उपराष्ट्रपति ने कहा- हमारी भाषाएं, हमारे वर्तमान को अतीत से जोड़ने वाला सूत्र हैं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि भाषा ही लोगों के बीच वह सूत्र है, जो उन्हें समुदाय के रूप में बांधता है। उन्होने मातृभाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक जन अभियान का आह्वान करते हुए कहा, ‘यदि हम अपनी मातृभाषा को खोते हैं तो हम आसानी से अपनी पहचान खोते हैं’। उपराष्ट्रपति ने यह बात केन्द्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित एक समारोह को वर्चुअल रूप से संबाेधित करते हुए कही। उन्होने हमारी भाषाओं में बदलते समय की बदलती जरूरतों के अनुरूप बदलाव लाने का आग्रह किया। उन्होने कहा कि खेल खेल में ही बच्चों को भाषा की बारीकियां सिखाई जानी चाहिए। उपराष्ट्रपति ने भारतीय भाषाओं में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली में सुधार करने का भी सुझाव दिया।
भाषा को सांस्कृतिक धरोहर की वाहक बताते हुए नायडू ने कहा कि भाषा हमाारे वर्तमान को अतीत से जोड़ने वाला अदृश्य सूत्र है। उन्होने कहा कि हमारी भाषाएं हजारों सालों के अर्जित साझे ज्ञान और विद्या का खजाना होती है। उन्होने इस बात पर जोर दिया कि तकनीकी शिक्षा को मातृभाषा में प्रदान करके ही शिक्षा को असल में समावेशी बनाया जा सकता है। अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने वाले जापान, फ्रांस तथा जर्मनी जैसे विकसित देशों को उदाहरण देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि अपनी मातृभाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए इन देशों द्वारा अपनाए गए तरीकों और नीतियों से हमें भी सीखना चाहिए।
Created On :   22 Feb 2022 9:47 PM IST