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दैनिक भास्कर हिंदी: अनलॉक-1 : धीरे-धीरे शुरु हो रही प्रवासी मजदूरों की वापसी, हर रोज आ रहे 15 हजार मजदूर, हो रहा रजिस्ट्रेशन

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना संक्रमण के डर से मुंबई और आसपास के इलाकों से अपने गांव वापस लौटे प्रवासी मजदूर एक बार फिर मुंबई का रुख करने को मजबूर हैं। कुछ प्रवासी मजदूर लौट चुके हैंं, कुछ अपने मालिकों से फोन कर काम के बारे में पूछताछ कर रहे हैं। जबकि अभी भी बड़ी संख्या में ऐसे भी मजदूर हैं, जो मुंबई में कोरोना की स्थिति में सुधार का इंतजार कर रहे। निर्माण उद्योग को अनलॉक के पहले चरण में इजाजत मिल गई है, लेकिन फिलहाल मजदूरों की कमी के चलते 25 से 30 फ़ीसदी ही काम हो पा रहा है। लेकिन उद्योग से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि जल्द ही ज्यादातर प्रवासी मजदूर वापस लौटेंगे और काम फिर चल निकलेगा।
बिल्डर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के पदाधिकारी आनंद गुप्ता ने बताया की गांव गए कई मजदूर फोन कर काम पर वापस लौटने के बारे में पूछ रहे हैं। आय का कोई और साधन न होने के चलते ज्यादातर लोग अपनी नौकरी पर वापस आना चाहते हैं। जबकि कुछ आ भी चुके हैं। मजदूरों के ठेकेदार हरिराम सिंह ने बताया कि उनके पास फिलहाल एक दर्जन ऐसे मजदूर काम कर रहे हैं जो लॉकडाउन के बाद यूपी गए थे लेकिन वहां काम ना होने के चलते वापस लौट आए हैं। इसके अलावा पहले उनके साथ काम कर चुके दर्जनों मजदूर फोन कर उनसे कुछ अग्रिम पैसे मांग रहे हैं जिससे वे ट्रेन का टिकट खरीद कर मुंबई आ सके क्योंकि उनके पास इतने पैसे भी नहीं बचे हैं।
असमंजस में हैं मजदूर
पेशे से बिल्डर शिवशंकर सिंह ने बताया कि अनलॉक के बावजूद निर्माण कार्य मजदूरों के बगैर गति नहीं पकड़ रही है। उन्होंने कहा कि यहां से गए मजदूर वापसी को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति में हैं। महानगर में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के चलते वे चाह कर भी मुंबई आने से हिचक रहे हैं। मुंबई के कांदीवली इलाके में रह कर कारपेंटर का काम करने वाले मुन्नी लाल पटेल व महेश पटेल कोरोना के चलते अपने गांव मडियाहूं (जौनपुर) चले गए हैं। पर अब वे वापस काम पर लौटना चाहते हैं। पटेल कहते हैं अभी लोकल ट्रेन शुरु होन का इंतजार कर रहा हूं। बगैर लोकल ट्रेन के कहीं आना-जाना मुश्किल होगा। फिलहाल वे गांव में ही फर्निचर बनाने का छोटा-मोटा काम कर रहे हैं।
परिवार की रोजो-रोटी के लिए पकड़ी मुंबई की राह
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के रहने वाले साजिद खान कोरोना संक्रमण बढ़ने के बाद मुंबई से गांव चले गए थे लेकिन वापस लौट आए हैं और ठाणे और दिवा के बीच बिछाई जा रही पांचवी और छठी लाइन में मजदूर का काम कर रहे हैं। खान ने बताया कि उन्हें 5 बच्चों पत्नी और पिता की खाने का इंतजाम करना था इसलिए ज्यादा दिन घर नहीं बैठ सकते थे और मजबूरन वापस मुंबई लौटना पड़ा। खान के मुताबिक कोरोना संक्रमण के चलते कामकाज पूरी तरह ठप हो गया था इसीलिए वापस घर लौटे वरना काम छोड़कर कभी नहीं जाते। उनके साथ यहां पांच ऐसे काम करने वाले हैं जो कोरोना केके कारण मुंबई से अपने गांव जाने के बाद काम की तलाश में वापस लौटे हैं। यहां काम कर रहे 20 वर्षीय आसिफ खान ने कहा कि अगर काम पर वापस नहीं लौटते तो भूखों मर जाते। जबकि समीर खान ने कहा कि यूपी के गांव में रहने वाले ज्यादातर परिवार मुंबई और दूसरे शहरों से भेजे जाने वाले पैसों पर निर्भर होते हैं। लोगों को मजबूरी में काम की तलाश में मुंबई और दूसरे शहरों का रुख करना पड़ता है। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे के मुताबिक महाराष्ट्र में इमारत निर्माण उद्योग और स्टील उद्योग में उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों के मजदूरों की जरूरत है। इसके बिना यह उद्योग शुरू नहीं हो सकते।’
हर रोज राज्य में वापस आ रहे 15 हजार मजदूर, हो रहा रजिस्ट्रेशन
लॉकडाउन के नियमों में ढील के बाद जैसे-जैसे राज्य में उद्योग धंधे शुरू हो रहे हैं प्रवासी मजदूरों की वापसी का सिलसिला भी शुरू हो गया है। फिलहाल सीमित संख्या में रेल गाड़ियां चल रही हैं इसके बावजूद रोजाना राज्य में करीब साढे 15 हजार प्रवासी मजदूर वापस आ रहे हैं। गृह मंत्री अनिल देशमुख ने गुरुवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नागपुर गोंदिया नंदुरबार कोल्हापुर और पुणे जैसे शहरों में कुल मिलाकर रोजाना औसतन 4 से 5 हजार प्रवासी मजदूर वापस आ रहे हैं जबकि मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई जैसे शहरों में वापस लौट रहे प्रवासी मजदूरों की संख्या रोजाना 11 से साढ़े 11 हजार तक पहुंच गई है। देशमुख ने बताया कि फिलहाल वापस आ रहे प्रवासी मजदूरों की सूची पहले संबंधित राज्यों से महाराष्ट्र सरकार को भेजी जाती है जिसके बाद उनका रजिस्ट्रेशन किया जाता है और वापसी आने की इजाजत दी जाती है। वापस आने के बाद प्रवासी मजदूरों के स्वास्थ्य की जांच की जाती है और उनके हाथ पर होम क्वॉरेंटाइन का सिक्का लगा दिया जाता है। श्रमिकों को काम पर लौटने से पहले कुछ दिनों तक अपने घरों में रहने की हिदायत दी जाती है। प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक भेजने के लिए स्टेशनों पर बेस्ट की बसों का भी इंतजाम किया जाता है। देशमुख के मुताबिक जैसे-जैसे उद्योग धंधे और खुलेंगे वैसे-वैसे प्रवासी मजदूरों की संख्या भी बढ़ेगी लेकिन राज्य सरकार इसके लिए सभी जरूरी उपाय सुनिश्चित करेगी। बता दें की लॉकडाउन में कामकाज ठप होने के बाद 21 राज्यों के 13 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर महाराष्ट्र से अपने घरों को लौट गए हैं।
‘किसी समुदाय पर अन्याय बर्दास्त नहीं’
किसी भी समुदाय पर अत्याचार की कोई घटना बर्दाश्त नहीं की जाएगी और पुलिस को ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। गृह मंत्री अनिल देशमुख ने गुरुवार को यह बात कही। देशमुख ने कहा कि राज्य के कुछ इलाकों में गरीबों और कमजोर समाज के लोगों पर अत्याचार की घटनाएं सामने आ रही हैं लेकिन ऐसे मामलों में पुलिस बेहद कड़ाई से निपटेगी।
रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय: वेस्ट जोन इंटर यूनिवर्सिटी क्रिकेट टूर्नामेंट का पहला मैच रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने 4 रनों से जीत लिया
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के स्पोर्ट ऑफिसर श्री सतीश अहिरवार ने बताया कि राजस्थान के सीकर में वेस्ट जोन इंटर यूनिवर्सिटी क्रिकेट टूर्नामेंट का आज पहला मैच आरएनटीयू ने 4 रनों से जीत लिया। आज आरएनटीयू विरुद्ध जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर के मध्य मुकाबला हुआ। आरएनटीयू ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। आरएनटीयू के बल्लेबाज अनुज ने 24 बॉल पर 20 रन, सागर ने 12 गेंद पर 17 रन और नवीन ने 17 गेंद पर 23 रन की मदद से 17 ओवर में 95 रन का लक्ष्य रखा। लक्ष्य का पीछा करने उतरी जीवाजी यूनिवर्सिटी की टीम निर्धारित 20 ओवर में 91 रन ही बना सकी। आरएनटीयू के गेंदबाज दीपक चौहान ने 4 ओवर में 14 रन देकर 3 विकेट, संजय मानिक ने 4 ओवर में 15 रन देकर 2 विकेट और विशाल ने 3 ओवर में 27 रन देकर 2 विकेट झटके। मैन ऑफ द मैच आरएनटीयू के दीपक चौहान को दिया गया। आरएनटीयू के टीम के कोच नितिन धवन और मैनेजर राहुल शिंदे की अगुवाई में टीम अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही है।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ब्रह्म प्रकाश पेठिया, कुलसचिव डॉ. विजय सिंह ने खिलाड़ियों को जीत की बधाई और अगले मैच की शुभकामनाएं दीं।
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