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‘समग्र शिक्षा अभियान' लाएगा शिक्षा की नई बयार,शिक्षकों को दी जाएगी ट्रेनिंग

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ‘समग्र शिक्षा’ अभियान अब शिक्षा क्षेत्र में नई बयार लेकर आ रहा है। सर्वशिक्षा अभियान कीी जगह शुरू हो रहे इस नए अभियान के लिए शिक्षकों को पहले ट्रेनिंग भी दी जाएगा। उल्लेखनीय है कि विद्यार्थियों के शैक्षणिक विकास के लिए प्राथमिक स्तर पर सर्वशिक्षा अभियान, माध्यमिक स्तर के लिए राष्ट्रीय शिक्षा अभियान और डायट के माध्यम से शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाती है।
तीन योजनाओं का एकत्रीकरण
आगामी शैक्षणिक सत्र से तीनों योजनाओं का एकत्रीकरण कर ‘समग्र शिक्षा’ अभियान शुरू किया जाएगा। दो साल के लिए प्रायोगिक तौर पर इसे अमल में लाया जाएगा। नर्सरी से माध्यमिक स्कूल तक अभियान का दायरा रहेगा। 6 से 14 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को शिक्षा के प्रवाह से जोड़ने के लिए सर्वशिक्षा अभियान, माध्यमिक स्तर के लिए राष्ट्रीय शिक्षा अभियान चलाया जाता है। सर्वशिक्षा अभियान अंतर्गत पहली से 8वीं कक्षा तक पढ़ने वाले विद्यार्थियों को नि:शुल्क शैक्षणिक सामग्री, अनुसूचित जाति, जनजाति के छात्र तथा सभी वर्ग की छात्राओं के लिए नि:शुल्क गणवेश योजना चलाई जाती है। शिक्षकों को डायट के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाता है। राष्ट्रीय शिक्षा अभियान अंतर्गत केवल शासकीय स्कूलों के विद्यार्थियों को शैक्षणिक सामग्री तथा गणवेश नि:शुल्क दिए जाते हैं। शिक्षकों को डायट के माध्यम से प्रशिक्षण देकर अपडेट किया जाता है। स्वतंत्र रूप से चलाए जा रहे तीनों कार्यक्रमों का समग्र शिक्षा अभियान में एकत्रिकरण किया जाएगा। प्राथमिक शिक्षा विभाग के माध्यम से इसे अमल में लाया जाएगा। राज्य के प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षणाधिकारियों को शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव नंदकुमार ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से ‘समग्र शिक्षा’ अभियान की जानकारी दी। 18 अप्रैल को शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव वीडियो कांफ्रेंस कर राज्य के सभी शिक्षणाधिकारियों को समग्र शिक्षा अभियान की कार्यप्रणाली के संबंध में विस्तृत जानकारी देंगे।
दोगुना होगा बजट
सर्वशिक्षा अभियान का पिछले वर्ष जिले का बजट 41 करोड़ था। समग्र शिक्षा अभियान में नर्सरी से माध्यमिक स्कूल तक दायरा बढ़ाए जाने से इस वर्ष बजट दोगुना हो जाएगा। बजट का नियोजन प्रारूप बनाने का दायित्व प्राथमिक शिक्षणाधिकारी के कंधों पर सौंपा गया है। जिला परिषद स्कूलों की विद्यार्थी संख्या घटने, शिक्षक तथा अन्य मानव संसाधन के अभाव के चलते आघाड़ी सरकार के कार्यकाल में सर्वशिक्षा अभियान बंद करने की गतिविधियां शुरू हो गई थीं। केंद्र में सत्ता परिवर्तन होने के बाद इसे नई संजीवनी दी गई। अब इसे प्रभावी बनाने के लिए समग्र शिक्षा अभियान चलाने का नियोजन किया गया है।
Created On :   14 April 2018 3:37 PM IST