सीबीआई जांच का पत्र मिलते ही एक करोड़ का खुला राज

WCL Employees Co-Operative Society case deepens
सीबीआई जांच का पत्र मिलते ही एक करोड़ का खुला राज
डब्ल्यूसीएल एम्प्लाॅइज को-ऑपरेटिव सोसाइटी का मामला और गहराया सीबीआई जांच का पत्र मिलते ही एक करोड़ का खुला राज

डिजिटल डेस्क, उमरेड। तहसील के वेकोलि उमरेड कोयला खदान अंतर्गत 1907 वेकोलि कर्मचारी सदस्यता वाली डब्ल्यूसीएल एम्प्लाॅइज को-ऑपरेटिव सोसाइटी है। सोसायटी के माध्यम से वेकोलि कर्मचारी द्वारा हर महीने शेयर के रूप में सदस्यता के लिए पगार से ही कटौती की जाती है।  यहां 11 लोगों की वर्कर की सदस्यता वाली संचालक बॉडी का गठन है। इसमें एक प्रभारी व्यवस्थापक, अकाउंटेंट व 16 कर्मचारी कार्यरत  हैं। अलग-अलग माध्यम से संस्था का साल का 30 करोड़ का आर्थिक व्यवहार है। 

यह है पूरा मामला

वर्ष 2009 से 2012 के बीच संस्था में मैनेजर पद पर  कल्याण कुमार हलदर और संचालक बॉडी में अध्यक्ष सी एस पिल्लै, उपाध्यक्ष अजय मोहोड़, सचिव बबनराव पोटे, कोषाध्यक्ष प्रकाश नागभीड़कर कार्यरत थे। 29 सितंबर 2009 को उस समय की संस्था के संचालक मंडल और मैनेजर ने 1 करोड़ रुपए वेटेल कंपनी में इन्वेस्ट करने लिए कुछ शर्तों के साथ दुय्यम सहायक निबंधक उमरेड की मंजूरी से ही प्रस्ताव लिया था।   परंतु संस्था के प्रोसिडिंग रजिस्टर पर 29 अक्टूबर 2009 को विषय-5 पर 50 लाख रुपए ही इन्वेस्ट करने का लिखित मसौदा दर्ज है। तत्कालीन संचालक मंडल तथा संस्था के मैनेजर के प्रस्ताव के आधार पर 31 अक्टूबर 2009  को सहायक दुय्यम निबंधक उमरेड को मंजूरी के लिए आवेदन संस्था द्वारा दिया गया। 

सहायक दुय्यम निबंधक कुलमेथे, उमरेड द्वारा 16 नवंबर 2009 को कुछ शर्तों पर इसे मंजूरी दी गई।  जैसे संबंधित इन्वेस्टमेंट कुल 2 साल की ही होनी चाहिए, जिस कंपनी में इन्वेस्ट कर रहे हैं, उस कंपनी से नेशनल बैंक की गारंटी होनी चाहिए, इन्वेस्ट की गई रकम मुद्दत प्राप्त से पहले संचालक मंडल और संस्था के मैनेजर द्वारा की जानी चाहिए, संस्था के माध्यम से सभासदों का आर्थिक नुकसान न हो आदि। तत्कालीन संचालक मंडल और मैनेजर ने कागजात की कार्यवाही कर वेटेल कंपनी द्वारा आंध्रा बैंक  सुल्तान बाजार, हैदराबाद से बैंक गारंटी दी थी।  उसके बाद संस्था के यूनियन बैंक, वेकोलि के खाते से 50 लाख और यूनियन बैंक उमरेड से 50 लाख ऐसे 1 करोड़ रुपए 30 नवंबर 2009  को वेटेल कंपनी में जमा की गई थी।

एक ही परिवार के सदस्य मैनेजर पद पर आसीन

संस्था के मैनेजर का पद एक ही परिवार के 3 लोगों ने संभाला है।  साल 1982 से 30 सितंबर 2018 तक संस्था का मैनेजर पद वर्तमान की प्रभारी व्यवस्थापक छंदा कल्याण कुमार हलदर के पति ने 36 साल संभाला। उसके बाद 4 जुलाई 2018 से 25 सितंबर 2019 तक 14 महीने वर्तमान के प्रभारी व्यवस्थापक के बहन के लड़के अनिमेष भट्टाचार्य ने संभाला। वर्ष 1987 से छंदा कल्याण हलदर ने अब तक मुख्य लेखापाल और अस्थायी व्यवस्थापक पद संभाला। 6 अगस्त 2019 से 28 फरवरी 2021 तक तदन्य सलाहकार के रूप में 18 महीने का कार्यकाल पूर्ण किया है।

संबंंधित संचालन मंडल का 2009 से 2015 तक संचालक बॉडी का कार्यकाल समाप्त होने से 2015 में नई संचालक मंडल का चुनाव हुआ, लेकिन पुरानी बॉडी के संचालक मंडल ने इस मामले की कोई मौखिक या लिखित जानकारी नहीं दी थी। अचानक 13 जुलाई 2021 को भुवनेश्वर सीबीआई द्वारा संस्था द्वारा वेटेल कंपनी के साथ आर्थिक व्यवहार करने संबंधित कागजात के साथ जांच के लिए संचालक मंडल को हाजिर होने का फरमान मिला। वर्तमान संचालक मंडल ने  संबंधित व्यवहार के बारे छानबीन किया तो पता चला कि संस्था द्वारा 30 नवंबर 2009 को 2 अलग-अलग खाते से 50 लाख की 2 रकम वेटेल कंपनी के खाते में जमा की गई थी, लेकिन संस्था के पास उसके कोई कागजात नहीं मिले। 

नया संचालक मंडल परेशान

वर्ष 2010 और 2011 में वेटेल कंपनी द्वारा 6 बार संस्था के खाते में वापस  38 लाख जमा हुए हैं। 2 सितंबर 2010 को आंध्रा बैंक के नाम से 50 लाख रुपए खाते में जमा होने का ब्योरा बैंक स्टेटमेंट में है, परंतु यह जमा हुई रकम संशयास्पद होने से बैंक को माध्यम से यह पैसा सच में कहां से आया है, यह जानकारी बैंक से नए संचालक मंडल द्वारा मांगी गई है। दूसरी तरफ 6 सितंबर 2010 को सोसाइटी के यूनियन बैंक वेकोलि ब्रांच के खाते से 50 लाख रुपए का चेक द्वारा आंध्रा बैंक सदर ब्रांच से सोसाइटी के उमरेड ब्रांच के यूनियन बैंक में 50 लाख जमा किए गए। अब इस प्रकरण में नया संचालक मंडल त्रस्त है। जांच की मांग की जा रही है।

Created On :   16 Aug 2021 5:51 PM IST

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