बड़े हादसे का इंतजार, ट्रेन में लगा रहे कबाड़ में रखे ब्रेक-ब्लॉक

Waiting for big accident, Bad brake block put in the train
बड़े हादसे का इंतजार, ट्रेन में लगा रहे कबाड़ में रखे ब्रेक-ब्लॉक
बड़े हादसे का इंतजार, ट्रेन में लगा रहे कबाड़ में रखे ब्रेक-ब्लॉक

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मध्य रेलवे नागपुर मंडल कोचिन डिपो में आने वाली कई ट्रेनों के मेंटेनेंस में बड़ी लापरवाही सामने आई। इन लापरवाहियों के कारण कभी भी ट्रेनों में बड़े हादसे हो सकते हैं। दरअसल, ट्रेनों की स्पीड को कंट्रोल करने और उन्हें रोकने के लिए ब्रेक-ब्लॉक का इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें करीब 1 हजार किमी चलने के बाद बदला जाता है। पिछले 5 दिन से इस ब्रेक-ब्लॉक का स्टॉक डिपो में खत्म हो गया है। चूंकि समय पर स्टॉक नहीं आया और ट्रेनों को रवाना करना था, इसलिए कबाड़ में पड़े पुराने ब्रेक-ब्लॉक लगाकर ट्रेनों को रवाना कर दिया गया। यह वह ब्लॉक थे, जो ट्रेनों में खराब होने के कारण बदले गए थे। इसका असर यह हुआ कि यहां से मेंटेनेंस के बाद गई ट्रेनों में जब भी ब्रेक लगाए जाते हैं तो चिंगारियां निकलने लगती हैं। 

बड़े हादसे का इंतजार
इन लापरवाहियों के कारण किसी भी बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि खराब ब्रेक-ब्लॉक के कारण अनेक ट्रेनों में आग तक लगने की घटना हो चुकी है। "भास्कर" ने इस मामले की पड़ताल की तो कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। 

इन ट्रेनों का होता है मेंटेनेंस
नागपुर विभाग अंतर्गत नागपुर-पुणे, नागपुर-मुंबई, इंदौर, कोल्हापुर, मुंबई, हावड़ा आदि महत्वपूर्ण स्टेशनों की ओर रोजाना दुरंतो से लेकर गरीबरथ, प्रेरणा एक्सप्रेस जैसी गाड़ियां चलती हैं। रोजाना हजारों यात्री आते-जाते हैं। इन गाड़ियों के रख-रखाव का जिम्मा संरक्षा विभाग पर है। गाड़ियों की नियमित जांच से लेकर खराब पुर्जों को ठीक करने की जिम्मेदारी इस विभाग के कंधों पर है, लेकिन इन दिनों मुख्यालय से पूरी तरह सामान की सप्लाय नहीं हो रही।

15 एमएम के ब्रेक-ब्लॉक लगाए
नया ब्रेक-ब्लॉक लगभग 50 एमएम का रहता है। नियमानुसार इसकी लेयर घिसकर 12 एमएम तक पहुंच जाती है तो इसे निकाल लिया जाता है, लेकिन इन दिनों पहले ही घिसने के कारण बदले गए ब्रेक-ब्लॉक को लगाया जा रहा है। इसकी लेयर 15 से 20 एमएम तक बची रहती है। इसमें कोई दो राय नहीं कि मामूली दूरी के बाद इसकी लिमिट भी खत्म हो जाती है। एक हजार किमी के बाद बदले जाते हैं कोई भी गाड़ी एक हजार किमी की दूरी तय कर लेती है तो उसके ब्रेक-ब्लॉक घिस जाते हैं। 

सेफ्टी के लिहाज से इसे बदलकर नया लगाना जरूरी होता है, ताकि ब्रेक सही तरीके से काम करे, लेकिन इन दिनों गाड़ियों में पहले से हजार किमी चक्कों पर घिस चुके ब्रेक-ब्लॉक लगाए जा रहे हैं। इससे थोड़ी ही दूर बाद उनकी ऊपरी लेयर पूरी तरह खत्म हो जाती है और चक्कों से लोहे के प्लेट का सीधा घर्षण होता है। इस कारण धुआं निकलना, चिंगारियां उगलने और आग लगने जैसी घटनाएं होती हैं। इसे "ब्रेक बाइडिंग" भी कहा जाता है। 

कैसे काम करता है ब्रेक-ब्लॉक ?
किसी भी गाड़ी के एक चक्के में दो ब्रेक ब्लॉक लगाए जाते हैं। ब्रेक लगाने पर ये ब्लॉक दोनों ओर से दबाव बनाते हैं, जिससे पहिये थम जाते हैं। जानकारों की मानें तो इसके ऊपरी भाग पर लचीली धातु होती है और आखिर में लोहे की प्लेट रहती है। 

5 दिन से नहीं आया स्टॉक 
मध्य रेलवे नागपुर,मंडल रेल प्रबंधक बृजेश कुमार अग्रवाल का कहना है कि 5 दिन से ब्रेक-ब्लॉक खत्म होने के बाद स्टॉक नहीं आया। नागपुर से संचालित होने वाली गाड़ियों में ऐसे पुराने ब्रेक-ब्लॉक लगाए जा रहे हैं। रोजाना औसतन 2 गाड़ियों में इसे लगाया जा रहा है। अब तक 10 के करीब गाड़ियों में इसका इस्तेमाल किया गया है। कई बार मुख्यालय से मेंटेनेंस में लगने वाले सामानों की कमी होती रहती है। ऐसे में पहले इस्तेमाल कर चुके सामानों का इस्तेमाल कर लेते हैं। ऐसा ही ब्रेक-ब्लॉक के संदर्भ में हुआ। ट्रेनों में ऐसे ब्रेक-ब्लॉक ही लगाए गए, जिनका उपयोग दूसरी बार हो सकता था। इनसे सेफ्टी का ख्याल रखा गया है।

पहले हो चुके हादसे

  • 16 मई 2015 को दिल्ली से पुरी की ओर जाने वाली पुरुषोत्तम एक्सप्रेस (गाड़ी नंबर -12802) ट्रेन के जेनेरेटर कोच (1285) में ब्रेक-ब्लॉक के कारण पहियों में आग लगी। यहां लगे ब्रेक-ब्लॉक घिस चुके थे, इसलिए ऐसा हादसा हुआ
  • 29 जून 2015 को लखनऊ से दिल्ली जा रही डबल डेकर (12583)  ट्रेन के ब्रेक ब्लॉक में हरदोई के कौढ़ा रेलवे स्टेशन के पास आग लगी थी।
  • 11 जुलाई 2014 को चौमू सामोद रेलवे स्टेशन पर जयपुर-चूरू ट्रेन (02081) के ब्रेक-ब्लॉक में लगे लेदरों में आग लगने से ट्रेन को रोका गया और बड़ा हादसा टल गया।

Created On :   11 Oct 2017 10:53 AM IST

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