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नागपुर : टाइगर प्रोजेक्ट खतरे में , 2 साल में 36 बाघों की मौत

डिजिटल डेस्क,नागपुर। उपराजधानी के आस-पास दो सौ किलोमीटर के दायरे में दस टाइगर रिजर्व घोषित हैं। क्षेत्र में अनेक टाइगर प्रोजेक्ट और वन्यजीव अभयारण्यों को देखते हुए इसके टाइगर राजधानी के रूप में जल्द ही विकसित होने की संभावना है।लेकिन हाल के वर्षों में बाघों का कुनबा एक-एक कर मौत के आगोश में समा रहा है। 2 साल में राज्य में 36 बाघों ने दम तोड़ दिया है। जिसमें पिछले साल भर में ही 22 बाघों की मौत हुई है। सबसे ज्यादा बाघ दुर्घटना का शिकार हुए हैं। इससे एक ओर बाघ की संख्या जहां तेजी से कम हो रही है, वहीं दूसरी ओर संबंधित विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग रहे हैं।
पूर्व CM चव्हाण की संकल्पना
तत्कालीन केंद्रीय मंत्री और नागपुर के सांसद विलास मुत्तेमवार ने एक कार्यक्रम में कहा था कि देश के कुल 1400 बाघ क्षेत्रों में से 250 से ज्यादा विदर्भ क्षेत्र में हैं। तब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को यह विचार पसंद आया और वह इस मुद्दे को केंद्र के समक्ष उठाने पर राजी हुए तो ऐसा लगा कि नागपुर शीघ्र ही टाइगर राजधानी के रूप में पुकारा जाएगा लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इन नेताओं की संकल्पना पर बाघों की मौतों से प्रश्नचिह्न निर्माण हुआ है।
गत वर्ष हुई सर्वाधिक मौत
2016 में जनवरी से दिसंबर तक 14 बाघों की मौत हुई है। ताड़ोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प में 3, मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में 2, चंद्रपुर प्रादेशिक वनवृत्ति में 4 बाघों की मौत का समावेश है। 2017 जनवरी से दिसंबर तक व 2018 में जनवरी के अंत तक कुल 22 बाघों की मौत हुई है, जिसमें उमरेड करांडला, ब्रह्मपुरी, चंद्रपुर, बाजारगांव आदि परिसर के बाघों की मौत शामिल है।
अनेक पर्यटक आते हैं यहां
महाराष्ट्र में अनेक अभयारण्य हैं, जिसमें ताड़ोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प, मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प, वन विकास विभाग यवतमाल, वन विकास विभाग चंद्रपुर, नागपुर प्रादेशिक वनवृत्त व पेंच व्याघ्र प्रकल्प आदि का समावेश है। सभी जगह मिलाकर बाघों की संख्या 2 सौ से अधिक है। इस जंगल परिसर में वन विभाग का आरक्षित हिस्सा होने से पर्यटक यहां जंगल सफारी आदि के लिए पहुंचते हैं। सरकार को हर साल अच्छा खासा राजस्व प्राप्त होता है। पर्यटकों की ओर से जंगल सफारी करने का उद्देश्य केवल बाघों को देखना होता है। वर्तमान स्थिति में बाघों की संख्या ठीक-ठाक रहने से जंगल सफारी करने आने वालों को बाघ दर्शन होता है, लेकिन गत 2 साल में बाघ की लगातार संख्या कम हुई है। आने वाले समय में सैलानियों को बाघ दर्शन के लिए तरसना पड़ सकता है।
ज्यादा जानकारी देने में असमर्थ हूं
2017 में कुल 22 बाघों की मौत हुई है। मौत का कारण प्राकृतिक आपदा के साथ शिकार और दुर्घटना जैसे कारण हैं। अति व्यस्तता के कारण ज्यादा जानकारी देने में असमर्थ हूं।
एस.बी. भलावी, उपवनसंरक्षक (वन्यजीव)

Created On :   30 Jan 2018 11:30 AM IST