केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर,विश्व भारती और शांतिनिकेतन देश विदेश में सदैव सम्मोहन का केंद्र रहे हैं

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केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर,विश्व भारती और शांतिनिकेतन देश विदेश में सदैव सम्मोहन का केंद्र रहे हैं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गृह मंत्रालय केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर,विश्व भारती और शांतिनिकेतन देश विदेश में सदैव सम्मोहन का केंद्र रहे हैं देश की सांस्कृतिक विरासत,कला और परंपरा की नई सोच को पल्लवित करने की बात हो या आजादी की लड़ाई,हर क्षेत्र में बंगाल देश के दूसरे हिस्सों से 50 साल आगे रहा है विश्‍व भारती के 100 साल पूरे होने पर यह प्रयास होना चाहिये कि यहाँ से गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर के विचार नवपल्लवित होकर निकले शांतिनिकेतन और विश्व भारती ने देश की शिक्षा पद्धति को एक आधारभूत विचार देने का काम किया 50 साल बाद जब विश्व भारती की 150 वीं जयंती मनाई जाये तो हमें कम से कम दस लोग ऐसे मिलने चाहिए जो विभिन्न क्षेत्रों में योगदान देते हुए गुरुदेव टैगोर के विचारों को देशभर में संस्थापित करें और उन्हें समाज व जीवन का हिस्सा बनाएँ विश्व भारती ने सदैव जाति,धर्म और वर्ण से ऊपर उठकर मानवता का संदेश देने का काम किया केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा है कि गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर,विश्व भारती और शांतिनिकेतन देश-विदेश में सदैव सम्मोहन का केंद्र रहे हैं। आज पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन में विश्व भारती में प्राध्यापकों,छात्रों और बुद्धिजीवियों को संबोधित करते हुए श्री अमित शाह ने कहा कि देश की सांस्कृतिक विरासत, कला और परंपरा की नई सोच को पल्लवित करने की बात हो या आजादी की लड़ाई, हर क्षेत्र में बंगाल देश के दूसरे हिस्सों से 50 साल आगे रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि विश्‍व भारती अपने 100 साल पूरे करने जा रहा है। जब इसकी स्थापना हुई थी उस समय कुछ विचार रहे होंगे,अब 100 साल पूरे होने पर यह प्रयास होना चाहिये कि यहाँ से गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर के विचार नवपल्लवित होकर निकले। उन्होंने कहा कि शांतिनिकेतन और विश्व भारती ने देश की शिक्षा पद्धति को एक आधारभूत विचार देने का काम किया है। श्री अमित शाह ने कहा कि सन 1901 में एक ब्रह्मचर्य आश्रम से शुरू हुई इस यात्रा ने भारत की संस्कार यात्रा में बहुत बड़ा योगदान दिया है। उन्होने कहा कि गुरुदेव का कहना था कि शिक्षा का उद्देश्य संकीर्णता की सभी सीमाओं को तोड़कर व्यक्ति को अभय बना देना है। विश्व भारती की यात्रा सफल तभी मानी जाएगी जब गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा दिए गए मंत्र के अनुरूप यहां से निकला हुआ विचार हमारी शिक्षा पद्धति में बदलाव लाए। श्री शाह ने यह भी कहा कि विलास,मोह से मुक्त होने के साथ-साथ सभी प्रकार के सामाजिक बंधनों से मुक्त हो आनंद के साथ रह सके ऐसे व्यक्तित्व का निर्माण और यथार्थ को जानने की यात्रा कभी रुके नहीं ऐसे विद्यार्थी का निर्माण करना शिक्षा का उद्देश्य हो सकता है। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि विश्व भारती ने देश को विभिन्न क्षेत्रों में योगदान करने वाले लोग दिये हैं । विश्व भारती के सौवें साल में हमें संकल्प लेना चाहिए कि यह परंपरा रुके नहीं और जब 50 साल बाद विश्व भारती की 150 वीं जयंती मनाई जाये तो हमें कम से कम दस लोग ऐसे मिलने चाहिए जो विभिन्न क्षेत्रों में योगदान देते हुए गुरुदेव टैगोर के विचारों को देशभर में संस्थापित करें और उन्हें समाज व जीवन का हिस्सा बनाएँ। श्री अमित शाह ने कहा कि बंगाल के कई सपूतों ने देश को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 19वीं सदी के नवजागरण में राजा राममोहन राय, बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय, श्री अरविंदो, विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस, सुभाष चंद्र बोस जैसे अनेक लोगों ने भारत की विरासत को समृद्ध करने का काम किया है। गुरुदेव टैगोर के विचारो का प्रभाव और उनके व्यक्तित्व की महानता इस बात से जाने जा सकती है कि महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस दो अलग-अलग विचारधाराओं को मानने के बावजूद गुरूदेव टैगोर से प्रेरणा लेते थे, इससे गुरुदेव टैगोर के विचारों की व्यापकता का पता चलता है। श्री शाह ने यह भी कहा कि पूरे विश्व में गुरुदेव टैगोर ही ऐसे महान व्‍यक्ति हैं जिनकी दो रचनाएं दो अलग-अलग देशों में राष्ट्रगान के रूप में उपयोग की जा रही हैं। इससे पता चलता है कि गुरूदेव के विचार, संस्कृति, संस्कार और कला का दायरा कितना बड़ा है । केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि विश्‍व भारती ने सदैव जाति, धर्म और वर्ण से ऊपर उठकर मानवता का संदेश देने का काम किया है।

Created On :   21 Dec 2020 8:07 AM GMT

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