हिन्दी को प्रोत्साहित करने प्रेरणा की कमी : केसरीनाथ त्रिपाठी

why people shy away from speaking in Hindi : Keshari Nath Tripathi
हिन्दी को प्रोत्साहित करने प्रेरणा की कमी : केसरीनाथ त्रिपाठी
हिन्दी को प्रोत्साहित करने प्रेरणा की कमी : केसरीनाथ त्रिपाठी

डिजिटल डेस्क,नागपुर। जब भाषा देश की पहचान बनती है तो नागरिकों में उस भाषा के प्रति सम्मान पैदा होता है। हमारी भाषा की उपियोगिता को लेकर कोई सवाल उठाता है, तब पीड़ा होती है। हिन्दी में हर प्रकार की परिस्थितियों के अनुसार ढलने की क्षमता है, लेकिन हम इसका प्रसार नहीं करते और इसीलिए दूसरी भाषाओं के प्रति हम आकर्षित हो जाते हैं। यह बात पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के वार्षिक अधिवेशन के दौरान आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कही। 
मूल भाषा मेंं काम करने वाले देश विकास में सफल : उन्होंने कहा कि, हिन्दी क्षेत्रीय भाषाओं को साथ लेकर आगे बढ़ती है। भाषा को प्रोत्साहित करने के लिए प्रेरणा चाहिए, जबकि हिन्दी के प्रचार के लिए देश में इसी प्रेरणा की कमी है। व्यावहारिक और व्यावसायिक विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय व्यापार में हिन्दी को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, ताकि विश्व स्तर पर हिन्दी का प्रसार हो सके। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी के लालच में जानबूझकर हिन्दी के प्रति रुझान कम करने की कोशिश की जा रही है। हमें काल्पनिक दुनिया दिखाई जा रही है। अंग्रेजी के अलावा अपनी मूल भाषा में काम करने वाले देश विकास करने में अधिक सफल हुए हैं। 
हर साल सौ से ज्यादा बोली, भाषाएं लुप्त होती हैं 
श्री त्रिपाठी ने कहा कि हर साल सौ से ज्यादा बोली भाषाएं लुप्त होती हैं, लेकिन हिन्दी के सामने ऐसी कोई स्थिति नहीं है। उन्होंने आंचलिक भाषाओं के अनुवाद विशेष तौर से मराठी साहित्य के ग्रंथों का अनुवाद कर हिन्दी की व्यापकता को और बढ़ाने पर जोर दिया। साथ ही हिन्दी को जनसंचार की भाषा के साथ व्यावहारिक जीवन में निरंतर प्रयोग करने की अपील की। अधिवेशन की प्रस्तावना में मधुप पांडेय ने कहा कि, हिन्दी संस्थाएं बहुत बढ़ गई हैं लेकिन हिन्दी के काम नहीं हो पा रहे हैं। अध्यक्षीय भाषण में सुरेश शर्मा ने कहा कि हिन्दी की राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठा बढ़ी है। अंरराष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी को सम्मान दिया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ भी हिन्दी को अपनाने की कोशिश कर रहा है। हिन्दी को संवैधानिक दर्जा देकर राष्ट्रभाषा घोषित करने की अपील भी इस दौरान उन्होंने की। वर्धा के जय महाकाली शिक्षण संस्था के अध्यक्ष शंकर अग्निहोत्री ने कहा कि हिन्दी और हिन्दी साहित्य किसी के मदद की मोहताज नहीं है। कार्यक्रम के दौरान मंच पर उमेश चौबे, विनोद माहेश्वरी व अन्य उपस्थित थे। मंच संचालन परमात्मानंद पाण्डेय ने किया। 

सत्कार : अधिवेशन के दौरान श्रीरामगोपाल माहेश्वरी स्मृति प्रेरणा पुरस्कार से डॉ. ओम प्रकाश मिश्र व नरेंद्र परिहार को सम्मानित किया गया। साथ ही प्रेरणा पुंज सम्मान से डॉ. विपिन खड़से व हिन्दी की मेधावी छात्राएं हर्षा वर्मा व शिवानी पारधी का सम्मान किया गया। 
अधिवेशन के पांच प्रस्ताव : अधिवेशन के दौरान कुल  पांच प्रस्ताव पारित किए गए। जिसमें हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देने, संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी को शामिल करने के लिए आवश्यक शर्तों को तुरंत पूरा करने, महाराष्ट्र में माध्यमिक स्तर पर शालेय शिक्षण में त्रिभाषा सूत्र के अनुसार हिन्दी को अनिवार्य करने, उच्च शिक्षा के संकायों के पाठ्यक्रम हिन्दी में हो और आम जन से पारिवारिक कार्यक्रमों की निमंत्रण पत्रिकाएं हिन्दी भाषा में ही बनवाने की अपील वाले प्रस्ताव रखे गए थे। 

Created On :   8 Jan 2018 1:11 PM IST

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