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लंपी से बचने की जुगत, 8 टीमें बनाईं-10 हजार गोटपाक्स इंजेक्शन आरक्षित रखे
डिजिटल डेस्क, नागपुर. जिले में आखिरकार दुधारू जानवरों पर होने वाली लंपी बीमारी ने दस्तक दे दी है। सावनेर तहसील के बड़ेगांव और उमरी गांव में दो पशुओं पर प्राथमिक लक्षण दिखाई दिए हैं। इसके बाद प्रशासन ने दोनों जानवरों के नमूने लेकर प्रादेशिक अन्वेषण प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा है। वहीं दूसरी ओर परिसर के 20 गांवों के दुधारू जानवरों पर वैक्सीनेशन शुरू कर दिया गया है। इसके साथ ही लंपी सहित अन्य बरसात जन्य बीमारियों को लेकर भी पशुपालकों में जनजागरण किया गया है।
हरकत में आया पशुचिकित्सा विभाग
पिछले कई माह से लंपी के प्रकोप से बचे रहने के बाद आखिरकार उपराजधानी में दस्तक दे दी है। सावनेर तहसील के दो गांवों में लंपी के लक्षण दुधारू जानवरों में दिखाई दिए हैं। जिप के पशुचिकित्सा विभाग के साथ ही पशुसवंर्धन विभाग ने उपाययोजना शुरू कर दी है, लेकिन लंपी के साथ ही जिले में संक्रामक थाइलोरियासिस, बेबेसियोसिस और ट्रीपीनियोसिस जैसी बीमारी का भी प्रकोप दुधारू जानवरों पर हो रहा है।
5,126 जानवरों को चिन्हित किया
जिप के पशुसंवर्धान विभाग को जिलाधिकारी ने तत्काल उपाययोजना का निर्देश दिया है। दोनों संभावित लंपी के लक्षण वाले जानवरों के नमूनों को जांच के लिए भेजा गया है। सावनेर तहसील में संभावित लंपी प्रकोप को देखते हुए प्रतिबंधात्मक उपाययोजना शुरू कर दी गई है। पिछले 48 घंटे में 2 जानवरों में लंपी के संभावित लक्षण दिखाई दिए हैं। ऐसे में 5 किमी की परिधि 20 गांवों में 5,126 दुधारू जानवरों को चिन्हित किया गया है। इन जानवरों को वैक्सीनेशन करने के लिए 8 टीम बनाई गई है।
6.30 रुपए प्रति डोज दर निर्धारित
जिप के पशुचिकित्सा विभाग ने जिले में लंपी सहित अन्य बीमारियों के संभावित संक्रमण की स्थिति को देखते 10 हजार गोटपाक्स इंजेक्शन को आरक्षित रखा है। गोटपाक्स इंजेक्शन की करीब 6.30 रुपए प्रति डोज दर निर्धारित की गई है। लंपी के प्रभाव को देखते हुए 2 से 5 डोज तक पशुओं को देने होते है। पिछले साल मार्च से जुलाई के बीच जिले में लंपी का आंशिक संक्रमण हुआ था। ऐसे में कई इलाकों में जानवरों को वैक्सीन दिए गए थे। ऐसे में इस मर्तबा संक्रमण के तेजी से फैलने की संभावना कम दिखाई देे रही है।
डॉ. राजेंद्र रेवतकर, सहायक पशु चिकित्सा अधिकारी, जिप के मुताबिक सावनेर तहसील में दो गांवों में पशुओं में आरंभिक लक्षण नजर आए हैं। ऐसे में नमूनों को संकलित कर प्रादेशिक रोग अन्वेषण में भेजा गया है। लंपी के साथ ही थाइलोरियासिस, बेबेसियोसिस और ट्रीपीनियोसिस जैसी बीमारी भी जानवरों की दूध उत्पादन क्षमता प्रभावित करती है। मूल रूप से गोठे में गंदगी में गोचिड़ का प्रभाव होता है। इस गोचिड़ से ही लंपी सहित अन्य संक्रामक बीमारियों का प्रादुर्भाव होता है। किसानों और पशुपालकों ने सफाई रखने के साथ ही एन्टीएक्टोपैरासाइड का छिड़काव करना चाहिए।
Created On :   15 Sept 2022 7:44 PM IST