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आज चांदनी रात में होगी वन्यजीवों की गणना,140 मचान तैयार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विदर्भ के जंगलों में 140 मचान तैयार किए गए हैं जिसमें से वन्यजीवों की गणना की जाएगी। वन विभाग ने पूर्णिमा की रात होने वाले मचान गणना को इस वर्ष से बंद कर उसे ‘निसर्गानुभव’ नाम दिया है। इस पूरी रात चांद की रोशनी में वन्यजीवों का दीदार करने के लिए वन विभाग ने विभिन्न जंगलों में करीब 140 मचान बनाए हैं। ये मचान ऐसे स्थानों पर बनाए गए हैं, जहां वन्यजीव पानी पीने आते हैं। इन्हें देखने के लिए करीब 200 लोगों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाए हैं। वन विभाग के संबंधित कर्मचारी रविवार को अपने-अपने स्पॉट पर रवाना हो गए।
कहां, कितने मचान
विदर्भ में पेंच, ताड़ोबा, बोर, मेलघाट जैसे जंगल क्षेत्र हैं। जहां बड़ी संख्या में वन्यजीवों का बसेरा है। इसमें बाघों का भी सामावेश है। गत वर्ष तक मचान गणना के नाम से रात भर वन्यजीवों की गणना के साथ-साथ उनका दीदार किया जाता था। इसका मूल उद्देश्य था कि जंगल क्षेत्र में कितने और कौन से प्राणी हैं। हालांकि यह गणना अविश्वसनीय रहने से इस वर्ष से इसे बंद कर ‘निसर्गानुभव’ नाम दिया गया है। इसमें मचान पर बैठे वन्यजीव प्रेमी चांद की रोशनी में पानी पीने आनेवाले जानवरों का दीदार कर इस अद्भुत पलों का अनुभव लेंगे। इस प्रकिया को साकार करने के लिए विदर्भ में 140 मचान बनाए गए हैं। चोरबाहुली में 18, पश्चिम पेंच में 8, सालेघाट में 16, नागलवाडटी में 13, न्यू बोर में 8, उमरेड में 5, कुही में 8, पवनी में 8, टिपेश्वर में 18, खरबी में 18, बिटरगांव में 8 व उमरखेड में 12 मचानों का सामावेश है।
जंगल के प्रति लगाव बढ़ाना उद्देश्य
18 वर्ष के ऊपर के स्थानीय छात्रों को भी वन्य प्राणियों को देखने का अवसर मिलेगा। इनके लिए अलग से मचान आरक्षित रखे गए हैं। जानकारों के अनुसार उक्त जंगल जिन गांवों से लगे हैं, उन गांव निवासियों को मचान निरीक्षण के दौरान गार्ड के साथ पूरी रात जागते हुए पानी पीने के लिए कौन-से प्राणी कैसे आ रहे, इसका निरीक्षण कराया जानेवाला है। ताकी उनका जंगल के प्रति लगाव बढ़े। वर्तमान स्थिति में आग लगने से लेकर प्राणियों की शिकार के प्रति गांव निवासियों का उदासीन रवैया देखा जाता है, लेकिन इस तरह के नए प्रयोग से वह वन विभाग के खबरी बन सकते हैं। ग्रामीणों के लिए विशेषतौर पर मचान आरक्षित रखे हैं।
Created On :   30 April 2018 11:49 AM IST