सोशल मीडिया पर ‘सिलेक्शन बिफोर इलेक्शन’ का सजेशन

Users are suggesting of selection before election on social media
सोशल मीडिया पर ‘सिलेक्शन बिफोर इलेक्शन’ का सजेशन
सोशल मीडिया पर ‘सिलेक्शन बिफोर इलेक्शन’ का सजेशन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां बढ़ी हुई हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर ‘सिलेक्शन बिफोर इलेक्शन’ का सजेशन दिया जा रहा है। सोशल मीडिया पर विविध पार्टी और उनके उम्मीदवारों के बड़े पैमाने पर पोस्ट आ रहे हैं। इस बीच अनेक उम्मीदवार थोपे जाने जैसी चर्चा भी जोर पकड़ रही है। ऐसे में सोशल मीडिया पर राजनीतिक पार्टियों से उम्मीदवारी तय करते समय जनता से भी उनकी राय यानी ‘सिलेक्शन बिफोर इलेक्शन’ की सलाह दी जा रही है। सोशल मीडिया एक्सपर्ट भी इसे संभव बताते हुए कहते हैं कि इससे स्वच्छ छवि व जनता को मान्य प्रतिनिधि लोकतंत्र के मंदिर में पहुंचने में आसानी होगी।  

चुनाव में प्रमुख अस्त्र  
सोशल मीडिया अब चुनाव में प्रमुख अस्त्र बन गया है। अमेरिका, ब्राझिल, फिलिपिंस आदि देशों में चुनाव सोशल मीडिया के आधार पर लड़ा जा रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी सोशल मीडिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस चुनाव में पिछले बार की तुलना में सोशल मीडिया का इस्तेमाल और ज्यादा पैमाने पर हो रहा है। राजनीतिक दल, उम्मीदवार से लेकर कार्यकर्ता भी अपने नेताओं के कामों का गुणगान व विरोधकों पर कड़े प्रहार करते हुए दिख रहे हैं। हर अच्छी, बुरी पोस्ट सोशल मीडिया पर हो रही है।

सोशल मीडिया विश्लेषक अजित पारसे इसे राजनीतिक दल, उम्मीदवारों की तरफ से सोशल मीडिया पर  एक तरफा प्रचार बता रहे हैं। राजनीतिक पार्टियों की ओर से उम्मीदवार लादने जैसी स्थिति है। अगर ‘सिलेक्शन बिफोर इलेक्शन’ अर्थात राजनीतिक दलों ने सोशल मीडिया के माध्यम से सीधे जनता से पूछकर उम्मीदवार दिया जाता है तो लोकतंत्र और मजबूत होगा। उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया में जनता को भी शामिल किया जाना चाहिए।

24 घंटे सोशल मीडिया का इस्तेमाल  
अजित पारसे बताते हैं कि स्टैटिस्टा डॉट कॉम वेबसाइट के अनुसार, देश में मौजूदा समय में 38 करोड़ नागरिक 24 घंटे सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। राजनीतिक दल अपने कार्यकर्ता, स्वयंसेवकों द्वारा नागरिकों तक अपना संदेश पहुंचा रहे हैं और अनुकूल वातावरण तैयार करने का प्रयास कर रहे हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से नागरिकों के ओपीनीयन लेना और आसान हो गया है। स्मार्टफोन, इंटरनेट के कारण मजबूत हुआ सोशल मीडिया राजनीतिक दलों की मजबूरी बन गया है। जिस कारण खर्चीले और ज्यादा समय लेने वाले मोर्चे, सभा की बजाए फेसबुक, वॉट्सअप पर विविध चित्र, व्यंगचित्र, वीडियो के माध्यम से राजनीतिक दल अपने विचार नागरिकों तक पहुंचा रहे हैं। पारसे ने कहा कि  हालांकि यह संवाद एकतरफा न रहते हुए दोतरफा होने की जरूरत है। 

देश में सोशल मीडिया उपयोगकर्ता 
स्मार्टफोन इस्तेमाल कर्ता : 37.38 करोड़ 
वॉट्सअप इस्तेमाल कर्ता: 20 करोड़ 
फेसबुक इस्तेमाल कर्ता: 30 करोड़ 
ट्विटर इस्तेमाल कर्ता: 3.44 करोड़ 

लोगों के मतों को गंभीरता से ले पार्टियां 
किसी का व्यंगचित्र, किसी के खिलाफ नकारात्मक टिप्पणई, ट्रोलिंग सोशल मीडिया पर दिखाई देता है। इसके बजाए सोशल मीडिया की व्यापकता देख दुर्बल, शोषित, वंचितों के विचार, मत सुनकर राजनीतिक दलों ने अपने-अपने क्षेत्र के उम्मीदवार निश्चित करने चाहिए यानी ‘सिलेक्शन बिफोर इलेक्शन’ प्रक्रिया अपनाना चाहिए। जिस कारण राष्ट्रीय हित के साथ लोकतंत्र मजबूत करने में सहायता मिलेगी। 
अजित पारसे, सोशल मीडिया विश्लेषक 
 

Created On :   22 March 2019 11:56 AM IST

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