पर्यटन क्षेत्रों का विकास रहा दूर, ठेका एजेंसियों ने डकार ली रकम

Without development, contract agencies collected security amount from administration
पर्यटन क्षेत्रों का विकास रहा दूर, ठेका एजेंसियों ने डकार ली रकम
पर्यटन क्षेत्रों का विकास रहा दूर, ठेका एजेंसियों ने डकार ली रकम

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य में वनाच्छादित और प्राकृतिक जल स्रोत के इलाकों के रूप में विदर्भ काे पहचाना जाता है। इस इलाके में छोटे और बड़े तालाबों के अलावा वाइल्ड लाइफ क्षेत्र भी हैं। इन इलाकों को बेहतरीन पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई है, लेकिन इन क्षेत्रों का विकास किए बगैर ही ठेका एजेंसियों ने प्रशासन के पास जमा सुरक्षा राशि भी वसूल ली हैं। आश्चर्य की बात है कि पूरा मामला सामने आने के बावजूद अब तक ठेका एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है।  

बता दें कि साल 2004 में राज्य सरकार ने नागपुर जिले के पांच बांध वाले इलाकों को प्रायोगिक तौर पर पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया था। इस योजना में उमरेड तहसील के दो और नागपुर तहसील के 3 बांधों काे शामिल किया गया था। जिसमें पारडगांव लघुसिंचाई क्षेत्र, मटकाझरी लघुसिंचाई क्षेत्र, वाकेश्वर लघुसिंचाई क्षेत्र, सुराबर्डी लघुसिंचाई क्षेत्र एवं वेणा प्रोजेक्ट शामिल था।

इच्छुक एजेंसियां आवेदन कर हुई थीं शामिल
नियमों के तहत इच्छुक एजेंसियां 27 अगस्त से 27 सितंबर के बीच आवेदन कर प्रक्रिया में शामिल हुईं। इसमें से पारडगांव की जिम्मेदारी संजय आचार्य, सुराबर्डी की जिम्मेदारी अंकुर अग्रवाल, वाकेश्वर की जिम्मेदारी अंजलि तिवारी, वेणा मध्यम प्रकल्प और मटकाझरी लघुसिंचाई क्षेत्र की जिम्मेदारी आशीर्वाद इंटरप्राइजेस को मिली थी। इन सभी एजेंसी को 10 साल में पर्यटन क्षेत्र को विकसित करने की जिम्मेदारी मिली थी, लेकिन इस समयावधि में सुराबर्डी इलाके को छोड़कर किसी भी बांध पर पर्यटन क्षेत्र विकसित नहीं हो पाया।

इतना ही नहीं दो बांधों की ठेका एजेंसी ने लघु सिंचाई विभाग में जमा अपनी सुरक्षा राशि को भी बैंक से विड्राल कर लिया है। खास बात यह है कि बैंक से लिखित जानकारी मिलने के बाद भी ठेका एजेंसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू नहीं की गई है। 

सामने आई गड़बड़ी
साल 2006 में यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक का विलय आईडीबीआई बैंक में हो गया था। जलसंपदा विभाग के मुताबिक इससे ठेका एजेंसी आशीर्वाद इंटरप्राइजेस की एफडी में नवीनीकरण की समस्या आ गई थी। इसके चलते तत्कालीन कार्यकारी अभियंता शेलके ने कार्यालय रजिस्टर में इंट्री लेकर एफडी ठेका एजेंसी के संचालक प्रवीण महाजन को सौंप दी थी। एफडी को नवीनीकरण के बाद विभाग में दोबारा जमा कराना था, लेकिन प्रवीण महाजन ने ऐसा न करते हुए एफडी को अपने खाते में जमा कर दी। विभाग और प्रवीण महाजन के बीच लीज जमीन के हस्तांतरण के मामले के उठने के बाद विभाग के अधिकारियों ने एफडी की खोज शुरू की। लंबी मशक्कत के बाद भी एफडी के नहीं मिलने पर पांच साल बाद आईडीबीआई बैंक प्रबंधन से पत्र व्यवहार किया गया। बैंक की ओर से पत्र का जवाब मिलने पर ही एफडी की गड़बड़ी सामने आई।

होगी कार्र‌वाई
अविनाश सुर्वे, कार्यकारी निदेशक, जलसंपदा विभाग के मुताबिक 5 बांधों में से दो के मामले में विवाद का विषय 2 साल पहले मेरे समक्ष आया था। इस मामले में सुरक्षा राशि गायब होने का भी मुद्दा था। हालांकि बाद में सुरक्षा राशि की एफडी हमारे कार्यालय में जमा कराई थी। संबंधित अधिकारियों को निर्देश देकर पुलिस रिपोर्ट की जाएगी।  

एफडी नवीनीकरण के लिए दी थी
सुगो ढवले, कार्यकारी अभियंता, सिंचाई विभाग का कहना है कि ठेकेदार अंजलि तिवारी समेत अन्य को हमने कई बार नोटिस दिया है। ठेकेदारों ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया है। सभी ठेकेदारों से सुरक्षा राशि से लीज की रकम को वसूल किया जाएगा। आशीर्वाद इंटरप्राइजेस की सुरक्षा एफडी के भुगतान के मामले में तत्कालीन कार्यकारी अभियंता शेलके , दो कर्मचारियों डी .एस. कारामोरे और एन. एन दिवटे को भी नोटिस दिया है। दस्तावेज की इंट्री के मुताबिक साल 2012 में तत्कालीन अधिकारी ने प्रवीण महाजन को एफडी नवीनीकरण के लिए दी थी, लेकिन प्रवीण महाजन ने दोनों एफडी की रकम खुद के खाते में जमा कर ली। बैंक की रिपोर्ट के बाद भी हमने कोई पुलिस कार्रवाई नहीं की है। अब नए सिरे से प्रवीण महाजन को दोनों बांधों के विकास का ठेका देने का प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं।    

Created On :   10 July 2018 4:40 PM IST

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