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डीएलएड की परीक्षा से वंचितों पर मंडराया बेरोजगारी का संकट
डिजिटल डेस्क, वर्धा. महाराष्ट्र राज्य शिक्षा परिषद अंतर्गत डीएलएड पाठ्यक्रम के मई माह में होने वाले सप्लीमेंट्री परीक्षा में वर्ष 2018-19 के सत्र के प्रवेशित विद्यार्थियों को परीक्षा में बैठने से मना कर दिया गया है। इस कारण राज्य के असंख्य विद्यार्थियों पर यह व्यवसायिक पाठ्यक्रम पूर्ण कर नौकरी मिलने का अवसर हाथ से निकल जाने उन पर बेरोजगारी का साया मंडरा रहा है। डीएलएड यह पुराने डी.एड. पाठ्यक्रम का नामकरण है। यह व्यवसायीक पाठ्यक्रम पूर्ण करने के लिए हर विद्यार्थी को 6 अवसर दिए जाते हैं। परंतु कुछ समय पूर्व कोरोना के प्रकोप के कारण वर्ष 2020 की परीक्षा जनवरी 2021 में हुई। इस कारण इन विद्यार्थियों को एक चांस कम मिला। लेकिन विद्यार्थियों को इसकी कोई जानकारी नहीं थी। इस कारण विद्यार्थियों ने पढ़ाई कर परीक्षा शुल्क भी भरे लेकिन एेन परीक्षा का फार्म भरते समय वर्ष 2018-19 इस वर्ष में प्रवेशित विद्यार्थियों को अपात्र घोषित किया गया। इस कारण केवल एक या दो विषय बैक रहे विद्यार्थियों को डी.एल.एड. की पदवी मिलने से हमेशा के लिए वंचित रहने का समय आया है। फलस्वरूप इन विद्यार्थियों को छठवें अवसर की परीक्षा देने से इन्कार किए जाने से इन विद्यार्थियों में फिलहाल चिंता का वातावरण निर्माण हुआ है। महाराष्ट्र राज्य परीक्षा परिषद व शिक्षा मंत्री वर्ष गायकवाड़ को भी विद्यार्थियों ने इस संबंध में बार-बार जानकारी दी। परंतु अब तक किसी ने भी इस प्रश्न पर गंभीरता से गौर नहीं किया है। आगामी कुछ ही दिनों में परीक्षा होने वाली है। एेसी स्थिति में इन विषर्थियों के विषय में परीक्ष परिषद ने सहानुभूति से विचार करने की आवश्यकता है। वर्धा की छात्रा दीक्षा बंडूजी दखने ने बताया कि उसे माता-पिता नहीं हैं। उसके पिता शहर के न्यू इंग्लिश स्कूल में शिक्षक पद पर कार्यरत थे। अचानक उनका निधन हो गया। फिलहाल दीक्षा अपने छोटे भाई के साथ किसी तरह गुजर-बसर करते हैं। दीक्षा वर्ष 2018-19 के सत्र की महिला आश्रम अध्यापिका विद्यालय की छात्रा है। उसे उसके पिता की जगह पर अनुकंपा तत्व पर नौकरी लगने का अवसर था लेकिन इस निर्णय से उसका भविष्य अंधकारमय हो गया है।
Created On :   3 May 2022 7:36 PM IST