नागपुर का ये डेमो स्टेशन तो चकाचक है, लेकिन हेरिटेज असुरक्षित...

This demo station in Nagpur is safe, but heritage unsafe ...
नागपुर का ये डेमो स्टेशन तो चकाचक है, लेकिन हेरिटेज असुरक्षित...
नागपुर का ये डेमो स्टेशन तो चकाचक है, लेकिन हेरिटेज असुरक्षित...

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जीरो माइल स्टोन एक स्मारक के रूप में अंग्रेज सरकार के दौर में देश का केंद्र बिंदु घोषित किया गया। अंग्रेजों ने ही जीरो माइल स्टोन लगाकर देश के अन्य हिस्सों की दूरी मापन की व्यवस्था शुरू की। जीरो माइल स्टोन पर चार घोड़े और बलुआ पत्थर का एक पिलर बनाया गया है। करीब 1020.17 फीट ऊंचे पिलर को शून्य गणना का मानक घोषित किया गया है। साल 1907 में जीटीएस अर्थात ग्रेट ट्रिगोनोमेट्रिकल सर्वे में जीरो माइल अस्तित्व में आया था। 19वीं सदी में सर्वे ऑफ इंडिया की जीटीएस परियोजना विभिन्न मानचित्र एवं सर्वेक्षण कराया गया था। इस दौरान जीरो माइल को शून्य मानक माना गया। पिछले कई सालों से शहर की शान के साथ ही हेरिटेज सूची में यह शामिल है। पहले इसकी देखभाल की जाती थी लेकिन दो साल पहले मेट्रो रेल परियोजना के तहत इस पूरे स्थान को हेरिटेज वॉक के रूप में विकसित करने की घोषणा की गई है। इसे अमलीजामा पहनाने के लिए मेट्रो रेल ने डेमो स्टेशन का प्रतिबिंब तैयार किया है, लेकिन स्मारक की सुरक्षा और देखभाल को लेकर कोई इंतजाम नहीं किया गया है। यही नहीं, मेट्रो की घोषणा के बाद से हेरिटेज समिति और मनपा के उद्यान विभाग भी जीरो माइल की अनदेखी आरंभ कर दी है। ऐसे में स्मारक के चारों ओर गंदगी और बदहाली नजर आने लगी है। उपराजधानी से पूरे देश के लिए शून्य गणना का मानक 19वीं सदी में तैयार किया गया था। इस स्थान को शहर के साथ ही पूरे विदर्भ के मान के रूप में जीरो माइल घोषित किया गया है, लेकिन पिछले दो सालों में मेट्रो परियोजना के चलते शहर की पहचान की अनदेखी हो रही है। मेट्रो रेल के हेरिटेज वॉक के विस्तारीकरण से जीरो माइल की पहचान लुप्त होने लगी है। एक तरफ डेमो स्टेशन जहां चकाचक नजर आता है वहीं हेरिटेज सूची में शामिल जीरो माइल असुरक्षित है। पूरे इलाके में बदहाली का आलम है। गणना का मापक पिलर भी आसपास के पेड़ों से छिप गया है। प्रशासन का दावा है कि मेट्रो रेल द्वारा पर्याप्त देखभाल होती है, जबकि हकीकत इसके उलट है।

Created On :   2 Feb 2020 9:48 AM GMT

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