HC ने चुनाव आयोग से किया सवाल - निजी कंपनियों के कर्मचारियों से क्यों नहीं लेते चुनावी ड्यूटी?

Why not taking the election duty of private companies employees?
HC ने चुनाव आयोग से किया सवाल - निजी कंपनियों के कर्मचारियों से क्यों नहीं लेते चुनावी ड्यूटी?
HC ने चुनाव आयोग से किया सवाल - निजी कंपनियों के कर्मचारियों से क्यों नहीं लेते चुनावी ड्यूटी?

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि चुनाव आयोग चुनावी ड्यूटी के लिए सिर्फ शिक्षकों को ही चुनावी काम में क्यों लगाता है, वह इस काम के लिए निजी कंपनियों के कर्मचारियों से सहयोग क्यों नहीं लेता। हाईकोर्ट ने यह बात गैर अनुदानित स्कूल फोरम की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। याचिका में फोरम ने दावा किया है कि चुनाव आयोग ने निजी स्कूलों को नोटिस जारी कर पहली से चौथी कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की सूची मांगी है और सूची न सौपने पर कार्रवाई करने की बात कही गई है। याचिका में दावा किया गया है कि गैर अनुदानित स्कूल निजी स्कूल हैं। इसलिए यहां के शिक्षकों को चुनावी ड्यूटी में नहीं लगाया जा सकता है। नियमानुसार उन्हीं स्कूल के शिक्षकों को चुनावी ड्यूटी में लगाया जा सकता है जिन पर सरकार का नियंत्रण है और उन्हें सरकार से वित्तीय सहयोग मिलता है। 

निजी स्कूलों के शिक्षकों को भी करनी पड़ सकती है ड्यूटीः आयोग 
जस्टिस अभय ओक व जस्टिस एमएस शंकलेचा की बेंच के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्रीय चुनाव आयोग की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता प्रदीप राजगोपाल ने कहा कि चूंकि निजी स्कूल राज्य के कानून के तहत पंजीकृत हैं। इसलिए वह उन्हें चुनाव कार्य में लगाया जा सकता है। इस पर बेंच ने कहा कि ऐसे तो निजी कंपनियां भी राज्य के कानून के तहत पंजीकृत हैं, आयोग वहां के प्रशिक्षित कर्मचारियों को चुनावी कार्य में क्यों नहीं लगाता है? इस सवाल पर आयोग के वकील ने कहा कि शिक्षकों की योग्यता व क्षमता से कंपनियों के कर्मचारियों की तुलना नहीं की जा सकती। इससे पहले फोरम की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मिहीर देसाई ने कहा कि सिर्फ चुनाव के समय ही शिक्षकों को उनके कार्य के लिए श्रेय दिया जाता है।

उन्होंने कहा कि साल 2014 में भी गैर अनुदानित स्कूलों को चुनावी कार्य के लिए नोटिस जारी किया गया था, लेकिन तब हाईकोर्ट ने निर्देश जारी किया था कि चुनावी ड्यूटी पर न जाने वाले शिक्षकों पर कोई कड़ी कार्रवाई न की जाए। अब फिर से ऐसा ही आदेश जारी किया जाए। इस पर बेंच ने कहा कि पहले याचिकाकर्ता फोरम से जुड़े स्कूलों की सूची पेश की जाए। हम 22 मार्च को इस मामले में निर्देश जारी करेंगे।  


 

Created On :   16 March 2019 12:49 PM GMT

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