NOC लिए बिना चल रहा मेट्रो कंस्ट्रक्शन का कार्य,  संगठनों ने की शिकायत 

Work of Metro construction running without NOC, organizations complaints
NOC लिए बिना चल रहा मेट्रो कंस्ट्रक्शन का कार्य,  संगठनों ने की शिकायत 
NOC लिए बिना चल रहा मेट्रो कंस्ट्रक्शन का कार्य,  संगठनों ने की शिकायत 

डिजिटल डेस्क,नागपुर। शहर में मेट्रो रेल का नेटवर्क बिछाने के साथ-साथ बहुमंजिला इमारतें तैयार कर रही मेट्रो रेल कार्पोरेशन कंपनी (माझी मेट्रो) को वन एवं पर्यावरण मामलों की संसदीय समिति के सामने कटघरे में खड़ा किया गया। समिति के सामने गैर-सरकारी संगठनों ने शिकायत की कि मेट्रो रेल कंपनी शहर में बिना पर्यावरण एनओसी के बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी कर रही है, जिससे शहर में धूल और प्रदूषण बड़े पैमाने पर बढ़ गया है। दमा रोगियों समेत अनेक प्रकार की बीमारियों की शिकायतें बढ़ी हैं। संगठनों का दावा है कि मेट्रो रेल कंपनी ने पर्यावरण विभाग की किसी प्रकार की एनओसी नहीं ली है। वह रेल के अलावा बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी कर रही है, जिसमें पर्यावरण की अनेक शर्तों का उल्लंघन हो रहा है। पर्यावरण व वन संसदीय समिति ने इसे गंभीरता से लेते हुए संज्ञान लेने का आश्वासन दिया था।  

राज्यसभा के 10 और लोकसभा के 20 सदस्य समिति में शामिल थे 
सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा की अध्यक्षता में समिति नागपुर पहुंची थी। समिति में राज्यसभा के 10 सदस्य और लोकसभा के करीब 20 सदस्य शामिल थे।  वर्धा रोड स्थित एक होटल में उन्होंने विदर्भ से जुड़े पर्यावरण व वन से संबंधित मुद्दों पर सुनवाई की थी। बैठक को काफी गोपनीय रखा गया, जिसमें कुछ चुनिंदा गैर सरकारी संगठनों समेत सरकारी विभागों को बुलाया गया था। नागपुर से जय जवान जय किसान, ट्रस्टी पर्यावरण संस्था, सेंट्रल इंडिया फ्लाय ऐश यूजर एसोसिएशन, बुटोबोरी मेन्युफैक्चर एसोसिएशन समेत अनेक संगठन सुनवाई में शामिल हुए। सुनवाई में एक-एक संगठनों को अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया। हालांकि यह भी सूचना दी गई कि बाहर इन जानकारियों को साझा न किया जाए।  संगठनों ने पर्यावरण को लेकर मेट्रो रेल कंपनी पर नियमों की धज्जियां उड़ाने का आरोप लगाया।

इस दौरान गांधीसागर तालाब, नाईक तालाब के प्रदूषण का मुद्दा उठाते हुए कहा कि प्रदूषित तालाबों को पुनर्जीवित करने के लिए केंद्र सरकार से निधि मिलती है, लेकिन यह निधि इन तालाबों को मिलने के बजाय कोराडी स्थित महाजेनको के तालाब को स्थानांतरित कर दी गई, जबकि महाजेनको का तालाब नैसर्गिक न होकर मानव निर्मित है। वहां पानी भंडारण कर बिजली के लिए उपयोग किया जाता है। बैठक में ट्री-प्लांटेशन का भी मुद्दा गर्माया। कहा गया कि लोग पेड़ काटने या माइनिंग की एनओसी के लिए हजारों पेड़ लगाने का आश्वासन देते हैं, लेकिन यह दावा सिर्फ कागजों तक सीमित रहता है। प्रत्यक्ष में यह पौधे कहीं दिखाई नहीं देते हैं। नागपुर मेट्रो रीजन क्षेत्र अंतर्गत बड़े पैमाने पर पॉवर प्लांट के कारण बढ़ते प्रदूषण का भी मुद्दा ध्यान में लाया गया। समाजसेवी शाहिद शरीफ ने भी समिति के सामने अंबाझरी तालाब का मामला उठाया, उन्होंने कहा कि मेट्रों के काम के कारण तालाब को खतरा पैदा हो गया है। 

मुफ्त की फ्लाई ऐश बेच रहीं कंपनियां
पर्यावरण व वन ससंदीय समिति के सामने पॉवर प्लांट द्वारा नियमों की धज्जियां उड़ाकर फ्लाई एेश बेचने का आरोप लगाया गया। नियमों के अनुसार पॉवर प्लांट कंपनी को 100 किमी क्षेत्र में किसी निजी कंपनी या व्यक्तिगत तौर पर फ्लाई एेश मुफ्त में उपलब्ध कराना चाहिए। इसी तरह 300 किमी क्षेत्र में सरकारी उपक्रमों को फ्लाई एेश नि:शुल्क उपलब्ध कराना चाहिए, किन्तु कंपनियां फ्लाई ऐश बेच रही हैं। विशेष यह कि फ्लाई ऐश को पूरी तरह ढंककर भेजना चाहिए, लेकिन कंटेनर में खुला भेजकर प्रदूषण को बढ़ा रही हैं।   

Created On :   25 April 2018 2:50 PM IST

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