संतरा के मुकाबले टमाटर से हो रही चौगुनी कमाई 

Tomatoes are getting quadruple compared to orange
संतरा के मुकाबले टमाटर से हो रही चौगुनी कमाई 
संतरा के मुकाबले टमाटर से हो रही चौगुनी कमाई 

पांच सालों में आने वाली संतरा फसल को टक्कर दे रही 60 से 70 दिन में आने वाली टमाटर की फसल
डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा/पांढुर्ना
। इन दिनों टमाटर उत्पादक किसानों के चेहरे खिले-खिले नजर आ रहे हैं। एकाएक बढ़े टमाटर के भावों से किसानों को अच्छी आमदनी हो रही है। पांढुर्ना के बाजारों के अलावा टमाटर को सौंसर, सावनेर और नागपुर के बाजारों में 800 रुपए प्रति कैरेट तक के भाव मिले हैं। ऐसे में 60 से 70 दिनों में आने वाली टमाटर की फसल ने पांच सालों की मेहनत के बाद बगीचों में लहलहाने वाली संतरा फसल को भी मात दे दी है। इन दिनों टमाटर को जहां 700 से 800 रुपए प्रति कैरेट के भाव मिल रहे हंै, वहीं संतरों का भाव दो सौ से ढाई सौ रुपए कैरेट पर सिमट गया है।
नागपुर मंडी में टमाटर को मिले 800 रुपए कैरेट के भाव
बीते तीन-चार दिनों से स्थानीय टमाटर की नागपुर की मंडी में अच्छी पूछ-परख बनी हुई है। यहां पांढुर्ना से पहुंच रहे टमाटर को व्यापारी 650 से 800 रुपए प्रति कैरेट के हिसाब से हाथों हाथ ले रहे हैं। एक कैरेट में 27 से 28 किलो टमाटर आते है, ऐसे में किलो के हिसाब से टमाटर को 25 रुपए किलो से अधिक के भाव मिल रहे हंै। नागपुर के अलावा सौंसर-सावनेर में 600-600 और पांढुर्ना में 700 रुपए प्रति कैरेट के भाव भी टमाटर को मिले हैं। ग्राम राजना के टमाटर उत्पादक किसान वामनरावजी डोबले ने बताया कि टमाटर के भाव क्वालिटी पर निर्भर रहते हैं। इन दिनों हमारे खेतों से अच्छी क्वालिटी के टमाटर निकल रहे है, ऐसे में व्यापारी क्वालिटी के आधार पर अच्छे भाव दे रहे हंै।
रसीले संतरों को मिल रहे दो सौ रुपए कैरेट के भाव
जहां टमाटर को अधिकतम 800 रुपए प्रति कैरेट यानि 25 से 30 रुपए किलो तक के भाव मिल रहे हंै, वहीं क्षेत्र की मुख्य संतरा फसल को बेभाव बेचने की स्थिति बन रही है। स्थानीय संतरा व्यापारी इन दिनों संतरों का अधिकतम 200 से 250 रुपए प्रति कैरेट का भाव लगा रहे हैं। एक कैरेट में 20 से 22 किलो संतरा आता है यानि संतरों को आठ से दस रुपए किलो के भाव मिले रहे हैं। ऐसे में संतरा उत्पादक किसानों की बगीचों में लहलहा रही संतरा फसल को देखकर चिंता बढऩे लगी है। संतरा उत्पादक किसान मोहन लेंडे ने बताया कि इस साल आंबिया बहार की फसल अधिक होने से संतरों के भाव उठ नहीं पा रहे हंै। किसानों को अच्छे भाव दिलाने के लिए संतरों के भी न्यूनतम भाव तय होने चाहिए।

Created On :   28 Nov 2020 12:00 PM GMT

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