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अधिकार को लेकर विदर्भ के मंत्री असंतुष्ट, राहत कार्य के विकेंद्रीकरण में दिख सकता है प्रभाव

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अधिकार व जिम्मेदारी को लेकर विदर्भ के मंत्री असंतुष्ट है। मंत्रियों ने बकायदा लाकडाऊन में मुंबई जाकर अपनी बात रखी है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से चर्चा की है। दावा किया जा रहा है कि यहां के मंत्रियों की शिकायत का प्रभाव राज्य सरकार की राहत कार्य के विकेंद्रीकरण की योजना में दिख सकता है। जिला स्तर पर पालकमंत्रियों को राहत उपाययोजना का प्रमुख बनाया जा सकता है।
क्या हुआ
गौरतलब है कि गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले के साथ पूर्व विदर्भ के 3 पालकमंत्री कार से मुंबई रवाना हुए थे। पालकमंत्रियों में नागपुर के डॉ.नितीन राऊत, चंद्रपुर के विजय वडेट्टीवार व वर्धा के पालकमंत्री सुनील केदार शामिल थे। नागपुर से मुंबई की सड़क मार्ग से दूरी करीब 900 किमी है। सरकार के प्रतिनिधि के नाते मंत्री को कफ्र्यू में भी इस तरह का दौरा करने का अधिकार है। फिर भी उन्होंने जिला प्रशासन व पुलिस विभाग से अनुमति ली थी। जिस दिन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विधानपरिषद सदस्य नियुक्त करने के लिए राज्यपाल से सिफारिश करने का निर्णय लिया गया उसी दिन रात में विदर्भ के मंत्री मुंबई पहुंचे। इन मंत्रियों की वीडियो कांफरेंसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री से चर्चा होते रहती थी। फिर भी अचानक वे कार से मुंबई क्यों पहुंचे इस बात को लेकर कयास लगाए जा रहे थे।
शिकायत अपनी अपनी
फिलहाल तीनों मंत्री मुंबई से लौट चुके हैं। बताया जा रहा है कि सभी मंत्रियों की अलग अलग शिकायत थी। लेकिन अहम बात यही थी कि प्रशासनिक कार्य में उनकी भूमिका को नजरअंदाज किया जा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष व तीनों मंत्री कांग्रेस से हैं। सबसे पहले इन्होंने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व राजस्व मंत्री बालासाहब थोरात से बात की। बाद में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मिले। नागपुर के पालकमंत्री डॉ.राऊत ने राहत के मामले में अलग पहल की है। केंद्र सरकार ने जरुरतमंदों को पका हुआ भोजन सरकार की ओर से तत्काल देने को कहा है। लेकिन नागपुर में पालकमंत्री के कहने पर जिला प्रशासन की ओर से अनाज वितरित किया गया। बताया जा रहा है कि राज्य के मुख्य सचिव अजोय मेहता ने नागपुर के जिलाधिकारी से वीडियो कांफरेंस के माध्यम से चर्चा की थी। उसमें इस बात पर असहमति दर्शायी थी कि केवल नागपुर में जरुरतमंदों को पके हुए भोजन के बजाय अनाज दिया जा रहा है। जिलाधिकारी का कहना था कि पालकमंत्री के निर्देश पर यह किया जा रहा है। पालकमंत्री का जब यह बात खबर लगी तो उन्होंने असंतोष जताया।
पालकमंत्री का मानना था कि जिला स्तर पर राहत कार्य उपाययोजना के नियोजन का अधिकार पालकमंत्री को है। मुख्य सचिव ने अलग से निर्देश नहीं देना चाहिए। उधर वर्धा के पालकमंत्री सुनील केदार को यह बात अच्छी नहीं लग रही थी कि वे जिस विभाग के मंत्री है उस विभाग के सचिव की नियुक्ति की जानकारी तक उन्हें नहीं दी गई। चंद्रपुर के पालकमंत्री विजय वडेट्टीवार राहत व पुनवर्सन मामलों के मंत्री है। राज्य स्तर पर राहत कार्य चल रहा है लेकिन वडेट्टीवार को उनके जिले में ही राहत मामले में पूरा अधिकार नहीं है। तमाम शिकायतों को लेकर मुख्यमंत्री से चर्चा हुई। पालकमंत्री डॉ.नितीन राऊत ने कहा है कि मुख्यमंत्री से जिला स्तर पर राहत के मामले में विस्तृत चर्चा हुई है। कुछ सुझाव भी दिए गए है। निश्चित ही कुछ विषय ऐसे भी थे जिनके बारे में केवल वीडियो कांफरेंस से चर्चा नहीं की जा सकती थी। इसलिए उनसे प्रत्यक्ष मुलाकात की गई।
Created On :   13 April 2020 3:05 PM IST