बाघ के हमले में  1 महीने में गयी 3 जान, वनविभाग की नाकामी से बढ़ी वन्यजीवों की दहशत

Tiger fear in Brahmpuri forest department, killed many residents
बाघ के हमले में  1 महीने में गयी 3 जान, वनविभाग की नाकामी से बढ़ी वन्यजीवों की दहशत
बाघ के हमले में  1 महीने में गयी 3 जान, वनविभाग की नाकामी से बढ़ी वन्यजीवों की दहशत

डिजिटल डेस्क, ब्रम्हपुरी(चंद्रपुर)। ब्रम्हपुरी वनविभाग अंतर्गत जंगल में बीते 3-4 महिनों से नरभक्षी बाघ ने उत्पात मचा रखा है। अब तक 10  से 12  लोग शिकार हुए हैं। इस बीच नागरिकों की मांग के बावजूद उचित व ठोस उपाय योजना न किये जाने से वन्यजीवों की दहशत बढ़ी है। इससे जंगलों पर आधारित लोगों का हक का रोजगार छाना जा रहा है। नतीजा नागरिकों में वनविभाग के प्रति रोष व्याप्त है।

धान पट्टे में ग्रीष्मकाल में मिलनेवाला अधिकार का रोजगार के रुप में मोहफूल संकलन को पारंपारिक मान्यता है। रोजगार के अभाव में समय में इससे कई लोगों का गुजारा चल जाता है। बाजार में इसकी अच्छी मांग व अच्छे दाम मिलते हैं। उसके बाद तेंदूपत्ता संकलन आता है। जिससे और बड़ी राहत मिल जाती है। परंतु वनविभाग द्वारा ठोस उपाय योजना के अभाव में बाघ, तेंदुआ, भालू आदि वन्यजीवों के हमलों में इजाफा हो रहा है। इसमें किसानों के साथ खेतिहरों की भी जाने जा रही है। बाघ के हमले में मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता देकर वनविभाग अपने कर्तव्य की इतिश्री कर देता है। ऐसे में क्या वनविभाग ने वन्यजीवों के बदले  में इन्सानों की कीमत तय की है क्या? ऐसा संतप्त सवाल नागरिकों की चर्चा में है। 

ग्रीष्मकाल में महुआ फूल चुनने का काम लोगों के अधिकार के रोजगार कार्यो में शामिल हैं। ए क ओर सरकार 100 दिन अधिकार का रोजगार गारंटी के साथ देने का दावा करती है। वह पूरा नहीं होता। लोगों को काम की तलाश में बाहरी प्रदेशों की खाक छाननी पड़ती है। ऐसे में गांव में ही महुआ फूल संकलन से भी वनविभाग द्वारा मना किया जाना नागरिकों को पसंद नहीं आ रहा है। वनविभाग ने लोगों को जंगल के अंदर जाने से मना कर दिया है। वैसी सूचनाएं ग्रामीणों को दी गयी हैं। परंतु वनविभाग कोई वैकल्पिक काम की पेशकश नहीं कर रहा है। लोगों का कहना है कि गांव में ही कोई दूसरा रोजगार का साधन विकसित किया गया तो लोगों का जंगलों में भटकना संभवत: बंद होगा। 

सूचना का पालन नहीं करते लोग
हमने नागरिकों को सूचनाएं दी है। जंगल में वन्यजीवों के अधिवास क्षेत्र में जाने से मना किया है। फिर भी लोग चोरी-छिपे जंगल में महुआ फूल चुनने जा ही रहे हैं। घटना बता कर नहीं घटती। फिर भी वनविभाग के कर्मचारी सुरक्षा की दृष्टि से तैनात किए गए हैं। 
- जी.आर. नायगमकर, दक्षिण वनक्षेत्रिय अधिकारी, ब्रम्हपुरी

Created On :   20 April 2019 12:53 PM GMT

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