- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- तूतीकोरीन प्रकरण: नीरी के सुझाव...
तूतीकोरीन प्रकरण: नीरी के सुझाव को स्टारलाइट ने किया नजरअंदाज, भुगतना पड़ रहा खामियाजा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। तमिलनाडु में तूतीकोरीन प्रकरण में नीरी ने पहले ही स्टारलाइट कंपनी को सुधार के सुझाव दिए थे। कंपनी ने नीरी की बात नहीं मानी जिसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। बता दें कि तूतीकोरीन शहर में वेदांता के स्टरलाइट कॉपर यूनिट के खिलाफ लोगों का गुस्सा भड़का हुआ है। लोग इस यूनिट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन कई बार हिंसक हुआ। पुलिस के साथ झड़प में 12 लोगों की मौत भी हो चुकी है, कई लोग घायल भी हुए हैं। इसके बाद तमिलनाडु सरकार की ओर से कंपनी पर ताला लगा देने की घटनाओं के बीच यह खबर आई थी कि नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी शोध संस्थान (नीरी) की गलत रिपोर्ट के कारण ही स्टारलाइट का तांबा शोधन का कारखाना शुरू रखा गया था पर नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी शोध संस्थान (नीरी) का स्पष्ट कहना है कि नीरी ने सुधार के सुझाव दिए थे, पर स्टारलाइट ने उसे नहीं माना।
तथ्यों को ठीक से उजागर नहीं किया
स्थानीय पर्यावरणविद व लेखक नित्यानंद जयरमन ने दावा किया कि नीरी ने जो रिपोर्ट दी, उसमें कुछ तथ्यों को ठीक से उजागर नहीं किया गया या उन पर जोर नहीं दिया गया। इससे स्टारलाइट को बचने का मौका मिला। हालांकि नीरी का दावा है कि रिपोर्ट निष्पक्ष थी और अदालतों ने उसी आधार पर अपने आदेश भी दिए हैं।
भ्रामक खबर फैलाई जा रही है
नीरी के वर्तमान निदेशक राकेश कुमार के अनुसार, नीरी के विरुद्ध भ्रामक खबर फैलाई जा रही है। नीरी ने कभी भी अपनी रिपोर्ट में स्टारलाइट को क्लीनचिट नहीं दी है। नीरी को अध्ययन कर रिपोर्ट देने कहा गया था। उसी आधार पर नीरी ने स्टारलाइट कारखाने में जाकर जमीनी रिपोर्ट तैयार की थी। रिपोर्ट में पर्यावरण के नियमों का जहां उल्लंघन था, उसे बताया गया है। साथ ही उन्हें दूर करने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए, वह भी बताया गया है। नीरी ने रिपोर्ट में भू-जल, वर्षा जल संकलन, हवा में कणिका तत्व (परटिक्यूलेट मैटर) जल संशोधन आदि में गड़बड़ियों को उजागर किया है और उन्हें सुधारने के लिए क्या करना चाहिए उस पर सुझाव दिए हैं। नीरी ने विस्तृत रिपोर्ट दी है।
नीरी की रिपोर्ट पर ही स्टारलाइट पर ताला लगा था, फिर 100 करोड़ का जुर्माना
तत्कालीन परियोजना प्रमुख तथा इस रिपोर्ट को बनाने वाले तपन चक्रवर्ती के अनुसार, स्टारलाइट को लेकर नीरी की नीयत पर सवाल उठाने वाले दरअसल संस्थान को बदनाम करना चाह रहे हैं। नीरी हमेशा से निष्पक्ष व सही रिपोर्ट की हिमायती रही है। 1998 में नीरी की रिपोर्ट के आधार पर ही मद्रास उच्च न्यायालय ने 1999 में स्टारलाइट को बंद करने के आदेश दिए थे। इसी प्रकार जब यह प्रकरण उच्चतम न्यायालय में सुना गया तब 2011 में उच्चतम न्यायालय ने स्टारलाइट पर 100 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। यदि नीरी ने गलत रिपोर्ट या स्टारलाइट को क्लीनचिट दी होती तो दोनों अदालतों के आदेश ऐसे नहीं होते।
Created On :   31 May 2018 12:59 PM IST