डिग्री पाने 14 साल से इंतजार , हाईकोर्ट की लेनी पड़ी शरण

Waiting for 14 years to get a degree, had to take shelter of the high court
डिग्री पाने 14 साल से इंतजार , हाईकोर्ट की लेनी पड़ी शरण
डिग्री पाने 14 साल से इंतजार , हाईकोर्ट की लेनी पड़ी शरण

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय का कारनामा सुन आप भी चौंक जाएंगे। जी हां, यह मामला किसी गबन का नहीं, बल्कि डिग्री देने में हीला-हवाली का है। एक व्यक्ति को एक अदद डिग्री के लिए 14 साल का इंतजार झेलना पड़ा है। बावजूद इसके विश्वविद्यालय स्तर से कोई सुनवाई नहीं करने का आरोप लगाया गया है। पीड़ित अब हाईकोर्ट की शरण में है। कोर्ट ने विश्वविद्यालय से आठ सप्ताह में जवाब तलब किया है।

दावे हवा-हवाई, हकीकत कुछ और
अभ्यर्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के दावों की हवा किस तरह निकलती है, इसका नजीर जरा आप भी देखिए। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय में एक प्रोफेसर पिछले 14 वर्षों से डॉक्टर ऑफ सायंस (डीएससी) की डिग्री का इंतजार कर रहे हैं। विश्वविद्यालय की उदासीनता से परेशान होकर आखिरकार उस प्रोफेसर ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ता डॉ. उज्ज्वल लांजेवार की याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने प्रतिवादी नागपुर विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता के अनुसार विश्वविद्यालय से डीएससी करने के उद्देश्य से उन्होंने रिसर्च शुरू की। सभी तरह की औपचारिकताएं पूरी करने के बाद 30 दिसंबर 2006 को अपनी थीसिस विश्वविद्यालय में जमा कराई।

नियमानुसार कुछ ही दिनों में विश्वविद्यालय को कार्रवाई आगे बढ़ाते हुए डीएससी डिग्री प्रदान करना अपेक्षित था। लेकिन हुआ ठीक उलट। थीसिस जमा होने के बाद नागपुर विश्वविद्यालय ने इसका कोई संज्ञान नहीं लिया। लंबा वक्त बीत जाने के बाद भी प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ने से याचिकाकर्ता ने विवि से संपर्क साधा, तो जवाब मिला कि विश्वविद्यालय डीएससी से जुड़े नियमों में संशोधन कर रहा है। इसलिए उनकी थीसिस लंबित है। विश्वविद्यालय ने वर्ष 2010 में डीएससी के नए नियम लागू किए। लेकिन इसके बाद भी याचिकाकर्ता की थीसिस पर प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी। वर्ष 2017 में फिर डीएससी के नियमों मंे संशोधन हुआ। फिर भी थीसिस आगे नहीं बढ़ी। इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता भानुदास कुलकर्णी और पल्लवी मुधोलकर ने पक्ष रखा। 

Created On :   4 Feb 2020 6:52 AM GMT

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