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बाघिन को मारने पर बहस की आवश्यकता ही नहीं, वडेट्टीवार बोले- कांग्रेस को नहीं मालूम जमीनी हकीकत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बाघिन अवनी को मारने को लेकर चल रही बहस का कांग्रेस के विधानसभा में उपनेता विजय वडेट्टीवार ने विरोध जताया है। उन्हाेंने कहा है कि वे इस मामले में सरकार की भूमिका का समर्थन नहीं करते हैं। लेेकिन जमीनी हकीकत को जानने के बाद ही कुछ बोला जाना चाहिए। संजय निरुपम सहित अन्य नेताअों के बयान व विरोध प्रदर्शन को व्यक्तिगत ठहराते हुए श्री वडेट्टीवार ने यह भी कहा कि कांग्रेस नेताओं को भी जमीनी हकीकत मालूम नहीं है। चंद्रपुर व गडचिरोली जिले में तो 3 साल से वन्य प्राणियों का आतंक फैला है। 23 लोग मारे गए हैं। लोगों के मारे जाने पर कोई कुछ नहीं बोलता है।
कांग्रेस नेताओं को भी जमीनी हकीकत मालूम नहीं है। बाघ बाघिन या अन्य पशुओं को मारने का समर्थन भले ही नहीं किया जा सकता है लेकिन यह भी ध्यान रखना होगा कि पशु से अधिक महत्व इंसान का है। श्री वडेट्टीवार के अनुसार बाघ प्रभावित क्षेत्र की परिस्थिति को देखते हुए अवनी मामले में बोलने के लिए उन्होंने नेताओं से आव्हान किया है। कांग्रेस नेताओं को भी जानकारी दी गई है। सोमवार को रामदासपेठ स्थित आवास पर वडेट्टीवार पत्रकार वार्ता में बोल रहे थे।
झोलाछाप NGO क्या जानें ग्राउंड रियलिटी
यवतमाल जिले के जंगल में अवनी बाघिन को मारे जाने को लेकर बहस के मामले में श्री वडेट्टीवार ने स्वयंसेवी संस्थाओं का जमकर आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा, अफसोस की बात है कि अब कांक्रीट के जंगल में रहने वाले लोग वास्तविक जंगल की चिंता कर रहे हैं। जंगल में उन्हें इंसान के बजाय पशु पर अधिक प्यार उमड़ता है। झोलाछाप NGO आखिर ग्राउंड रियलिटी कैसे जान सकते हैं। विदर्भ वन संपदा से भरा है। लेकिन यह वनसंपदा का लाभ मिल ही नहीं पा रहा है। विदर्भ बाघ पालता है और विदर्भ के ही लोग मारे जाते हैं। सरकार लोगों के संरक्षण के लिए ठोस उपाययोजना ही नहीं कर पा रही है। राज्य में 10 वर्ष में 1.27 प्रतिशत वन क्षेत्र कम हुआ है। विदर्भ में वनक्षेत्र अधिक होने व वन सरंक्षण नियमों के कारण यहां के कई प्रकल्प लंबित रह गए है। गडचिरोली जिले में सिंचाई परियोजना के लिए वन नियम बाधक बने हैं। विदर्भ वन संरक्षण करता है और विदर्भ के ही हिस्से में पिछड़ापन है।
दहशत में 34 गांव
मुनगंटीवार ने कहा कि उनके विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र ब्रम्हपुरी के 34 गांव दहशत में हैं। बाघ बाघिन के अलावा तेंदए , जंगली सूअर व अन्य पशु घरों में घुसते हैं। लोगों की बलि ले रहे हैं। वन्य प्राणियों के कारण बड़े स्तर पर खेती को नुकसान हो रहा है। ब्रम्हपुरी क्षेत्र में एक दिन पहले ही महिला को बाघिन ने मार डाला। 3 वर्ष में इस क्षेत्र में 23 लोगों की जान वन प्राणियों ने ली है। लोगों के संरक्षण के लिए कोई नहीं बोलता है। पत्रकार वार्ता में कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अतुल लोंढे, कांग्रेस के चंद्रपुर प्रभारी किशाेर गजभिये उपस्थित थे।
राहुल गांधी का समर्थन
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अवनी बाघिन के मारे जाने पर ट्यूट करके राज्य सरकार की आलोचना की है। सरकार की संवेदनशीलता पर सवाल उठाए हैं। श्री वडेट्टीवार ने राहुल गांधी का समर्थन करते हुए कहा कि बाघिन को मारे जाने की प्रक्रिया को ठीक नहीं कहा जा सकता है। राज्य सरकार की भूमिका का भी वे किसी तरह से समर्थन नहीं कर रहे हैं। वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार वन संवर्धन का दावा करते है,लेकिन वे जितने वृक्षारोपण कराते हैं उतने नजर ही नहीं आते हैं।
गडकरी तो राजा महाराजा की भाषा बोलते हैं
भूतल परिवहन मंत्री नितीन गडकरी ने राज्य के वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार का समर्थन करते हुए कहा है कि मुनगंटीवार हाथी जैसे है। विरोधी श्वान समान है। इस बयान पर श्री वडेट्टीवार ने कहा है कि गडकरी तो राजा महाराजा की भाषा बोलते है। कई बार महिलाओं की उपस्थिति का भी ध्यान नहीं रखते हैं। उनकी जुबान को हर भाषा शोभा देती है। विरोधियों को श्वान कहना उनके लिए नई बात नहीं है।
नागपुर मनपा में लाएं मुंडे को
वडेट्टीवार ने कहा कि नागपुर मनपा भ्रष्टाचार का अड्डा बनकर रह गई है। दो माह से मनपा आयुक्त नहीं है। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। विकास योजनाओं की निधि से कर्मचारियों के वेतन देने पड़ रहे हैं। पारदर्शी प्रशासन के लिए मनपा आयुक्त के तौर पर प्रशासनिक अधिकारी तुकाराम मुंडे को नियुक्त करने की मांग राज्य सरकार से करते हैं।
वन्य प्राणी संरक्षण कानून ही ठीक नहीं, बदल डालिए
बाघ सरंक्षण को लेकर चल रही बहस के बीच वन्य प्राणी सरंक्षण कानून को ही बदल डालने की मांग उठ रही है। किसान अधिकार के लिए काम कर रही राज्य सुकाणु समिति के आयोजक व शेतकरी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष रघुनाथ पाटील ने कहा है कि वन्य प्राणी संरक्षण कानून किसान विरोधी साबित होने लगा है। वन्य प्राणियों की संख्या बढ़ गई है। फसलें बर्बाद की जा रही है। किसानों को नाममात्र मुआवजा मिलता है। इधर कानून कुछ ऐसा है कि बैलों को भी नहीं दौड़ा सकते हैं। पाटील ने यह भी कहा कि वनक्षेत्र में किसानों व नागरिकों के संरक्षण के अलावा अन्य मुद्दों को लेकर विधानमंडल के शीतसत्र के समय मोर्चा निकाला जाएगा। 24 नवंबर से 3 दिन तक मुंबई में मोर्चा होगा। उसमें विदर्भ से अधिक से अधिक लोग शामिल होंगे।
सोमवार को जय जवान जय किसान संगठन के बजाजनगर स्थित कार्यालय में पत्रकार वार्ता में श्री पाटील बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि वन्य प्राणियों के भय से बचाने की परंपरा पहले से चली आ रही है। राजर्षि शाहू महाराज भी लोगों को बचाने के लिए श्वानों को लेकर जंगल में गए थे। बाघ को मारा गया था। भटके हुए पशुओं को नियंत्रित करना आवश्यक है। यह कहां तक उचित है कि लावारिश श्वानों काे भी न मारा जाए।
Created On :   12 Nov 2018 10:12 PM IST