाएं यहां नहीं पहुंच पाई है। साल भर ग्रामीण नाले के किनारे बनी इस झिरिया में उतरकर पीने का पानी भरते हैं। जून माह में इस झिरिया का पानी तली में बैठ गया है। ग्रामीण इस झिरिया में उतरकर गंदगी हटाते हुए पानी ऊपर लाते हैं।

सुध लेने वाला कोई नहीं, सालों से ऐसे ही जी रहे-

ग्रामीण भैयालाल, रामसिंग, गया प्रसाद, राजेश, अशोक ने बताया कि गांव में दो हैंडपम्प लगाए गए थे। लेकिन अब इन हैंडपम्पों ने भी पानी उगलना बंद कर दिया है। गांव से करीब आधा किलोमीटर दूर एक मात्र झिरिया है, जिसके सहारे ग्रामीण गर्मी भर अपनी प्यास बुझाते हैं।

34 बसाहटों के आदिवासी ऐसे ही जीने मजबूर-

तामिया के पातालकोट के 12 गांव व उनकी 34 बसाहटों को हाल ही में चिन्हित किया गया था। इन बसाहटों में रहने वाले आदिवासी प्राकृतिक जल स्त्रोतों पर ही निर्भर हैं। गर्मी के दिनों में तपती धूप में कोसों दूर पैदल चलकर बूंद-बूंद पानी जुटाते हैं। बारिश के दिनों में भी इन्ही जल स्त्रोतों से दूषित पानी पीते हैं।

जिला अस्पताल में बढ़े मरीज-

तारीख ओपीडी आईपीडी
6 जून 1092 2018
7 जून 937 219
8 जून 886 213
9 जून 528 187
10 जून 914 173
11 जून 742 154
12 जून 173 148
13 जून 982 168
(नोट: जिला अस्पताल की ओपीडी से मिले आंकड़ें अनुसार)

छानना ही काफी नहीं दूषित पानी को-

प्राकृतिक जलस्त्रोतों के बहते हुए पानी में बैक्टीरिया की मात्रा कम स्थानों पर ही होती है। लेकिन ऐसे जल स्त्रोत जहां पानी लम्बे समय से जमा है, उनमें बैक्टीरिया का खतरा बढ़ जाता है। इन जगहों के पानी का इस्तेमाल करने के लिए पानी को छानना ही काफी नहीं होता है। पानी को छानने के अलावा इसे उबालना बेहद जरूरी होता है। बिना उबाले दूषित पानी का उपयोग पेट संबंधी बीमारी को जन्म देता है।
हर्षवर्धन कुड़ापे, (शिशु रोग विशेषज्ञ)
 

Created On :   14 Jun 2022 6:59 PM IST

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