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मराठी शालाओं को बचाने के लिए NMC ने क्या प्रयास किए-HC
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डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर शहर में मराठी शालाओं को बचाने के लिए क्या प्रयास किए गए हैं? यह सवाल मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने महानगरपालिका से किया है। जो पालक अपने बच्चों को मराठी शाला में प्रवेश देने के लिए इच्छुक हैं, उनके संबंध में भूमिका में चार सप्ताह में स्पष्ट करने के आदेश भी नागपुर खंडपीठ ने दिए हैं।
जनहित याचिका में उठाया है मुद्दा
अखिल भारतीय दुर्बल समाज विकास संस्था के अध्यक्ष लीलाधर कोहले व सचिव धीरज भिसीकर ने मनपा की मराठी शालाओं को बचाने संबंध में उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की है। गर्मी से पहले हुई सुनवाई में नागपुर महानगरपालिका ने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में दिए शपथ-पत्र में कहा कि विद्यार्थी संख्या घटने और पालकों का रुझान निजी शालाओं की तरफ बढ़ने से 81 में से 34 मराठी शाला बंद हो गई हैं। याचिकाकर्ता ने कहा कि महानगरपालिका ने विविध कारणों से मराठी माध्यम की प्राथमिक शाला बंद की है। मराठी माध्यम की शाला बाबत राज्य सरकार व मनपा की उदासीन भूमिका है। इन शालाओं को बचाने के लिए सरकार ने ठोस उपाय योजना नहीं किए हैं। पिछले कुछ सालों में इन शालाओं में विद्यार्थी संख्या बड़े पैमाने पर कम हुई है। ये शालाएं अंतिम सांसें गिन रही हैं।
पालकों ने चलाया हस्ताक्षर अभियान
इस बीच नागपुर के कुछ पालक, शिक्षण संस्था चालक, सामाजिक कार्यकर्ता, साहित्य संस्था आदि ने एकजुट होकर शाला बचाने के लिए अभियान चलाया था। इस अंतर्गत बच्चों को मराठी शाला में प्रवेश देने की इच्छा रखने वाले पालकों का हस्ताक्षर अभियान भी चलाया। लगभग एक हजार पालकों ने इसमें हिस्सा लिया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि नागपुर महानगरपालिका ने इस निवेदन को स्वीकारने से इनकार कर दिया था। इच्छुकों में से 20 पालकों को न्यायालय में हाजिर किया गया। इसके बाद उच्च न्यायालय ने नागपुर महानगरपालिका से पूछा कि क्या मराठी शाला शुरू करने की तैयारी है। इस बाबत मनपा ने जवाब देने के लिए समय मांगा। न्यायालय ने चार सप्ताह में मनपा को जवाब देने को कहा। याचिकाकर्ता की ओर से एड. आशुतोष धर्माधिकारी ने पैरवी की।
Created On :   5 Feb 2019 12:36 PM IST