रेपिस्टों को फरलो न देने का फैसला सही, हाईकोर्ट ने सरकारी फैसले पर लगाई मुहर 

This is fine to not give farlo to rapist, HC sealed govt decision
रेपिस्टों को फरलो न देने का फैसला सही, हाईकोर्ट ने सरकारी फैसले पर लगाई मुहर 
रेपिस्टों को फरलो न देने का फैसला सही, हाईकोर्ट ने सरकारी फैसले पर लगाई मुहर 

डिजिटल डेस्क,मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में दोषी पाए गए मुजरिम को फरलो पर जेल से रिहा न किए जाने के सरकार के नियम को सही ठहराते हुए उसे कायम रखा है। इसेक साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि दुष्कर्म के मुजरिम के प्रति दया दिखाने का परिणाम समाज पर क्रूरता नहीं होना चाहिए। कार्यवाहक मुख्य जस्टिस वीके ताहिलरमानी व न्यायमूर्ति एमएस सोनक की बेंच ने दुष्कर्म के मामले में सजा भुगत रहे पुंडलिक गोले की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया है।

एक बालसुधार गृह चलाने वाले गोले को निचली अदालत ने साल 2013 में दुष्कर्म, अप्रकृतिक यौन संबंध बनाने, हत्या के प्रयास के लिए दोषी ठहराया था और उसे आजीवन करावासा की सजा सुनाई थी। इस बीच सरकार ने परिपत्र जारी कर साफ किया था कि जेल में बंद कुछ श्रेणी के अपराधियों को फरलो नहीं प्रदान की जाएगी। सरकार ने इसके लिए फरलों से जुड़े नियमों में साल 2015 में बदलाव किया था। सरकार के परिपत्र के मुताबिक दुष्कर्म की कुछ श्रेणियों व आतंकी मामले में दोषी पाए जानेवाले मुजरिम फरलो पाने के पात्र नहीं होंगे। याचिका में गोले ने सरकार के इस परिपत्र को भेदभावपूर्ण बताया था इसके साथ कहा था कि हत्या जैसे निर्मम अपराध के अपराधी को इस नियम से बाहर रखा गया है।

याचिका में गोले ने कहा था कि उस पर सहानुभूति दिखाई जाए और फरलों प्रदान की जाए, किंतु बेंच ने गोले की याचिका खारिज कर दी। इसके साथ ही कहा कि एेसे मुजरिमों को फरलो पर रिहा करने से समाज की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। हम सुधार के नाम पर व सहानुभूति के आधार पर ऐसे अपराधी को जेल से फरलो पर रिहा नहीं कर सकते। सरकार ने सभी पहलूओं पर विचार करने के बाद यह नियम बनाया है। यह कहते हुए बेंच ने सरकार के परिपत्र को कायम रखा और गोले की याचिका को खारिज कर दिया। 

Created On :   16 Jun 2018 5:55 PM IST

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