इस मां-बेटी की जोड़ी का क्लासिकल डांस में कमाल का परफार्मेंस

This mother-daughter duos amazing performance in classical dance
इस मां-बेटी की जोड़ी का क्लासिकल डांस में कमाल का परफार्मेंस
इस मां-बेटी की जोड़ी का क्लासिकल डांस में कमाल का परफार्मेंस

वंदना सोनी , नागपुर। वैसे तो बेटियों में मां का अक्स होता है लेकिन कई मां-बेटी की जोड़ियां कमाल की होती हैं । क्लासिकल डांस में साथ-साथ परफार्मेंस कर कला क्षेत्र में पहचान बनाई है इस मां-बेटी की जोड़ी ने।भरतनाट्यम व मोहिनीअट्टम नृत्यांगना प्रमीला उन्नीकृष्णन कहती हैं कला आपको पहचान देती है और आपका काम आपको कॉन्फिडेंस देता है। कला आपकी रूह को छूती है। कला साधना है और काम सक्रियता। साधना भी जरूरी है और सक्रियता भी। मेरे लिए मेरा नृत्य कला है और मेरी साधना भी। जीवन में एक्टिविटी और पाजिविटी का ज़रिया भी।


भरतनाटयम व मोहिनीअट्टम की प्रस्तुति करती हैं साथ-साथ 

वे कहती हैं  कि मुझे डांस करते देख मेरी बेटी को भी इस कला से प्रेम हो गया और अब वो भी इसे साधना मानती है। मेरा मानना है कि इस तरह की कला जीवन में निरंतरता बनाए रखती है और मुझे इससे बहुत संबल मिला है। प्रमीला उन्नीकृष्णन  भरतनाट्यम व मोहिनीअट्टम सिखाती हैं और वे देश के कई हिस्सों में भरतनाट्यम व मोहिनीअट्टम  प्रस्तुति कर चुकी हैं। 

गरीब बच्चों को सिखाती हैं नृत्य 


प्रमीला ने बताया कि हुनरमंद तो सभी होते हैं, लेकिन जो अपना हुनर  दूसरे को भी सीखा दें, उसे ही निपुण हुनरमंद कहा जा सकता है। क्योंकि विद्या ही ऐसी चीज है जो बांटने से बढ़ती है, घटती नहीं। वे  खुद तो हुनरमंद हैं ही, अपनी प्रतिभा दूसरे को सिखाते हुए वह साबित कर रही हैं कि दूसरे को हुनर सिखाना भी एक हुनर ही है। जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त में डांस सिखाती हैं। उनका मानना है कि ऐसे बच्चे पैसों के अभाव में अपना हुनर किसी के सामने पेश नहीं कर पाते हैं, इसलिए उनको डांस मुफ्त में सिखाती हैं ताकि उन्हें भी आगे चलकर अच्छा मंच मिल सके। प्रमीला उन्नीकृष्णन जो भरतनाट्यम और मोहिनीअट्टम में तो निपुण हैं ही, साथ ही वह उन गरीब बच्चों को नि:शुल्क नृत्य सिखाती हैं, जिनके मां-बाप आर्थिक परिस्थितियों के कारण नृत्य की शिक्षा नहीं दे पाते हैं। 

वह बताती हैं कि उनका सपना है कि गरीबों के बच्चे भी बड़े-बड़े कार्यक्रमों व राष्ट्रीय पर्वों में जाकर अपने नृत्य का हुनर दिखाएं। स्टेज पर जाने की झिझक उनके अंदर से दूर हो और अपने अंदर छिपी प्रतिभा को प्रदर्शित कर सकें। गरीब बच्चों को वह अपने घर में ही नि:शुल्क नृत्य सीखा रही हैं। उनके द्वारा सिखाए गए बच्चे कई प्रोग्राम में हिस्सा ले चुके हैं। बच्चों को नृत्य में क्लासिक डांस, मिक्स डांस सिखाती हैं।  गरीबों के बच्चे एक न एक दिन नृत्य करते बड़े-बड़े कार्यक्रमों में जरूर दिखाई देंगे। बच्चों को सिखाने के बाद राष्ट्रीय पर्वों में होने वाले कार्यक्रम में हिस्सा लेती हैं, ताकि बच्चों में आत्मविश्वास मजबूत हो सके। उनके स्कूल का नाम श्रीकृष्णम नृत्यालयम। वे 18 वर्षांे से नृत्य सीखा रही हैं। उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। 

मेरी मां मेरी गुरु हैं : डॉ. हनी उन्नीकृष्णन

डॉ. हनी उन्नीकृष्णन ने बताया कि मैं नृत्य करती हूं तो उसके नृत्य की लय में मां उतर आती है। उसके पैर थिरकते हैं तो उनमें मां की थाप सुनाई देती है।  नृत्य मैंने अपनी मां से सीखा। बेटी अपनी मां से सीखती है तो ज्यादा बेतहर तरीके से सीखती है। वे मेरी कल्पनाशीलता और काबिलीयत से इस परंपरा को आगे, और आगे बढ़ाती रहीं। मां ने मोहिनीअट्टम नृत्य की इस विधा को और समृद्ध बनाती रहीं। अपनी इस विरासत को अपनी बेटियों को सौंपती रहीं। मोहिनीअट्टमनृत्य परंपरा की एक कड़ी है। मां के साथ परफार्म करना अच्छा लगता है। मेरी मां मेरी गुरु हैं। नृत्य आज एक ऐसे मुकाम पर पहुंचा है जहां देश-विदेश के कला के पारखी लोगों से इसे प्रोत्साहन और सम्मान मिलता है।  विदेशी नृत्य को सीख रहे हैं। मां से नृत्य सीखने के साथ-साथ इसे सीखने-सिखाने की औपचारिक पद्धति से जोड़ना चाह रही है। नृत्य परंपरा पर आज के इस फैसले का भविष्य में क्या असर पड़ने वाला है यह तो कोई नहीं जानता किन्तु सहज रूप से सीखने की इस परंपरा से हजारों लोग लाभान्वित हो रहे हैं। 
 

Created On :   16 April 2018 1:25 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story