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तेरव च्या निमित्ताने’ ने विडो को दिया सिंगल वुमन का नाम, नाट्य मंचन ने किया भावविभोर
डिजिटल डेस्क, नागपुर। किसान के आत्महत्या करने के बाद उसके परिवार का जीवन तो नर्क की तरह हो जाता है। उसकी पत्नी और बच्चों का बुरा हाल हो जाता है। किसान की पत्नी को विधवा न कहकर सिंगल वुमन कहना उचित होगा, ताकि महिला आगे का जीवन अच्छी तरह से जी सके। आत्महत्या करने वाले किसान की पत्नी को समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलाने के उद्देश्य से साईं सभागृह में "तेरव च्या निमित्ताने’ नाटक का मंचन किया गया। कलाकारों के जीवंत अभिनय से दर्शकों की आंखें नम हो गईं।
ये है नाटक की कहानी
नाटक में सबसे महत्वपूर्ण बात यह बताई गई कि इन्हें विधवा या विडो शब्द से संबोधित न किया जाए, बल्कि इन्हें सिंगल वुमन कहा जाए। नाटक में यह बताया गया कि किसान की आत्महत्या के बाद तेरहवीं पर शोक मनाने के बजाय उस अवसर को उत्सव की तरह मनाना चाहिए। नाटक मेें सिंगल वुमन तेरहवीं के समय अपनी फ्रेंड्स के साथ खुशियां मनाती है, खेलती-कूदती दिखाई गई है। पति के बिना जिंदगी को इस तरह जीना है जैसा पति के साथ जिया था। इस नााटक में कलाकारों के शानदार अभिनय ने उपस्थितों को भावविभोर कर दिया।
नाटक का सार, विडो को भी है जीने का अधिकार
नाटक का सार ऐसा है कि उन्हें भी सौभाग्यवती स्त्रियों की तरह जीने का अधिकार है। नाटक में यवतमाल, वर्धा और अमरावती की सिंगल वुमंस ने अभिनय किया है। तेरव च्या निमित्ताने का 13वां मंचन रहा। तेरव च्या निमित्ताने नाटक अध्ययन भारती वर्धा द्वारा संचालित एग्रो थिएटर द्वारा निर्मित किया गया है। नाटक को जनमंच द्वारा प्रस्तुत किया गया। लेखक श्याम पेठकर, दिग्दर्शक हरीश इथापे, संगीत वीरेंद्र लाटणकर तथा भय्या पेठकर ने दिया है। नाटक में कलाकार कविता ढोबले, वैशाली येडे, मंदा अलोणे, संहिता इथापे, अवंती लाटणकर, प्रतीक्षा गुडधे, श्वेता क्षीरसागर, उर्वशी डेकाटे, गोरल पोहाणे, शिवानी सरदार, माला काले, सविता जडाय, अश्विनी नेहारे ने अभिनय किया है।
Created On :   19 Dec 2018 7:23 AM GMT