ताक पर पर्यावरण - पेड़ काटने वाले खुश, डिपॉजिट से मनपा मालामाल

Tree cutters happy, Manpa gets rich from deposits
ताक पर पर्यावरण - पेड़ काटने वाले खुश, डिपॉजिट से मनपा मालामाल
हरियाली में हेरा-फेरी ताक पर पर्यावरण - पेड़ काटने वाले खुश, डिपॉजिट से मनपा मालामाल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नियम है कि एक पेड़ काटने के बदले पांच पौधे लगाने होंगे। 3 साल तक उसकी देखभाल भी करनी होगी। इस शर्त पर ही पेड़ काटने की अनुमति दी जाती है। अब यहां अजीब स्थिति सामने आई है। लोगों ने पेड़ काटने की अनुमति ली और पेड़ काट भी लिए, लेकिन पौधे लगाने से मुकर गए। कारण, 5 पौधे लगाने व उसके देखभाल की जिम्मेदारी। अब पर्यावरण की रक्षा को लेकर मनपा की संजीदगी देखिए। पेड़ काटने के लिए 5 हजार रुपए डिपॉजिट और 500 रुपए प्रशासकीय खर्च लिया जाता है। एक के बदले 5 पौधे लगाकर 3 साल सही संगोपन करने पर डिपॉजिट वापस किया जाता है। 10 साल में किसी भी व्यक्ति ने डिपॉजिट वापस नहीं लेने से साफ जाहिर है कि पेड़ काटने वालों ने पौधे नहीं लगाए। मतलब पेड़ काटने वाला खुश और मनपा डिपॉजिट से गद्गद। मगर, क्या मनपा इस डिपॉजिट राशि से पौधारोपण कर भरपाई करती है। अगर करती होगी, तो 10 साल में 10262 पेड़ों के बदले अतिरिक्त 51,310 पौधे जिंदा दिखने चाहिए।

10 साल में 10262 पेड़ कटाई
पेड़ काटने के लिए मनपा से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है। बिना अनुमति लिए पेड़ काटने पर कानूनी कार्रवाई की जाती है। साल 2012 से साल 2022 तक 10 साल में शहर में 10262 पेड़ों की कटाई की गई। मनपा के उद्यान विभाग से बाकायदा काटने की अनुमति दी गई। मनपा का दावा है कि उसी कालावधि में 3 लाख, 82366 पौधे लगाए गए। मनपा हर साल पौधारोपण पर लाखों रुपए खर्च करती है। उनमें से कितने पौधे जीवित है, उसका मनपा के पास लेखा-जोखा नहीं है।  पौधों की गिनती का यह घालमेल कई करोड़ का है। सिर्फ 10262 पेड़ों की बात करें तो मनपा के नियमानुसार डिपॉजिट राशि   5 करोड़ 13 लाख से ज्यादा और 51 लाख से ज्यादा प्रशासकीय खर्च होता है।   

पौधे नहीं लगाने पर डिपॉजिट जब्त

रवींद्र भेलावे, उपायुक्त (उद्यान), महानगरपालिका के मुताबिक एक पेड़ काटने के लिए 5 हजार रुपए डिपॉजिट और 500 रुपए प्रशासकीय खर्च लिया जाता है। काटे गए पेड़ के बदले में पौधे लगाकर 3 साल देखभाल करने पर डिपॉजिट वापस दिया जाता है। यदि कोई पौधे नहीं लगाता है, उसकी डिपॉजिट जब्त कर वह रकम सालाना पौधारोपण पर खर्च की जाती है।

मनपा से अनुमति लेकर काटे गए आंकड़े मनपा के पास है। इसके अलावा बिना अनुमति लिए हजारों पेड़ों की कटाई की गई है। उसमें से जिनकी शिकायत मनपा को मिली, ऐसे 267 प्रकरण न्यायालय पहुंचे हैं। कुछ प्रकरणों में अवैध पेड़ कटाई करने पर जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया है। कई पेड़ काटकर रफा-दफा किए गए, जिसकी मनपा को भनक तक नहीं लगी। या यूं कहे भनक लगने पर भी किसी की शिकायत नहीं मिलने से नजरअंदाज किया गया।

प्रदूषण स्तर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक 

हरियाली से युक्त नागपुर शहर का वातावरण स्वास्थ्य के लिए पोषक था। शहरीकरण की रफ्तार में जनसंख्या बढ़ रही है। उसके ठीक उल्टे विकास के नाम पर पेड़ों की तेजी से कटाई हो रही है। हवा शुद्ध करनेवाले पेड़ों की संख्या घटने से प्रदूषण बढ़ रहा है। अमेरिका के सैटेलाइट वायु गणना के अनुसार नागपुर शहर की हवा का प्रदूषण स्तर मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया गया है। 

वृक्ष गणना में पता चलेगा कितने पेड़ हैं

10 साल बाद इस वर्ष वृक्ष गणना की जा रही है। साल 2011 में हुई वृक्ष गणना के अनुसार शहर में 21 लाख पेड़ थे। इस बार वृक्ष गणना में हुडकेश्वर और नरसाला ग्रामीण क्षेत्र शहर में जुड़ जाने से उनकी सीमा के वृक्षों की गणना की जाएगी। 10 साल में 3 लाख, 82366 पौधे लगाए जाने का दावा किया गया है। इसे जोड़कर शहर में पेड़ों की संख्या 25 लाख पार बताई जा रही है। पौधारोपण किए गए कितने पौधे जीवित हैं, इसका आंकड़ा नहीं रहने से वृक्ष गणना के बाद ही पता चलेगा शहर में कितने पेड़ हैं।

 

Created On :   6 Feb 2022 2:41 PM IST

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