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सुरक्षा का खतरा नहीं, कोरोना के जोखिम के चलते नवलखा को नहीं दी गई किताब
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट में दावा किया है कि जब कोरोना संक्रमण की तीव्रता थी उस समय भीमा-कोरेगांव एल्गार परिषद मामले में आरोपी गौतम नवलखा के घरवालों ने किताब का पार्सल भेजा था। इसलिए कोरोना के जोखिम के चलते बाहर से आनेवाले पार्सल को जेल के भीतर लेने से मना किया गया था। हाईकोर्ट ने सोमवार को आरोपी नवलखा को जेल प्रशासन की ओर से सुरक्षा के लिए खतरा बताकर अंग्रेजी लेखक पीजी वोडहाउस की हास्य आधारित किताब सौपने से मना करने को हास्यास्पद बताया था। इससे पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि यदि आरकोपी की याचिका में घर में नजर कैद करने की मांग को मंजूर किया गया तो कोर्ट में ऐसी मांग को लेकर याचिकाओं की बाढ आ जाएगी। 70 वर्षीय नवलखा साल 2019 में गिरफ्तारी के बाद से ही जेल में है। और सेहत ठीक होने के आधार पर जेल की बजाय घर में नजर बंद करने की मांग की है।
मंगलवार को सरकारी वकील संगीता शिंदे ने न्यायमूर्ति एसबी सुक्रे की खंडपीठ के सामने सफाई देते हुए कहा कि कोरोना के चलते आरोपी को किताब नहीं दी गई थी। हालांकि खंडपीठ ने इसे अस्वीकार कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि हमारे सामने जो हलफनामा दायर किया गया है उसमें सुरक्षा के खतरे का उल्लेख है कोरोना का जिक्र नहीं है। वहीं नवलखा की ओर से पैरवी कर रहे वकील युद चौधरी को कहा कि एनआईए की ओर से भयभीत करनेवाले दलील पर विचार करने की जरुरत नहीं है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में 50 साल के ऊपर के 1874 कैदी जेल में बंद है इसमें से सिर्फ 20 प्रतिशत कैदी ही 70 साल के ऊपर है। इस तरह खंडपीठ ने मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया।
Created On :   5 April 2022 8:25 PM IST