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यूनिवर्सिटी में फुल टाइम डीन की नहीं हुई नियुक्ति, कामकाज प्रभावित

डिजिटल डेस्क,नागपुर। राज्य में एक वर्ष पूर्व नया विश्वविद्यालय अधिनियम लागू हुआ है। इसके अनुसार प्रदेश के विश्वविद्यालयों में चार फैकल्टी के लिए चार फुल टाइम अधिष्ठाताओं के पद निर्मित किए गए। देखा जाए तो एक वर्ष की अवधि में इन पदों पर नियुक्तियां हो जानी चाहिए थी, लेकिन राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय समेत प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों मंे अभी भी फुल टाइम अधिष्ठाताओं की नियुक्ति नहीं की गई है। ऐसे में प्रोफेसर स्तर के पात्र व्यक्तियों को ही अधिष्ठाता का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है। दोनों जिम्मेदारियां संभालने के कारण अधिष्ठाताओं पर भी अतिरिक्त कार्यभार बढ़ गया है। जिसका सीधा असर विश्वविद्यालय से जुड़े कामकाज पर पड़ रहा है। फिलहाल विवि में साइंस एंड टेक्नोलॉजी के अधिष्ठाता के रूप में डॉ. एच. डी. जुनेजा, ह्यूमेनिटीज शाखा के अधिष्ठाता के रूप में डॉ. श्रीकांत कोमावार, कॉमर्स एंड मैनेजमेंट शाखा के अधिष्ठाता के रूप में डॉ. विनायक देशपांडे, इंटरडिसिप्लिनरी शाखा की अधिष्ठाता के रूप में डॉ. राजश्री वैष्णव को कार्यभार सौंपा गया है।
हुआ था स्वरूप में बदलाव
नया विश्वविद्यालय अधिनियम लागू होने के बाद विवि में फैकल्टी (संकाय) के स्वरूप में भी बदलाव हुआ है। पूर्व में जहां विवि मंे कुल नौ फैकल्टी थी। जिसमंे साइंस, आर्ट/सोशल साइंस, होम साइंस, मेडिसिन, कामर्स, एजुकेशन, इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, लॉ और आयुर्वेद की कुल 9 फैकल्टी का समावेश था। इसी के तहत विविध पाठ्यक्रम संचालित होते थे, लेकिन अब विश्वविद्यालय में केवल साइंस एंड टेक्नोलॉजी, कामर्स एंड मैनेजमेंट, ह्यूमेनिटीज और इंटरडिसिप्लिनरी फैकल्टी ही रखे गए हैं। इस प्रारूप को करीब 9 माह पूर्व राज्य सरकार ने मंजूरी दी थी। जिसके बाद विवि ने प्रत्येक फैकल्टी के लिए एक फुल टाइम डीन (अधिष्ठाता) की नियुक्ति करने का निर्णय लिया था, लेकिन अभी तक अधिष्ठाताओं के वेतनिक पदों को राज्य सरकार से मंजूरी नहीं मिली है। जिसके कारण विवि मंे प्रोफेसरों को ही अधिष्ठाता के अतिरिक्त कार्यभार का जिम्मा दिया गया है।
ये हैं जिम्मेदारियां
विश्वविद्यालय के कामकाज में अधिष्ठाताओं की अहम जिम्मेदारी है। अधिष्ठाता को शैक्षणिक मंत्रणा, शैक्षणिक ऑडिट, एकेडमिक काउंसिल द्वारा मंजूर की गई शैक्षणिक नीतियाें को लागू करने, शैक्षणिक पद्धतियों मंे बदलाव लाने, शिक्षकों के प्रशिक्षण जैसी जिम्मेदारियों पर नियंत्रण करना होता है। अधिष्ठाता को उसके संकाय की वार्षिक गुणवत्ता रिपोर्ट बनाने, मैनेजमेंट काउंसिल विद्यार्थियों को फेलोशिप, स्कॉलरशिप, मेडल देने की सिफारिश करने जैसे अहम कार्य भी संभालने होते हैं, लेकिन विवि में फुल टाइम अधिष्ठाता न होने से इन सभी पहलुओं पर इसका गंभीर असर पड़ रहा है।
Created On :   11 Dec 2017 2:05 PM IST