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जिले के 262 गांवों में जलसंकट, त्राहि-त्राहि-नहीं पानी
डिजिटल डेस्क, नागपुर. भीषण गर्मी में ग्रामीणों की हालत और खराब हो गई है। कारण, प्रशासन की लेटलतीफी से जलसंकट निवारण उपाय योजना की फाइल अधिकारियों की टेबल पर ठंडी हवा खा रही है। जलसंकट निवारण उपाय योजना के अप्रैल महीने के कृति प्रारूप के अनुसार जिले में 262 गांवाें में भीषण जलसंकट है। यह सब जानते हुए भी उपाय योजना ठंडे बस्ते में है। जलसंकट निवारण प्रारूप में 604 गांवों में बाेरवेल फ्लशिंग प्रस्तावित है। पुराने बंद पड़े बोरवेल के जलस्रोत पुनर्जीवित कर जलसंकट को खत्म करने का िनयोजन है, लेकिन मंजूरी के अभाव में जलसंकट निवारण कागजों पर सिमटकर रह गया है।
अंतिम मंजूरी का इंतजार : जलसंकट निवारण के काम को जिलाधिकारी की अंतिम मंजूरी के बाद काम की शुरुआत होती है। जिला परिषद से जिलाधिकारी की मंजूरी के लिए फाइल भेजी गई है, लेकिन उसे मंजूरी नहीं मिलने से काम अटके पड़े हैं। जिले के काटोल और नरखेड़ तहसील के सर्वाधिक गांवों में जलसंकट है। सावनेर तहसील में 42, नरखेड़ 109, नागपुर ग्रामीण 135, काटोल 55, हिंगना 48, पारशिवनी 16, रामटेक 72, मौदा 122 और कामठी तहसील में 5 बोरवेल फ्लशिंग प्रस्तावित हैं। जलसंकट निवारण उपाययोजना के प्रस्तावित काम को अंतिम मंजूरी का इंतजार है।
ग्रामीणों ने छोड़ी उम्मीद : अब गर्मी का मौसम खत्म होने में कुछ दिन बचे हैं। अगले सप्ताह प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी मिलने की संभावना जताई जा रही है। मंजूरी मिलने के बाद काम शुरू होने तक बारिश की शुुरुआत होती है, तो जलसंकट निवारण उपाय योजना का कोई उपयोग नहीं होगा। यह मान कर ग्रामीणों ने अब प्रशासन से जलसंकट में मदद की उम्मीद भी छोड़ दी है।
Created On :   15 May 2022 3:13 PM IST