वन महोत्सव को चिढ़ा रहे पेड़ों के ठूंठ !

Van mahotsav celebration in nagpur
वन महोत्सव को चिढ़ा रहे पेड़ों के ठूंठ !
वन महोत्सव को चिढ़ा रहे पेड़ों के ठूंठ !

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पर्यावरण संतुलन के नाम पर महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर में मनाया जा रहा वन महोत्सव एक अजीब ही रंग लेता दिख रहा है। जहां नागपुर महानगर पालिका का उद्यान विभाग शहर के सभी 10 जोन में 45 हजार पौधों का रोपण करने के लिए प्रयासरत है, वहीं आसीनगर जोन अंतर्गत आनंदनगर के एक उद्यान से लगातार पेड़ गायब हो रहे हैं। इस उद्यान से पेड़ काटकर जलाए जा रहे हैं,जिससे उद्यान में पेड़ों की संख्या में भारी गिरावट हो रही है। इस उद्यान परिसर में काटे गए पेड़ों के बचे हुए ठूंठ वन महोत्सव अभियान को मुंह चिढ़ा रहे हैं।

खास बात यह है कि इस मामले में न कोई शिकायत हुई है, न ही प्रशासन संज्ञान लेकर कार्रवाई करता दिख रहा है। उद्यान नागपुर सुधार प्रन्यास द्वारा तैयार किया गया है। अधिकारी यह कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं कि यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। कार्रवाई करें भी तो कैसे और किस आधार पर। असामाजिक तत्त्वों ने अपनी जरूरत के मुताबिक पेड़ों को काटकर उद्यान की खूबसूरती को ग्रहण लगा दिया। इस उद्यान में व्याप्त समस्याओं की अनदेखी कई वर्षों से की जा रही है।

धीरे-धीरे बद्तर हो गए हालात 

उत्तर नागपुर के आनंदनगर को 1984 में नागपुर सुधार प्रन्यास द्वारा बसाया गया था। नासुप्र ने गरीब तबके के लोगों को 420 वर्ग फुट के प्लॉट बेचे थे। इन प्लॉट पर 100 वर्ग फीट का कमरा तैयार कर एक क्वार्टर की कीमत 12000 रुपए वसूली गई थी। इन्हें खरीदने के बाद लोगों ने सुविधानुसार प्लॉट की पूरी जमीन पर बहुमंजिला मकान बना लिए हैं। आज यहां तकरीबन 800 मकान हैं। निवासियों के लिए तकरीबन 3 एकड़ में नागपुर सुधार प्रन्यास ने उद्यान बनाया था। प्रारंभ में इसमें खूबसूरत पेड़, पौधे, झूले, बच्चों के खेल के साधन, फाउंटेन आदि की व्यवस्था थी। उद्यान परिसर में स्थित 40 वर्ष पुराने कुएं से पौधों की सिंचाई होती थी। उद्यान की देखरेख के लिए कुछ कर्मचारियों और सुरक्षा गार्ड नियुक्त थे। अब न सुरक्षा व्यवस्था है और न ही यहां कर्मचारी नजर आते हैं।

अब जुए और शराब की महफ़िलें आम 

अब आनंदनगर उद्यान में जुआ खेला जाता है, शराब की महफिल सजती है। गांजा-अफीम वाले नशेड़ी यहां आबाद है। नकाबपोश प्रेमी युगल यहां प्रेमालाप भी करते मिल जाते हैं। तकरीबन 25 वर्ष पुराने उद्यान को उस वक्त ग्रहण लगा, जब संजय गांधीनगर व इंदिरामाता नगर के बदमाशों ने परिसर को अपना अड्डा बना लिया। इन लोगों ने उद्यान पर कब्जा जमाने के लिए सबसे पहले उद्यान की सुरक्षा दीवार में सेंध लगाकर एक आम रास्ता बना लिया है।

मुख्य द्वार तोड़कर चुरा ले गए 

असामाजिक तत्व यहां का मुख्य द्वार तोड़कर चुरा ले गए। उद्यान की खेल सामग्री को भारी नुकसान पहुंचाया। पेड़ काटकर जलाए, फव्वारे तोड़कर शराब पीने की महफूज जगह बना दी गई, परिसर में मौजूद कुर्सियों को उखाड़कर मनचाही जगह पर रख दिया। उद्यान के वॉकिंग ट्रैक पर शराब की खाली बोतलें फोड़कर फेकने से इसका उपयोग बंद है। परिसर के बच्चे उद्यान के भीतर जाने से घबराते हैं। और तो और परिसर के निवासी भी इस उद्यान से मुंह फेरने लगे हैं।

Created On :   5 July 2017 9:16 PM IST

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