- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- जान की परवाह किए बिना प्रोटेक्ट...
जान की परवाह किए बिना प्रोटेक्ट करतीं हैं ये लेडी बाउंसर

दीप्ति मुले, नागपुर। बाउंसर शब्द सुनते हैं तो आंखों के सामने लंबा-चौड़ा ऊंचे कद वाले पुरुष की छवि आती है, पर अब समय बदल गया है। अब फीमेल बाउंसर की संख्या भी बढ़ रही है। लेडी बाउंसर की बात करें, तो आश्चर्य भी होगा, क्योंकि महिलाएं नाजुक होती हैं, उनकी हिफाजत खुद उनके पिता, पति, भाई और दोस्त करते हैं। शहर के निजी सिक्योरिटी सर्विस के संचालक सागर धनराज शिवहरे ने बताया कि, शहर की लेडी बाउंसर कई इवेंट्स में जाकर महिलाओं को प्रोटेक्ट करती हैं। इसके लिए उन्हें लेट नाइट तक घर से बाहर रहना पड़ता है।
शहर में प्राइवेट सिक्योरिटी सर्विस वाली संस्थाएं लेडी बाउंसर अरेंज कराते हैं। बाउंसर बनने के लिए उन्हें फिजिकल ट्रेनिंग लेनी पड़ती है। बाउंसर के जॉब के लिए थियोरी और प्रेक्टिकल दोनों का नॉलेज होना जरूरी है। शहर में इन दिनों लेडी बाउंसर्स का बोलबाला है कई पार्टीज में इन्हें देखा जा सकता है, जहां ये खुद की जान की परवाह न करते हुए दूसरे को प्रोटेक्ट करती हैं। सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग लेना भी इनके लिए जरूरी होता है।
पब और लेट नाइट पार्टीज में भी करती हैं काम
बाउंसर का काम ही अलग होता है। मेनली बाउंसर्स इसलिए रखी जाती हैं कि, पार्टी और इवेंट में झगड़ा न हो, अगर वहां झगड़े की स्थिति बनती है, तो लेडी बाउंसर दोनों पक्षों को समझाने का काम करती हैं। साथ ही जब तक पार्टी या इवेंट चलता है, तब तक इनकी ड्यूटी होती है। ये बड़ी ही ईमानदारी से अपना काम करती हैं।
महिलाओं की पार्टी में होती है लेडी बाउंसर
आजकल समय इतना बदल गया है कि, महिलाओं का लेट नाइट पार्टी करना आम हो गया है। पार्टी में अगर वाद-विवाद की स्थिति बनती है, तो लेडी बाउंसर इसे संभालती हैं। बाउंसर्स का काम मार-पिटाई करना नहीं होता है, वे किसी को हाथ नहीं लगाती हैं, अगर मामला ज्यादा बिगड़ जाता है, तो लेडी बाउंसर्स पुलिस को भी बता सकती हैं। उनकी कोशिश यही रहती है कि, स्थिति को संभालें। कई बार पार्टीज में लड़ाई-झगड़े की नौबत आ जाती है, उस स्थिती में बाउंसर्स उन्हें संभालने का काम करती हैं।
फिजिकल ट्रेनिंग की जरूरत
बाउंसर के लिए फिजिकल ट्रेनिंग लेना जरूरी है। शहर में कई जिम ऐसे हैं, जो इन्हें ट्रेनिंग देने का काम करते हैं। बाउंसर के लिए हाइट, हेल्थ अच्छी होनी चाहिए। पर्सनालिटी ऐसी होनी चाहिए कि, व्यक्ति को एक बार देखे तो व्यक्ति घबरा जाए। बाउंसर्स का जॉब करने वाली गर्ल्स का कहना कि, जब महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं, तो बाउंसर का जॉब भी कर सकती हैं। फैमिली वाले इस जॉब को जल्दी एक्सेप्ट नहीं करते हैं, पर कोई भी काम छोटा नहीं होता है। इसमें भी मेहनत करनी होती है।
फैमिली का रहा सपोर्ट
कोई भी तभी पूरा हो सकता है, जब फैमिलीी5 का सपोर्ट हो। मैंने बाउंसर का प्रोफेशन चुना तो फैमिली मेम्बर्स ने मेरा सपोर्ट किया। जब गर्ल्स हर क्षेत्र में आगे है, तो मैंने सोचा क्यों न बाउंसर की फील्ड को चुना जाए। इसमें काम थोड़ा अलग होता है, पर चुनौती वाले काम करने में बहुत अच्छा लगता है। मेरी हाइट 6 फुट 1 इंच है। बाउंसर के जॉब के लिए फिजिकल ट्रेनिंग लेना आवश्यक है। बाउंसर का काम लड़ाई-झगड़ा करना नहीं होता है, बल्कि कहीं लड़ाई-झगड़ा या विवाद की स्थिति होती है, तो बाउंसर उस स्थिति को संभालते हैं। अब बहुत सी गर्ल्स बाउंसर की फील्ड में आ रही हैं। सानिया डोंगरे, लेडी बाउंसर, नागपुर
Created On :   18 April 2018 2:12 PM IST