आईसीएसई में विदर्भ आगे, एक ही स्कूल के शिप्रा,अमिषा,राजीव चमके

Vidarbha was ahead in the result of the tenth and twelfth exam, ICSE
आईसीएसई में विदर्भ आगे, एक ही स्कूल के शिप्रा,अमिषा,राजीव चमके
आईसीएसई में विदर्भ आगे, एक ही स्कूल के शिप्रा,अमिषा,राजीव चमके

डिजिटल डेस्क, नागपुर। देश में कौंसिल फॉर इंडिया स्कूल सर्टिफिकेट एक्जामिनेशन (आईसीएसई) द्वारा ली गई दसवीं और बारहवीं की परीक्षा के नतीजे में विदर्भ आगे रहा। नतीजों में काटोल रोड स्थित चंदादेवी सराफ स्कूल ने टॉपर को लेकर बाजी मारी। प्रथम तीनों टॉपर इसी स्कूल के रहे। स्कूल की शिप्रा प्रभाकर मोतिकर 98 प्रतिशत अंक के साथ विदर्भ में टॉपर रहीं। दूसरे नंबर पर अमिषा खोब्रागड़े (96.6 प्रतिशत) और तीसरे स्थान पर राजीव यादव (95.6 प्रतिशत) रहे। आईसीएसई द्वारा 26 फरवरी से 12 अप्रैल तक दसवीं (आईसीएसई) और बारहवीं (आईएससी) की परीक्षाएं 7 फरवरी से चार मार्च तक ली गई थीं।

500 स्टूडेंट्स ने दी थी परीक्षा
चंदादेवी सराफ स्कूल, सेवंथ डे-एडवेंटिस्ट सदर, एमएसबी स्कूल, मारी पाउस्पीन स्कूल सहित सात शालाओं के लगभग 500 विद्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। देश की दो हजार 106 स्कूलों में से ढाई लाख से अधिक विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी। दसवीं में एक लाख 83 हजार 387 और आईएससी में 80 हजार विद्यार्थी शामिल थे। इस अनुसार सोमवार 14 मई को नतीजों की घोषणा की गई। आईसीएसई में 98.5 प्रतिशत छात्राएं और 98.1 प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण हुए। आईसीएसई में छात्रों की तुलना में छात्राएं उत्तीर्ण होने का प्रमाण अधिक है। छात्राओं का प्रतिशत 97.63 और छात्रों को 94.96 प्रतिशत है। नागपुर से लगभग सभी शालाओं के नतीजे 100 प्रतिशत लगे हैं। इसमें पहले तीनों विद्यार्थी चंदादेवी सराफ स्कूल के हैं। 
 
आंकड़ों पर एक नजर : पंजीकृत विद्यार्थी 
आईसीएसई (दसवीं)-एक लाख 83 हजार 387 
आईएससी (बारहवीं)-80 हजार 
परीक्षा में बैठे विद्यार्थी (दसवीं)-1 लाख 369, बाहरवीं-43 हजार 52 
उत्तीर्ण विद्यार्थी (दसवीं)-98 हजार 517, बाहरवीं-40 हजार 883 
छात्राओं की संख्या (दसवीं)-83 हजार18, उत्तीर्ण-82 हजार 146 
बारहवीं - 37 हजार 828 - उत्तीर्ण - 36 हजार 933 

इंजीनियर बनना है
इंजीनियर बनने का सपना है। आईआईटी की तैयारी शुरू करुंगी। उम्मीद थी कि 95 प्रतिशत तक अंक मिलेंगे। 98 प्रतिशत ने चौंका दिया। रोजाना नियमित 3-4 घंटे पढ़ाई करती हूं। ट्यूशन नहीं लगाई थी। पूरा फोकस सेल्फ स्टडी पर था।  माता-पिता का काफी सहयोग मिला। मां टीचर होने से घर पर काफी पढ़ाई हो जाती थी। मैंने पढ़ाई के लिए टाइम सेट कर रखा था।  ( शिप्रा मोतिकर)

डॉक्टर बनने की तमन्ना 
डॉक्टर बनना चाहती हूं। 90 प्रतिशत अंक की उम्मीद थी। अच्छे अंक मिलने से हिम्मत और बढ़ी है। रोजाना 2-3 घंटे पढ़ाई करती थी। ट्यूशन भी लगाई थी। मां रेलवे में एम्लाई हैं। पिताजी नहीं हैं। मां और सभी परिवार वालों का काफी सहयोग मिला। (अमिषा खोब्रागड़े )

आईआईसीएस की तैयारी करना है
10वीं के बाद अब इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइन्स बंगलुरु के लिए तैयारी करूंगा। इंजीनियर बनना है। परीक्षा के लिए रोजाना 3 घंटे पढ़ाई करता था। स्पोर्ट्स एक्टिविटी पर भी ध्यान दिया। रोजाना क्रिकेट, बैडमिंटन खेलता था। स्कूल से भी खेलों में हिस्सा लिया।  (राजीव यादव) 
 

Created On :   15 May 2018 10:59 AM IST

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