जलसंकट का खतरा बरकरार, संकट गले तक आया तो दूरदर्शी प्लान कर रहे

Water crisis in maharashtra municipal corporation preparing plan
जलसंकट का खतरा बरकरार, संकट गले तक आया तो दूरदर्शी प्लान कर रहे
जलसंकट का खतरा बरकरार, संकट गले तक आया तो दूरदर्शी प्लान कर रहे

डिजिटल डेस्क, नागपुर । नागपुर शहर को अब तक के सबसे भीषण जलसंकट का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा नहीं है कि मनपा को इसका अहसास नहीं था। 15 साल पहले ही मनपा को इसके संकेत मिल गए थे, लेकिन मनपा ने कोई ठोस उपाय योजना नहीं किए। अब जब संकट गले तक आ गया है, तो सरकार से लेकर मनपा ने हाथ-पैर मारने शुरू कर दिए हैं। भविष्य में जलसंकट टालने के लिए विविध उपाय योजनाएं करने का दावा किया जा रहा है।

मध्यप्रदेश सरकार के भरोसे बुझ रही प्यास

फिलहाल नागपुर शहर की प्यास चौरई बांध और मध्यप्रदेश सरकार के भरोसे बुझ रही है। भविष्य में भी इनके भरोसे ही बुझेगी। वैसे भी नागपुर पिछले 50 वर्षों से मध्यप्रदेश पर निर्भर है। 1964 में मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र सरकार के बीच में पानी और बिजली को लेकर एक अनुबंध हुआ था। अनुबंध के अनुसार, मध्यप्रदेश सरकार से निकलने वाली नदियों (जलस्रोत) से 25 टीएमसी पानी महाराष्ट्र के लिए छोड़ने का निर्णय लिया था। इस अनुसार, उस समय से महाराष्ट्र को विविध नदियों से 25 टीएमसी से अधिक पानी मिलता आया है। इसलिए तोतलाडोह बांध में अब तक पानी की कोई कमी नहीं रही, लेकिन अब चौरई बांध बनने से तोतलाडोह बांध में बारह महीने बहकर आने वाले पानी पर रोक लग गई है। अब तोतलाडोह में सीमित पानी आ रहा है। फिलहाल चौरई बांध से तोतलाडोह के लिए अब तक 244 एमएमक्यूब पानी छोड़ा गया है। चौरई बांध की जलभंडारण क्षमता 422 एमएमक्यूब है और अब तक उसमें 400 एमएमक्यूब का जलभंडारण हो चुका है। रविवार सुबह से खोले गए चौरई बांध के गेट मंगलवार सुबह 11 बजे बंद कर दिए गए हैं। कहा गया कि जैसे-जैसे पानी बढ़ता जाएगा, पानी छोड़ा जाएगा।  

मनपा को साल भर रहेगी जलापूर्ति की चिंता

एक समय मनपा का तोतलाडोह में 190 एमएमक्यूब पानी का आरक्षण था। 112 एमएमक्यूब का स्थायी और 78 एमएमक्यूब का अस्थायी है। ऐसे में मनपा को साल भर पानी की चिंता नहीं रहती थी। इसे लेकर मनपा पर आरोप भी लग रहे थे। आरोप था कि मनपा को किसानों के सिंचाई का पानी काटकर दिया जा रहा था। इसके विरोध में पूर्व विधायक व महाराष्ट्र खनिकर्म महामंडल के अध्यक्ष एड. आशीष जैस्वाल ने महाराष्ट्र जलसंपत्ति नियामक प्राधिकरण में याचिका दायर की थी। मनपा द्वारा इतने वर्षों में अपना कोई जलस्रोत तैयार नहीं करने से प्राधिकरण ने मनपा को जमकर फटकार लगाई थी और मनपा का आरक्षण भी कम कर दिया था। मनपा का आरक्षण 190 एमएमक्यूब से घटाकर 155 एमएमक्यूब कर दिया। ऐसे में शहर का पानी संकट और गहरा गया है। 

बारिश के भरोसे नहीं भरेगा तोतलाडोह 

चौरई बांध और तोतलाडोह बांध के बीच 110 किलोमीटर का फासला है। तोतलाडोह बांध की जलभंडारण क्षमता 1017 एमएमक्यूब है। कैचमेंट एरिया करीब 2300 वर्ग किलोमीटर का है। इस एरिया में 900 मि.मी औसत बारिश होती है। 900 मि.मी बारिश और मध्यप्रदेश की कन्हान नदी से बारह महीने बहने वाले पानी के कारण तोतलाडोह बांध 50 प्रतिशत से अधिक आसानी से जलभंडारण हो जाता था, लेकिन अब ऐसा होना संभव नहीं है। तोतलाडोह बांध की जलभंडारण क्षमता विदर्भ के अन्य बांधों की तुलना में सर्वाधिक है। सिर्फ बारिश के भरोसे यह भरना मुश्किल है। चौरई बांध में पानी रोकने से अब यह और मुश्किल हो गया है। ऐसे में मनपा के पास अपना बांध या अन्य उपाय योजना करने के अलावा कोई पर्याय नहीं है। ऐसे में मनपा को चौरई और मध्यप्रदेश सरकार के भरोसे ही शहर की प्यास बुझानी होगी। 

अभी आरक्षण तय नहीं हुआ 

अगले साल का पानी आरक्षण अभी तय नहीं हुआ है। फिलहाल 155 एमएमक्यूब पानी शहर के लिए आरक्षित रखा गया है। अक्टूबर में जलभंडारण की स्थिति को देखने के बाद नया आरक्षण तय होगा। -श्वेता बैनर्जी, कार्यकारी अभियंता, मनपा जलप्रदाय विभाग 

244 एमएमक्यूब पानी छोड़ चुके 

मुख्यमंत्री कमलनाथ के आदेश पर चौरई बांध से तोतलाडोह के लिए अब तक 244 एमएमक्यूब पानी छोड़ा जा चुका है। मंगलवार सुबह 11 बजे चौरई के गेट बंद किए हैं। भविष्य में जैसे भी जरूरत होगी, पानी छोड़ा जाएगा। 1964 के अनुबंध के मुताबिक, महाराष्ट्र को 25 टीएमसी से ज्यादा पानी मिल रहा है। इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। जैसे जैसे चौरई में पानी की आवक बढ़ेगी, पानी छोड़ा जाएगा। हमारी तोतलाडोह के जलाशय पर पूरी नजर है। फिलहाल तोतलाडोह में पर्याप्त पानी जमा हो चुका है।
-आर.के. मिश्रा, एसई, डब्ल्यूआरडी, छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश
 

Created On :   28 Aug 2019 5:35 AM GMT

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