57 साल से नहीं हुआ विदर्भ का विकास : रामदास आठवले

Vidarbha has not been developed for 57 years, says Ramdas Athawale
57 साल से नहीं हुआ विदर्भ का विकास : रामदास आठवले
57 साल से नहीं हुआ विदर्भ का विकास : रामदास आठवले

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  पृथक विदर्भ की बरसों पुरानी मांग का राग अधिवेशन के दौरान फिर अलापा जा रहा है। केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास आठवले का कहना है कि हमें महाराष्ट्र में फूट नहीं डालना है, लेकिन 57 साल से विदर्भ का जो विकास होना चाहिए था वह नहीं हुआ है। डॉ. आंबेडकर छोटे राज्य के समर्थक थे और उन्होंने नागपुर को यूं ही नहीं चुना था। पृथक विदर्भ के लिए सरकार से बाहर निकलने की जरूरत नहीं है। हम पृथक विदर्भ के लिए नेतृत्व करने तैयार हैं, लेकिन भाजपा छोड़ने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं। ये स्पष्टवादी विचार उन्होंने विदर्भवादी व राज्य के पूर्व महाधिवक्ता श्रीहरि अणे से विदर्भ राज्य परिषद के दौरान मंच पर स्पष्ट किए। दरअसल अणे विदर्भ के लिए भाजपा के पास 6 माह की मोहलत होने की बात कहते हुए भाजपा को 2019 चुनाव में हराने की अपील परिषद में कर चुके थे, जिसके जवाब में आठवले ने अपना भाजपा प्रेम जाहिर किया। आठवले ने कहा कि पृथक विदर्भ की मांग को लेकर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से वे मिलने के लिए तैयार हैं। कांग्रेस और भाजपा के शासन काल में विदर्भ को लेकर भले ही कितना भी विरोध क्यों न हो, लेकिन सच्चाई यह है कि केंद्र को ही इस विषय का निर्णय लेना है। विदर्भ राज्य परिषद के लिए मुख्यमंत्री ने भी समर्थन दिया है।

विदर्भ के पक्षधर भाजपा और कांग्रेस में भी : पूर्व सांसद दत्ता मेघे ने कहा कि विदर्भ के पक्षधर भाजपा में भी और कांग्रेस में भी हैं। विदर्भ की मांग को लेकर विदर्भवादियों को साथ आना होगा। चुनाव के समय भाजपा को बहुमत देने पर उसे विदर्भ देना ही होगा। विदर्भवादी भाजपा विधायक आशीष देशमुख ने कहा कि केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने उनका आंदोलन इस आश्वासन के साथ खत्म कराया था कि केंद्र में सत्ता आने के बाद विदर्भ की मांग पूरी हो जाएगी, लेकिन 4 साल बीत गए, विदर्भ नहीं मिला है। विदर्भ की मांग को लेकर अपने ही सरकार को चेताने के लिए लिखे गए पत्र का उन्होंने परिषद में पठन किया। साथ ही विदर्भ के लिए विधायकी से इस्तीफा तक देने का ऐलान कर दिया। परिषद को संबोधित करनेवालों में अनिल गोंडाणे, अधिवक्ता नंदा पराते, राम नेवले का भी समावेश रहा। प्रस्तावना भाषण आर. एस. वानखेड़े ने दिया।
विकास नहीं, पृथक विदर्भ चाहिए  : विदर्भ राज्य आघाड़ी के संस्थापक व राज्य के पूर्व महाधिवक्ता श्रीहरि अणे ने कहा कि भाजपा अगर पृथक विदर्भ देने की मांग को लेकर गंभीर है, तो उसके पास बिल पेश करने के िलए सिर्फ 6 माह का समय शेष है। तकनीकी रूप से इसके बाद बिल पेश नहीं हो सकता, लिहाजा 2019 में चुनाव है और चुनाव में विदर्भ का फिर वादा लेकर भाजपा आएगी। ऐसे में भाजपा विदर्भ नहीं दे सकती। श्रीहरि ने कहा कि भाजपा सरकार विदर्भ में जिस विकास का उदाहरण दे रही है, असल में वह हमारे लिए विकास नहीं है। हमारे लिए किसान आत्महत्याओं को रोकना, बोरेजगारी खत्म करना जैसे विषय विकास के पैमाने हैं। हमें विकास नहीं, पृथक विदर्भ राज्य चाहिए। विदर्भ पाने के लिए सत्ता से भाजपा को बाहर करना होगा। विदर्भ के लिए उन्होंने आरपीआई के विभिन्न गुटों को आगे आने की अपील की।
जनवरी में विदर्भ संघर्ष रथ यात्रा : परिषद के अध्यक्ष व आरपीआई (ए) के प्रदेशाध्यक्ष भूपेश थुलकर ने अध्यक्षीय भाषण के दौरान जानकारी दी कि 15 जनवरी से विदर्भ राज्य की मांग को लेकर सिंहगढ़ जहां जीजामाता की जन्मभूमि है, से विदर्भ संघर्ष रथ यात्रा निकाली जाएगी, जो 21 जनवरी को नागपुर के दीक्षाभूमि में समाप्त होगी। इस दौरान विदर्भ के लिए व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाया जाएगा।
                                                                           

Created On :   19 Dec 2017 9:28 AM GMT

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