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सत्य, प्रेम व करुणा ही धर्म है: दशहरा मैदान पर मोरारी बापू को सुनने उमड़ा जन सैलाब

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। श्रीराम चरित मानस एवं भगवान हनुमान के जीवन का निचोड़ में आपको बता दू कि सत्य, प्रेम एवं करुणा ही सबसे बड़ा धर्म है। वैमन्सता, कट्टरता छोड़ दे तो सत्य को सबने स्वीकार किया है। गांधी जी पहले कहते थे परमात्मा सत्य है लेकिन बाद में उन्होंने कहा सत्य ही परमात्मा है। जीजस ने पहले कहा कि परमात्मा प्रेम है लेकिन अंत में उन्होनें कहा पे्रम ही परमात्मा है। इसी तरह बौद्ध ने कहा परमात्मा करुणा है लेकिन बाद में बताया कि करुणा ही परमात्मा है। उक्ताशय के उदगार विश्व प्रसिद्ध कथा वाचक संत मोरारी बापू ने एक दिवसीय प्रवचन के दौरान दशहरा मैदान में व्यक्त किए। हनुमान जयंती के पावन अवसर पर आयोजित कथा से पूर्व केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ एवं पुत्र नकुलनाथ ने मोरारी बापू का पुष्पाहार से स्वागत एवं शाल प्रदान कर अभिनंदन किया। इस मौके पर बापू को स्मृति स्वरुप सिमरिया हनुमान मंदिर का चित्र भेंट किया गया। दोहपर 1 बजकर 20 मिनिट प्रारंभ हुई कथा 2 बजकर 45 मिनिट तक चली। जिसमें मोरारी बापू ने भगवान श्री हनुमान के जीवन चरित्र की विशेषता बताकर उसे अंगीकार करने की सीख दी। उन्होंने कहा कि हनुमान जी शंकरजी के अवतार है तथा उनके पांच मुख है। वह पंच प्राण के रक्षक है। रामचरित मानस में उन्होंने माता सीता, भरत, सुग्रीव, वानर भालु और लक्ष्मण की जान बचाई है। वह पंच तत्व से निर्मित है। हनुमान जी पंच धर्मा है। उन्होंने पंच सोपान दिया है। जिसे जीवन में उतरकार हम सफल हो सकते है।
भगवान से जुड़े रहना जरुरी
मोरारी बापू ने कहा कि मंदिर चार प्रकार के होते है। पहला तीर्थ स्थलों के मंदिर, हर व्यक्ति वहां जा नहीं सकता। दूसरा मंदिर होता है हमारे गांव का, जिसमें हम रोज जा सकते हैं। तीसरा मंदिर होता है हमारे घर में, जहां हम रोज घर से निकलते समय व लौटकर माथा टेक सकते है। लेकिन यह भी नहीं कर सकते तो चौथा मंदिर होता है दिल में उसके साथ जुड़े रहना जारुरी है।
मंदिर दिव्य होता है भव्य नहीं
दशहरा मैदान पर संत मोरारी बापू ने कहा कि सिमरिया में विशाल हनुमान जी की सुंदर प्रतिमा स्थापित की गई है। देशभर में जगह जगह हनुमान जी की प्रतिमाएं स्थापित है, होनी भी चाहिए क्योंकि हनुमान जी कोई सम्प्रादायिक नहीं है। मंदिर दिव्य होता है भव्य नहीं। मंदिर वो है जो हमारे मन को जोड़े। सिमरिया में स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा अतिसुंदर है यहां वह सब कुछ है जो एक स्थापित प्रतिमा में होना चाहिए।
अनुमान नहीं हनुमान हमारी जड़े है
इस देश की जड़े श्रीराम है। उसी तरह श्रीराम भक्त हनुमान भी हमारी जड़ो में निहित है। अनुमान लगाना हमारी संस्कृति है। अपनी जड़ो से जो बिछड़ जाएगा वह कभी न कभी गिर जाएगा। इसलिए अपनी जड़ों से जुड़े रहें।
Created On :   2 April 2018 6:12 PM IST