डॉक्टरी की पढाई के बाद अमेरिका में रिसर्च स्कालर बनी जुड़वा बहने एनओसी के लिए पहुंची हाईकोर्ट

Twin reached high court for NOC after doctoral studies in America
डॉक्टरी की पढाई के बाद अमेरिका में रिसर्च स्कालर बनी जुड़वा बहने एनओसी के लिए पहुंची हाईकोर्ट
डॉक्टरी की पढाई के बाद अमेरिका में रिसर्च स्कालर बनी जुड़वा बहने एनओसी के लिए पहुंची हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय को दो जुड़वा बहनों के भारत वापस न आने से जुड़ा अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओआरआई सर्टिफिकेट) के आवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। केंद्र सरकार ने अपने एक निर्णय के तहत डाक्टरों को एनओआरआई सर्टिफिकेट जारी करने पर रोक लगाई है। नई मुंबई के निजी कालेद से एमबीबीएस की डिग्री हासिल करनेवाली ये दोनों बहने रिसर्च स्कालर के तौर पर अमेरिक के अस्पताल में कार्यरत है। वर्तमान में दोनों जे1 वीजा पर है जिसकी अवधि मई 2021 है। जिसे एक साल तक के लिए और बढाया जा सकता है। 

अदालत ने केंद्रीय स्वास्थय व परिवार कल्याण मंत्रालय को निर्णय लेने दिया निर्देश

पिछले दिनों इन दोनों बहनों ने केंद्र सरकार के संबंधित विभाग के पास एनओआरआई सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया था जिसमें इन्होंने दावा किया था कि उनके पास एमबीबीएस की डिग्री जरुरी है लेकिन वे डाक्टर के तौर पर काम नहीं कर रही है। उनकी डाक्टरी में रुची नहीं है।  वे रिसर्च स्कालर के तौर पर अमेरिका में काम कर रही है। वे जो अमेरिका में काम कर रही है उसमें वे बिल्कुल भी मरीजों के संपर्क में नहीं आती। इसलिए उन्हें डाक्टर के तौर पर नहीं मेडिकल रिसर्चर के तौर पर देखा जाए। केंद्र सरकार ने अपने एक नीति के तहत इन दोनों बहनों को एनओआरआई सर्टिफिकेट जारी करने से इंकार कर दिया है। जिसके खिलाफ दोनों बहनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

याचिका में दोनों बहनों ने सरकार के निर्णय को मनमानीपूर्ण व भेदभाव पूर्ण बताया है। याचिका में दावा किया गया है कि उनके माता-पिता को ग्रीन कार्ड जारी किया जा चुका है। इन्होंने ने भी इसके लिए आवेदन किया है जिस पर सिर्फ इसलिए विचार नहीं किया जा रहा है क्योंकि  उन्होंने एनओआरआई सर्टिफिकेट नहीं पेश किया है। याचिका में कहा गया है कि यदि इन्हें यह सर्टिफिकेट नहीं जारी किया गया तो इनका कैरियर व नौकरी प्रभावित हो सकती है। क्योंकि वे अमेरिका में रह नहीं पाएगी।

न्यायमूर्ति नीतिन जामदार व न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने हाईकोर्ट के इसी तरह के मामले को लेकर एक पुराने आदेश की प्रति पेश की। जिसमें डाक्टर व मेडिकल रिसर्च स्कालर के बीच के अंतर व भिन्नता को दर्शाया गया है। इस लिहाज से याचिकाकर्ता को राहत मिलनी चाहिए। 

केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता आरवी गोविलकर ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थय व परिवार कल्याण मंत्रालय इस बारे में निर्णय के लिए उचित एथारिटी है। इसके बाद खंडपीठ ने इस मंत्रालय को याचिकातर्चा के दावे का परीक्षण कर निर्णय लेने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई 20 जनवरी 2021 तक के लिए स्थगित कर दी। खंडपीठ ने सरकार को अगली सुनवाई के दौरान हलफनामा भी दायर करने को कहा है। 

Created On :   22 Dec 2020 6:14 PM IST

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