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एसटी बसों की सीट पर टीवी को लगेगा किराया, सामान रैक में वजन के अनुसार ही देना पड़ेगा किराया
डिजिटल डेस्क, नागपुर। एसटी बसों में यात्रियों की सीट पर टीवी ले जाने पर एक यात्री के बराबर किराया देना पड़ रहा है। नवंबर माह में इस संबंध में राज्य मार्ग महामंडल ने राज्य के सभी विभाग को इस संदर्भ में जानकारी दी है। लंबे समय से बसों के भीतर टीवी लेकर जाने से कंडक्टर व यात्रियों में विवाद हो रहे थे। वहीं दूसरे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता था। मुख्यत: ग्रामीण क्षेत्र में जाने वाली बसों में यह दिक्कत सामने आ रही थी। ऐसे में अब टीवी लेकर जानेवालों से यात्री किराया लिया जा रहा है।
गौरतलब है कि नागपुर विभाग अंतर्गत 580 बसें वर्तमान स्थिति में चलाई जा रही है। जिसमें 300 से ज्यादा लाल बसें ही है। यह बसें शहरों के अलावा अधिकांशत: ग्रामीण क्षेत्र में चलाई जाती है। संकरी व कच्ची सड़कों पर यह बसें आराम से चलाई जाती है। भले ही शहर में स्मार्ट फोन ने लोगों की टीवी देखने की आदतें बंद कर दी है। लेकिन ग्रामीण खासकर छोटे गांवों में आज भी टीवी मनोरंजन का साधन है। लंबे समय से एस टी बस कंडक्टर व टीवी लेकर जानेवाले यात्रियों में तनाव बढ़ रहा था। कारण यह था कि कई लोग मरम्मत या फिर खरीदकर टीवी बसों की सीट पर रखकर एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाते थे। टीवी को सीट पर रखने से भीड़वाली बसों में यात्रियों को बैठने के लिए जगह नहीं मिलती थी। इस बात को लेकर गाड़ी के कंडक्टर व यात्री में जमकर विवाद होता था।
नियमानुसार टीवी को सामन की रैक में रखना पड़ता है। जिससे उनके लिए टीवी के वजन अनुसार किराया भी लिया जाता है। लेकिन कई यात्री टीवी फूटने, गिरने आदि के डर से अपने पास ही सीट पर टीवी रखकर बैठते थे। टीवी के वजन अनुसार पैसे देकर वह वैध तरीके से टीवी लेकर जाने की बात भी कहते थे। कई बार कंडक्टर इस बात पर यात्रियों को ज्यादा नहीं बोल सकते थे। लगातार यात्री व कंडक्टरों के बीच में होनेवाले इन विवादों को लेकर अब राज्य मार्ग परिवहन महामंडल ने एक पत्रक जारी किया है। जिसमें सीट पर टीवी लेकर जानेवाले यात्रियों से यात्री किराया जितना टीवी का किराया लेने की बात कही है। नवंबर माह के पहले सप्ताह के आखिर में आये इस पत्रक को बस सेवा में लागू भी किया गया है। ऐसे में रैक में टीवी रखकर टीवी लेकर जाने में ही यात्रियों की भलाई है। यदि सीट पर रखी टीवी बड़ी है, और इससे दो लोगों की जगह घेरी है तो दुगुना किराया भी कंडक्टर ले सकता है।
भीड़वाली बसों में ज्यादा तकलीफ
राज्य में 17 हजार बस रोजाना विभिन्न दिशा में चलाई जाती है। एक लाख कर्मचारी इन बसों की कमान संभालते हैं। जिससे प्रतिदिन 70 लाख के करीब यात्री सफर कर सकते हैं। बावजूद इसके ग्रामीण क्षेत्र में बसों की संख्या आज भी काफी कम है। परिणामस्वरूप दिन में एक समय चलनेवाली बसों में प्रति दिन भीड़ रहती है। ऐसे में टीवी काे बसों में लेकर जाने से परेशानियों का अंदाजा लगाया जा सकता है।
Created On :   18 Nov 2019 3:04 PM IST