खेतों में साथ निभाने वाले बैलों को पूजा, तेंदुलकर ने भी मनाया उत्सव

Worship to the bulls that accompany in the fields, farmers celebrated the festival at home
खेतों में साथ निभाने वाले बैलों को पूजा, तेंदुलकर ने भी मनाया उत्सव
विदर्भ में त्यौहार की धूम खेतों में साथ निभाने वाले बैलों को पूजा, तेंदुलकर ने भी मनाया उत्सव

डिजिटल डेस्क, नागपुर। श्रम के सम्मान का पर्व पोला उत्सव धूमधाम से मनाया गया। कोरोना संबंधी दिशानिर्देशों के कारण कुछ स्थानों पर छोटे स्तर पोला उत्सव का आयोजन किया गया। बैल जोड़ियों को सजा-धजा कर पोले में लाया गया। बैलों का पूजन कर उन्हें पकवान खिलाए गए। पोले के दूसरे दिन पाड़वा पर मंगलवार को मारबत-बड़ग्या का प्रतीकात्मक जुलूस निकाला गया। पिछले साल की तरह इस बार भी आसपास परिसर में भ्रमण के बाद संगठनों की ओर से मारबत और बड़ग्या का दहन किया। बाजार में लाखों रुपए के लकड़े से बने बैल आकर्षण का केंद्र बने रहे।

पांच सौ किलो के नंदी पर महादेव की सवारी

6 महीनों में बनाया गया 500 किलो वजनी लकड़ी का बैल आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। फेसबुक व वॉट्सएप पर बैल की फोटो वायरल हो रही है। लोग बैल को देखने के लिए किसान के घर पहुंच रहे हैं। न्यू सुभेदार ले आउट निवासी किसान अनुराग रोटकर ने बताया कि उन्होंने दोस्त के साथ मिलकर बैल को 6 महीनों की कड़ी मेहनत के बाद बनाया था। पोले के पहले उनकी बेटी प्रार्थना और बेटे युवराज ने शंकर भगवान व गणेशजी की वेशभूषा में बैल पर सवारी करते हुए फोटो निकाले और फेसबुक व वाट्सएप पर डाले। फोटो लोगों को इतने पसंद आए कि कई लोग 6 फीट ऊंचे बैल को देखने उनके घर पहुंचे।

सेंट्रल जेल में बैलों की पूजा

सेंट्रल जेल में भी सोमवार को बैल पोला मनाया गया। जेल की भूमि पर खेती की जुताई करने वाली बैलजोड़ी को पूरण पुडी खिलाकर जेल अधीक्षक अनूपकुमार कुमरे ने पूजा की। कुमरे ने बताया कि साल भर इस बैलजोड़ी का उपयोग जेल की खेती में किया जाता है। पोला के दिन राज्यभर में बैल पोला मनाया जाता है। इसके चलते जेल प्रशासन ने भी पोला मनाया।

पोला त्यौहार | जिला बालाघाट, मध्यप्रदेश शासन | भारत

गोंदिया जिले में सोमवार की शाम पोले का त्यौहार परंपरागत तरीके से मनाया गया। सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए गए, लेकिन शाम के समय जिले में किसानों ने बैलजोड़ियों की पूजा कर कृतज्ञता व्यक्त की। वहीं घर-घर में बैलजोड़ियां ले जाई गई, जहां गृहणियों ने उनकी पूजा कर पूरण पूरी के साथ उन्हें प्रसाद चढ़ाकर आरती की। जिले के सभी क्षेत्र से पोला उत्साह एवं शांति के साथ मनाया गया।

भंडारा जिले में पोले को लेकर ग्रामीण किसानों का उत्साह उनके द्वारा की गई बैल जोड़ियों की सजावट से दिखाई दिया। पवनी शहर में पोले के उपलक्ष्य में एक से बढ़कर एक सजी हुई बैल जोड़ी पहुंची। नागरिकों ने इन बैल जोड़ियों की पूजा की।

पवनी में अलग ही नजारा दिखा, समय के साथ मित्र के रूप में अब ट्रैक्टर ने भी किसानों के दिलों में स्थान प्राप्त कर लिया है। पोले के उपलक्ष्य में जहां संपूर्ण जिले में बैलों की पूजा हुई। वहीं पवनी तहसील के गुडेगांव में किसानों ने ट्रैक्टर की पूजा की। लगभग 10 ट्रैक्टर इकट्‌ठा हुए। सभी ट्रैक्टरों को बैलों की तरह सजाया गया था। 

Pola festival celebrated with great pomp was a bull-run competition

पोले के जरिए कृषकों ने बयां किया अपना दर्द

सेलू तहसील अंतर्गत ग्राम घोराड ने पोले के त्योहार पर अपना दर्द बयां किया। घोराड के किसान सुनील सुधाकर पोहाणे ने बैल जोड़ी को कुछ इस तरह से सजाया, जिसके माध्यम से सामाजिक मुद्दों को दर्शाया गया। बढ़ती महगांई को लेकर सरकार से प्रश्न पूछा। इस बैल पर चित्रकारी आशिष पोहाने ने की। घोराड में पोले का विशेष महत्व होता है। हर साल यहां पोला भरता है। परंतु पिछले दो साल से कोरोना का संकट होने के कारण इस साल भी इसकी छाया पोले के त्योहार पर दिखाई दी। बैलों की महत्ता दर्शाने वाला यह त्योहार ग्रामीणों ने घर में ही रहकर बैलों की पूजा कर सादगी से मनाया।

घर में ही पूजा कर सादगी से मनाया पोला

वर्धा जिले में फिर से कोरोना का प्रकोप न बढ़े इसलिए जिले में पोले के सभी कार्यक्रम, मेले और रैली पर प्रशासन द्वारा पाबंदिया लगा दी गई थी। जिसका पालन करते हुए सोमवार 6 सितंबर को जिलेभर में कहीं  पर भी पोले के त्योहार पर मेला नहीं लगा और सभी ने अपने घर पर ही बैलों की पूजा कर शासन के आदेश का पालन किया। इसके साथ शाम के समय हुई बारिश के कारण अधिकांश बैलजोड़ी नदारद रहने के कारण शहर के नागरिको को बैलों की पूजा करने में देर शाम तक इंतजार करना पड़ा। 

Created On :   7 Sept 2021 5:08 PM IST

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