केंद्रीय मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने ई-बुक 'द रिपब्लिकन एथिक वॉल्यूम-III' और 'लोकतंत्र के स्वर' का अनावरण किया

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केंद्रीय मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने ई-बुक 'द रिपब्लिकन एथिक वॉल्यूम-III' और 'लोकतंत्र के स्वर' का अनावरण किया

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सूचना और प्रसारण मंत्रालय केंद्रीय मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने ई-बुक "द रिपब्लिकन एथिक वॉल्यूम-III" और "लोकतंत्र के स्वर" का अनावरण किया केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने आज दो ई-बुक्स "द रिपब्लिकन एथिक वॉल्यूम-III" और "लोकतंत्र के स्वर" का अनावरण किया। इस मौके पर बातचीत करते हुए श्री जावडेकर ने कहा," भारत के राष्ट्रपति ने विभिन्न अवसरों विभिन्न विषयों पर कई प्रेरणादायक भाषण दिए हैं। इस किताब में भारत के आत्मविश्वास की झलक मिलती है। इस पुस्तक में उन भाषणों को प्रकाशित किया गया है जो भारत की कोरोना के विरुद्ध लड़ाई के दौरान दिए गए हैं। इस जानलेवा संक्रमण के विरुद्ध भारत ने अन्य राष्ट्रों की तुलना में अपनी सीमाओं को प्रभावी तरीके से सुरक्षित किया है। ये किताब उन तमाम प्रयासों को चिन्हित करती है।" इस किताब की हार्ड कॉपी का अनावरण रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने किया था। इस मौके पर श्री सिंह ने कहा था कि किताब में राष्ट्रपति कोविंद ने हद्य की गहराइयों से जो अपने विचार व्यक्त किए हैं, उन्हें जगह दी गई है। ये किताब सभी बड़े ई-कॉमर्स के प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध है। किताब के बारे में: "द रिपब्लिकन एथिक वॉल्यूम-III", भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद के कार्यकाल के तीसरे वर्ष में विभिन्न अवसरों पर दिए गए भाषणों का संकलन है। 8 भागों में कुल 57 भाषण इसमें शामिल किए गए हैं जो श्री कोविंद के विचारों और संवेदनाओं को प्रकट करते हैं। भारत की नई सोच और प्रगति जिसकी जड़ें ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित है, उसे श्री कोविंद ने अपने अभिवादनों में प्रकट किया है। न्याय, समानता, बंधुत्व, अहिंसा, सार्वभौमिक भाईचारा, समावेशी विकास और समाज के कमजोर वर्गों के लिए विशेष चिंता के आदर्श उनके भाषणों की विषयवस्तु हैं। इस पुस्तक में 21वीं सदी के एक जीवंत भारत के बारे में उनकी दृष्टि है, जो भारत के हर एक नागरिक द्वारा संचालित है और जिससे हमारी दुनिया एक सुरक्षित, खुशहाल और हरे-भरे भविष्य की ओर अग्रसित होती है। जब दुनिया कोविड-19 महामारी के कारण ठहर सी गई, ऐसे में राष्ट्रपति के पास सार्वजनिक भाषणों के कम अवसर थे। ऐसे मुश्किल समय में राष्ट्रपति कोविंद ने एक उदाहरण पेश करते हुए राष्ट्रपति भवन की चारदिवारी से बाहर न जाने का निर्णय लिया। राष्ट्रपति भवन के भीतर रहते हुई ही उन्होंने दिखाया कि कैसे अपने काम को एक जगह रहकर भी प्रकृति के साथ समन्वय बिठाकर सादगी से किया जा सकता है। इस किताब के एक खास भाग में राष्ट्रपति ने दो महान आत्माओं- गौतम बुद्ध और महात्मा गांधी के उपदेशों के महत्व का जिक्र किया है। खासतौर पर 21वीं सदी में उनके विचारों की प्रासंगिकता पर राष्ट्रपति ने अपने विचार व्यक्त किए हैं। गांधीवादी आदर्शों में गूढ़ विश्वास रखने वाले राष्ट्रपति कोविंद ने उनके विचारों की नैतिक परिधि पर भी बात की है। श्री कोविंद के अनुसार गांधी ने मानवता को सबसे बड़ा उपहार मुश्किल समय से बाहर निकलने के नैतिक बल के रूप में दिया। गांधी के मूल्य 2019-20में अधिक प्रासंगिक हो गए हैं क्योंकि दुनिया ने इसी साल महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई है। ये भाषण राष्ट्रपति के वैश्विक नजरिए को जानने के लिए एक जरिया है। साथ ही उन सिद्धांतों और विश्वासों में एक अंतर्दृष्टि भी प्रदान करते हैं जिन मूल्यों में भारत के राष्ट्रपति का विश्वास है।

Created On :   20 Nov 2020 9:38 AM GMT

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