गांव के लोगों की पहल से हुआ नशे का खात्मा, बदल गया है गांव का माहौल

Through the initiative of few peoples death of drunkenness in village
गांव के लोगों की पहल से हुआ नशे का खात्मा, बदल गया है गांव का माहौल
गांव के लोगों की पहल से हुआ नशे का खात्मा, बदल गया है गांव का माहौल

रघुनाथसिंह लोधी, अनिल वाघमारे ,नागपुर।  इंसान यदि कुछ करने की ठान ले को कुछ भी असंभव नहीं है यह बात चिचाला गांव वासियों ने साबित कर दिखाया है। वर्षों पहले चिचाला गांव को शराब के नशे के लिए जाना जाता था। आज उस गांव को सेना की भर्ती और स्पोर्ट्स में युवाओं की उपलब्धि के लिए जाना जाता है। गांव के कुछ बुजुर्गों ने यहां ऐसा बदलाव किया कि गांव की फिजा ही बदल गई। शराबबंदी के बाद युवाओं को नए मार्गों पर ले जाने के लिए जो पहल हुई, उसके कारण इस गांव का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है। यहां का बच्चा-बच्चा सरहद का सिपाही बनना चाहता है। इसके लिए सुबह-शाम उन्हें गांव में तैयारी करते हुए देखा जा सकता है। इसी तैयारी का कारण है कि तत्काल उनका सेना में चयन भी हो जाता है। 2000 की जनसंख्या वाले इस गांव से 40 परिवारों के युवा फौज में शामिल हैं। वहीं राज्य पुलिस विभाग में 8, राज्य आरक्षित पुलिस दल में 3 शामिल हैं। इसी सप्ताह गांव के 6 युवाओं का चयन फौज में हुआ। उनके स्वागत में गांव के बुजुर्गों ने अपार स्नेह प्रकट किया। अन्य युवा दोगुने उत्साह के साथ फाैजी बनने के संकल्प को पूरा करने में जुट गए हैं। 

बुजुर्ग बढ़ाते हैं उत्साह
नागपुर से करीब 60 किमी रामटेक स्थित खिंडसी जलाशय से 4 किमी  दूर चिचाला गांव युवाओं में बदलाव का नया आदर्श बनने लगा है। चिचाला की जनसंख्या करीब 2000 है। हमलापुरी को मिलाकर चिचाला को गट ग्राम पंचायत का दर्जा मिला है। 7-8 वर्षों में यहां के लगभग 40 युवा फौज में शामिल हो गए हैं। राज्य पुलिस विभाग में 8, राज्य आरक्षित पुलिस दल में 3 युवा शामिल हुए हैं। बैंकिंग, मेडिकल, इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भी युवा शामिल हो रहे हैं। सबसे अधिक रुचि फौज में है। सुबह-शाम गांव की सड़कों पर तैयारी करने वाले युवाओं का झुंड दिख जाएंगा। फिजीकल टेस्ट की तैयारी के लिए दौड़ लगाते है। उत्साह बढ़ाने बुजुर्ग भी दौड़ते हैं। अजय बसीने, दीपक दमाहे, तिरंगा मोहारे, महेश दमाहे, सचिन हीरापुरे व संदीप सुलके का फौज में चयन हुआ। उन्हें प्रशिक्षण के लिए कर्नाटक के बेलगांव भेजा गया। पूरा गांव उत्साही था। बीस वर्ष का संदीप सुलके परिवार के साथ कुआं खोदने के काम में  शामिल था। फौज में चयन होने पर खुशी जताते हुए वह कहता है- मेरे गांव में आया बदलाव अब नया रिकार्ड बनाएगा। घर-घर में फौजी तैयार होंगे।
 

Created On :   26 March 2018 11:09 AM IST

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