ठंडे बस्ते में वैनगंगा-नलगंगा नदी जोड़ प्रकल्प

Wainganga-Nalganga river link project in cold storage
ठंडे बस्ते में वैनगंगा-नलगंगा नदी जोड़ प्रकल्प
मौसम के भरोसे खेती ठंडे बस्ते में वैनगंगा-नलगंगा नदी जोड़ प्रकल्प

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विदर्भ की खेती मौसम के भरोसे है। सिंचाई सुविधा के अभाव में कृषि व्यवसाय घाटे का सौदा बनकर रह गया है। खेती पर किया जाने वाला खर्च भी नहीं निकलने से कर्ज का बोझ बढ़ने पर किसान आत्महत्या कर रहे हैं। किसानों को आर्थिक संकट से उबारने के लिए सरकारें सिंचाई सुविधा के सपने दिखाती अाईं। बड़ी-बड़ी योजनाएं कागजों पर बनीं और कागजों तक ही सीमित रहीं। आज भी अनेक प्रकल्पों के काम की शुरुआत नहीं हो पाई। जिनकी शुरुआत हुई, उन्हें पर्याप्त निधि नहीं दिए जाने से वे अधूरी हैं। वैनगंगा-नलगंगा नदी जोड़ प्रकल्प का 4 साल पहले डीपीआर बनकर ठंडे बस्ते में पड़ा है। गोसीखुर्द राष्ट्रीय परियोजना पर्याप्त निधि के अभाव में लड़खड़ा गई है। सरकारी लेट-लतीफी के कारण 372 करोड़ के परियोजना की लागत 21 हजार करोड़ रुपए पर पहुंच गई। 35 साल में इस परियोजना से क्षमता के 60 फीसदी कृषि क्षेत्र को सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो पाई है।

बिना बांध बनाए उपयोग में ला सकते हैं पानी : नदी जोड़ एक ऐसा प्रकल्प है, जिसका पानी कृषि उपयोग में लाने के लिए बांध का निर्माण करने की आवश्यकता नहीं है। बरसात में वैनगंगा नदी का व्यर्थ बहकर जाने वाला पानी गोसीखुर्द बांध से लोअर वर्धा बांध में स्थानांतरण, लोअर वर्धा से काटेपूर्णा, वहां से नलगंगा प्रकल्प में पहुंचाने की व्यवस्था करनी होगी। वैनगंगा का व्यर्थ बह जाने वाले पानी का संकलन कर रबी फसल के उपयोग में लाया जा सकता है। इस प्रकल्प की लागत 60 हजार करोड़ रुपए आंकी गई है। 3 लाख 71 हजार 277 हेक्टेयर जमीन को सिंचाई सुविधा होने पर उसमें से प्रतिवर्ष 12 हजार करोड़ रुपए आय होने का अनुमान है। इसका अर्थ इस प्रकल्प की लागत 5 साल में कृषि उत्पादन के माध्यम से वसूल हो सकती है।

दिसंबर में प्रकल्प पूरा होने की उम्मीद नहीं : 35 साल से िनर्माणाधीन गोसीखुर्द प्रकल्प पूरा करने दिसंबर 2023 की डेडलाइन दी गई है। पर्याप्त निधि के अभाव में प्रकल्प लड़खड़ा रहा है। प्रकल्प की सिंचाई क्षमता 2 लाख 50 हजार 800 हेक्टेयर है। अब तक 60 फीसदी यानी 1 लाख 52 हजार 43 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र की सिंचाई हो पाई है। 98 हजार 57 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र को अभी भी सिंचाई के लिए पानी का इंतजार है। प्रकल्प कार्यालय के अनुसार 496 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण अभी नहीं हुआ है। अधूरे काम पूरे करने के लिए 15,300 करोड़ रुपए की सरकार से दरकार है।

उपमुख्यमंत्री से किसानों को आस
गोसीखुर्द प्रकल्प को पूरा करने महाविकास आघाड़ी सरकार के कार्यकाल में 5 हजार 800 करोड़ रुपए का प्रस्ताव केंद्र के पास भेजा गया था। निधि नहीं मिलने से प्रकल्प के शेष काम अधर में हैं। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास वित्त विभाग है। इस प्रकल्प को पूरा करने निधि उपलब्ध कराने की किसानों को आस है।

 

 

Created On :   25 Dec 2022 5:20 PM IST

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