रेत ढुलाई करने वाले ट्रकों में क्यों न लगाएं जीपीएस ?

Why not place GPS in sand trucks?
रेत ढुलाई करने वाले ट्रकों में क्यों न लगाएं जीपीएस ?
रेत ढुलाई करने वाले ट्रकों में क्यों न लगाएं जीपीएस ?

डिजिटल डेस्क, नागपुर. महाराष्ट्र में रेत के अवैध खनन को रोकने के लिए ट्रकों पर जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम न लगाने पर नागपुर खंडपीठ ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। राज्य में रेत और अन्य खनिजों की ढुलाई के लिए ट्रांजिट पास जरूरी होता है।

परमजीत सिंह कलसी ने जनहित याचिका दायर कर दावा किया था कि राज्य में मेटल, रेत, मुरम और गिट्टी का अवैध खनन नागपुर के साथ राज्य में धड़ल्ले से हो रहा है। अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से सरकारी राजस्व को सालाना एक हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। 

याचिकाकर्ता का दावा था कि अधिकारी रॉयल्टी बुक दलालों को 12 हजार रुपए प्रति बुक की दर से बेचते हैं। लॉरी मालिकों को और घाट ठेकेदारों को भी यह बुक आसानी से उपलब्ध होती है। इस बुक पर कलेक्टर ऑफिस और माइनिंग ऑफिसर की फर्जी सील और हस्ताक्षर भी होता है। याचिकाकर्ता का पक्ष सुनकर हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अनिल किल्लोर ने पक्ष रखा।

बारकोड और जीपीएस का हो इस्तेमाल

याचिकाकर्ता के मुताबिक राज्य सरकार की सैंड माइनिंग मैनेजमेंट के वर्ष 2015 के दिशा-निर्दशों के अनुसार ट्रांजिट या रॉयल्टी पास पर बारकोड स्टीकर लगाना अनिवार्य है, ताकि राजस्व के नुकसान से बचा जा सके। बारकोड से यह भी सुनिश्चित होता है कि रॉयल्टी पास की नकल नहीं की जा सके, लेकिन नागपुर जिले में इस नियम पर अमल नहीं किया जा रहा।

Created On :   6 July 2017 3:14 PM IST

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